पहली घर यात्रा एक त्रासदी में समाप्त हो गई

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पहली घर यात्रा एक त्रासदी में समाप्त हो गई

आलोक कुमार

जशपुर.सिस्टर बिभा केरकेट्टा, डीएसए, और उनके परिवार के तीन सदस्यों को 6 जून को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें आज 13 जून को ज़मानत दे दी गई है.सिस्टर बिभा का दोष है कि अपने धार्मिक पेशे के बाद थैंक्सगिविंग मास मनाने घर गई थीं.जो अन्य धर्मों को चोट पहुँचाने वाला साबित गिरफ्तार करवा दिया गया.अपने धार्मिक पेशे के बाद एक कैथोलिक नन की पहली घर यात्रा एक त्रासदी में समाप्त हो गई.

      गुलामी के बाद और अपनी स्वतंत्रता के बाद 1947 से ही भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य रहा है.भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को प्रतिष्ठापित किया गया था. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को देश के आधुनिक इतिहास में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के निर्माण का श्रेय दिया जाता है.

          भारतीय संविधान ने नागरिकों को छह मौलिक अधिकार दिया है.जो इन मौलिक अधिकारों में समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचार का अधिकार शामिल हैं.आस्‍था एवं अन्‍त:करण की स्‍वतंत्रता, किसी भी धर्म का अनुयायी बनना, उस पर विश्‍वास रखना एवं धर्म का प्रचार करना इसमें शामिल हैं.

          हाल के दिनों में संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार भारत के सब नागरिकों को किसी भी धर्म को मानने की आजादी है,उसे अक्षुण्ण बनाने का प्रयास किया जा रहा है.वहीं 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में संशोधन करके धर्म निरपेक्ष शब्द अंकित करके भारत को स्पष्ट रूप से धर्म-निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है.

धर्म-निरपेक्ष राज्य को सनातन धर्म का आवरण चढ़ाया जा रहा है.धर्म-निरपेक्ष राज्य के नागरिकों को अपने विश्‍वास के अनुसार पूजा करने पर घोर ऐतराज होने लगा है.तथाकथित आरोप लगाकर जेल भिजवाने में खादी वर्दी भी सहायक बनने लगे है.

     मामला छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर का है.यहां से लगभग 425 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में जशपुर है.जशपुर जिले के एक गांव बालाछापर में डॉटर ऑफ सेंट आन कॉग्रेगिएशन की सिस्टर बिभा केरकेट्टा रहती है.डॉटर ऑफ सेंट आन कॉग्रेगिएशन की सिस्टर बनने के बाद सिस्टर बिभा केरकेट्टा घर में परिवार वालों के साथ मिलकर प्रभु येसु ख्रीस्त को धन्यवाद देने के लिए एक मास का आयोजित किया था.इस बीच हिंदू कट्टरपंथियों का एक समूह सिस्टर के घर में घुस गया. कट्टरपंथियों ने उसकी मां और अन्य लोगों पर उपचार सत्र(करिश्माई सभा) आयोजित करने और अन्य धर्मों का अपमान करने का आरोप लगाया और जोरदार ढंग से हंगामा खड़ा कर दिया.

         तनाव की सूचना पर कार्यालय प्रभारी रविशंकर तिवारी के नेतृत्व में पुलिस टीम आई और दोनों गुटों को पूछताछ के लिए थाने ले गई.इस बीच ईसाई समूह इस आरोप का खंडन करते हैं और कहते हैं कि शाम के मास में ननों के रिश्तेदार, दोस्त और पड़ोसी शामिल थे जो कैथोलिक हैं.सिस्टर बिभा केरकेट्टा ने छह महीने पहले पड़ोसी झारखंड राज्य की राजधानी रांची में आयोजित डॉटर ऑफ सेंट आन कॉग्रेगिएशन नामक मंडली में अपना पहला संकल्प लिया था.लेकिन पुलिस टीम ने पड़ोसियों की बातों को अनसुना कर सिस्टर बिभा केरकेट्टा को 6 जून को गिरफ्तार कर लिया और उनकी मां और तीन अन्य लोगों के साथ जेल में डाल दिया गया.पुलिस अन्य लोगों की तलाश कर रही है जो मास में शामिल हुए थे.

     जशपुर में ईसाई नेताओं ने कहा कि पांचों को पुलिस थाने ले जाया गया और रात में वहीं रखा गया.अगले दिन उन्हें कोर्ट में पेश किया गया.एक व्यक्ति, नन के चाचा, जो नेत्रहीन हैं, को जमानत दे दी गई और अन्य को हिरासत में भेज दिया गया.

घर पहुंचे करीब 20 लोगों ने नन की मां को थप्पड़ मारा और ईसाई बनने पर सवाल किया.घुसपैठियों ने घर में मिली बाइबिल की एक प्रति, एक कैंडल स्टैंड और एक माला भी फेंक दी. ईसाई नेताओं का कहना है कि इस घटना से स्थानीय ईसाई डरे हुए हैं.

सिस्टर बिभा केरकेट्टा, डीएसए, और उनके परिवार के तीन सदस्यों को 6 जून को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें आज ज़मानत दे दी गई है.वह जमानत बांड और कानून के अनुसार आवश्यक अन्य औपचारिकताओं को प्रस्तुत करने पर बाहर हो जाएगी.

  हमेशा सुशील लोबो कहते है जागो..जागो..ख्रीस्तान जागो.. 2024 में आम चुनाव होने वाला है.केंद्र की सरकार संविधान विरोधी कार्य करने पर उतारू है.वहीं 2025 में बिहार में चुनाव है.जो चुनावों में धर्मनिरपेक्ष दलों के प्रत्याशियों को विजयी बनाना है.केवल वोट ही नहीं धर्मनिरपेक्ष दलों व प्रत्याशियों के पक्ष में तुफान पैदा करना है.

     सुशील लोबो कहते है कि इस संवाददाता ने सिस्टर बिभा केरकेट्टा के साथ घटी घटना की पूरी विवरण देकर और संवैधानिक अधिकार की जानकारी देकर क्रिश्चियन को झकझोर दी है. भारतीय संविधान के द्वारा हमे मिली धार्मिक आजादी को कुछ  कट्टरवाद, चाटुकार ,चापलूस अंधभक्त  को सरकार की तरफ से छूट मिली हुई  है, जैसा की आजकल देखा जा रहा,कुछ लोग  धार्मिक राजनीतिक कर अपनी चाटुकारिता को पार्टी को और अपने समुदाय को दिखा कर अपनी पहचान बनना चाहते हैं, इस कार्यवाही की घोर निंदा हर क्रिश्चियन  समुदाय को विशेष आदिवासी समुदाय को हर स्तर पर करनी चाहिए. कांग्रेस की सरकार को शक्ति के साथ उन दरिंदो को सबक सीखानी चाहिए और सजा देनी चाहिए, जिन्हे धार्मिक स्वतंत्रता की जानकारी नही है , रही बात आजकल की जो धार्मिक राजनीतिक देश मे क्रिश्चियन अल्पसंख्यको के साथ हो रही, उसके मद्देनजर  समय आ गई है जागो क्रिश्चियन जागो  संवैधानिक तरीके से संगठित हो अपने धर्म और समुदाय के लिये ,अभी नहीं तो कभी नहीं.ज्यादा से ज्यादा इस घटना की घोर निंदा की जानी चाहिए.


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