विपक्षी एकता की धुरी बनते अखिलेश

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विपक्षी एकता की धुरी बनते अखिलेश

मणेंद्र मिश्रा 'मशाल

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की स्वीकार्यता राष्ट्रीय राजनीति में लगातार बढ़ रही है.  आम चुनाव के पहले विपक्षी एकता की धुरी के रुप में अखिलेश यादव जी स्थापित हो रहे हैं.  इस दिशा में इस वर्ष के शुरुआत में ही अभियान शुरू हो गया. 

जनवरी में तेलंगाना के खम्मम में मुख्यमंत्री  के चंद्रशेखर राव ने अपने राजनैतिक दल भारत राष्ट्र समिति के भव्य आयोजन में श्री अखिलेश यादव को आमंत्रित कर समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में आवश्यकता को बल दिया.  जिसमें केरल,दिल्ली, पंजाब के मुख्यमंत्री सहित अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल हुऐ. 

मार्च में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री एम के स्टालिन ने द्रमुक के आयोजन में श्री अखिलेश यादव को चेन्नई आमंत्रित किया था. जिसमें अखिलेश जी ने दक्षिण और उत्तर भारत की सामाजिक एका पर जोर देते हुऐ लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई. इस आयोजन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे,  नेशनल कांफ्रेंस के नेता जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला, राजद राष्ट्रीय अध्यक्ष  तेजस्वी यादव सहित अन्य प्रमुख राजनीतिज्ञों ने विपक्षी एकता के स्वर को मजबूत किया. 

मार्च महीने में कलकत्ता में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में श्री अखिलेश यादव से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने भेंट कर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय फैलाव की शुभकामनाएं प्रेषित किया. 

अप्रैल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डीएमके कार्यालय के उदघाटन कार्यक्रम में कांग्रेस सुप्रीमों श्रीमती सोनिया गांधी, लेफ्ट से श्री सीताराम येचुरी, श्री डी राजा सहित अन्य समान विचार वाले दलों के प्रमुखों ने आपसी एकता की दिशा में सार्थक विर्मश किया. 

अप्रैल में ही बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी यादव का लखनऊ समाजवादी पार्टी प्रदेश कार्यालय आकर विपक्षी एकता को मजबूत करना श्री अखिलेश यादव की सशक्त भूमिका को दर्शाता है. 

कल जून के पहले सप्ताह में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान का लखनऊ समाजवादी पार्टी कार्यालय में श्री अखिलेश यादव से भेंट कर दिल्ली अध्यादेश के विरोध में समर्थन मांगना सपा की मजबूती को ही दर्शाता है. 

इस वर्ष गैर भाजपा दलों के समर्थन में जिस प्रकार अखिलेश यादव जी अनिवार्य नेता के तौर पर उभरे हैं उसके पीछे लगभग पंद्रह वर्षो तक बतौर सांसद और देश के सबसे बड़े प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रुप में ऐतिहासिक कार्यकाल है. 

आज देश में किसान, नौजवान, महिलाएं सहित रोजी- रोटी से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति परेशान है.  महंगाई चरम पर है.  जनता को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही है.  ऐसे में आगामी आम चुनाव में विपक्षी एकता ही जनता के सवालों पर लड़ाई लड़ते हुए बदलाव ला सकती है.  इस जनादेश में सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव की भूमिका बेहद अहम होगी.  उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ही विपक्ष की ओर से जनता के सामने मजबूत विकल्प प्रस्तुत करेगी. 


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