आलोक कुमार
पटना.तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं.अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं..दोनों का कार्यकाल समतुल्य ही रहा, मसलन लोकतंत्र खतरे में है.उस समय छात्र नेता के रूप में बड़े भाई लालू प्रसाद यादव नेतृत्व कर रहे थे.बाद में लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नेतृत्व मिला.इस समय छोटे भाई नीतीश कुमार नेतृत्व कर रहे हैं. इस समय लोकनायक जयप्रकाश नारायण के बदले में वैकल्पिक नेता का अभाव है?वहीं मौजुदा समय में नेता एक दूसरे के धुर विरोधी बन गए हैं.बावजूद,इसके ' हम साथ है' नारे के साथ पटना में एक साथ 23 जून को विपक्षी नेता बैठक में शामिल होने के लिए आ रहे हैं.
पटना में विपक्षी दलों की बैठक 23 जून को होगी. इस बैठक में राहुल गांधी, ममता बनर्जी समेत कई अन्य सियासी दिग्गजों का जुटान हो रहा है. पटना में होने वाली इस बैठक में कई ऐसे नेता एक साथ बैठेंगे जो सियासी मैदान पर एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं.पटना में विपक्षी दलों की बैठक का दिन तय हो गया है. 12 जून के बदले अब 23 जून को विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी.
विपक्षी दलों के नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के पद पर तीसरी बार बैठकर तिकड़ी बनाने के मूड में नहीं है. आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत से दूर रखने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू ने अधिकृत किया है. इस बैठक का नेतृत्व भी नीतीश कुमार ही करेंगे. वही इस बैठक में आपस में धुर राजनीतिक विरोधी रहे नेता भी एक साथ दिखेंगे.
पटना में आगामी 23 जून दिन शुक्रवार को विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं का जुटान होगा. मिशन 2024 को लेकर अहम बैठक होने जा रही है. पहली बार विपक्षी एकता को लेकर कोई बड़ी बैठक हो रही है जिसमें कई सियासी दिग्गज शामिल होंगे. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे. बैठक के बारे में विस्तार से जानकारी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रेस काँफ्रेंस के जरिए बुधवार को दी.
इस बैठक में कई सियासी दिग्गज एक साथ दिखेंगे. अगर राजनीतिक सफर को देखा जाए तो इनमें कई ऐसे हैं जो सियासी मैदान में एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं. लेकिन भाजपा के खिलाफ हो रही इस बैठक में वो एक साथ आ रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस बैठक में हिस्सा लेंगी. ममता बनर्जी बंगाल में कांग्रेस के खिलाफ हुंकार भरती हैं. बंगाल की सियासत में वामदल भी उनके विरोध में रहते हैं. लेकिन पटना में वामदलों के दिग्गज उनके साथ दिखेंगे.
पटना में 23 जून को होगी विपक्षी दलों की महाबैठक, राहुल गांधी के शामिल होने पर ललन सिंह ने कही ये बात अखिलेश यादव व केजरीवाल कांग्रेस नेताओं के साथ दिखेंगे बात सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की करें तो इस बैठक में वो अपने धूर विरोधी कांग्रेस के नेताओं के साथ दिखेंगे. उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और सपा आमने-सामने दिखती है. वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल भी अपने धूर विरोधी कांग्रेस के साथ बैठक में दिखेंगे.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री व डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन इस बैठक में शामिल होंगे. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे व एनएसीपी प्रमुख शरद पवार से वैचारिक व सियासी मतभेद के बाद भी एकसाथ सभी दिखेंगे. बता दें कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अब एक साथ हुए हैं.
लोकसभा में 545 सीट था.इसमें 84 सीट अनुसूचित जाति,47 सीट अनुसूचित जनजाति और 2 सीट एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए आरक्षित था.एंग्लो इंडियन समुदाय के 2 आरक्षित सीट को समाप्त कर दिया गया है.अब 545 सीट पर चुनाव होगा.विपक्षी दलों की एकजुटता का उद्देश्य माना जाता है कि लोकसभा के 543 सीट पर अलग-अलग अगर उम्मीदवार उतारते हैं तो इसका फायदा भाजपा प्रत्याशी को मिलता है. वोटों के बिखराव को रोककर भाजपा को पटखनी देने की प्लानिंग विपक्षी एकजुटता का उद्देश्य है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच छिड़े विवाद या अन्य मुद्दों पर एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ मजबूती से विपक्षी दलों के द्वारा सामना करने के लिए सभी एक दिखते रहे हैं.
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