प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ा पुल

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प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ा पुल

आलोक कुमार

पटना.सुल्तानगंज को खगड़िया (अगुवानी) से जोड़ने वाले निर्माणाधीन अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु का कुछ हिस्सा गंगा नदी में समा गया. रविवार शाम 6:15 बजे अचानक भरभराकर गिर गया. 1710 करोड़ की लागत से एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी इस पुल को बना रही है. अगुवानी की ओर से पिलर संख्या 12, 11, 10 और 9 का आधा हिस्सा ध्वस्त हो गया. पिलर संख्या 12, 11 और 10 एक-दूसरे से लिवर से जुड़े थे. पुल के 170 से अधिक स्पैन ढह गए.

इस संदर्भ में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की नीतीश कुमार की महत्वांकाक्षा पूरी करने की चक्कर में भेंट चढ़ गया 1710 करोड़ का महासेतु. मोदी ने कहा कि कुछ लोगों की प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा पूरा करने के लिए निर्माण विभाग के ठेकेदारों को पहले से ज्यादा चढ़ावा देना पड़ रहा है, जिससे हर निर्माण में कम और घटिया सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है. मोदी ने कहा कि अगुवानी-सुल्तानगंज महासेतु के शिलान्यास के समय मुख्यमंत्री ही पथ निर्माण विभाग के भी मंत्री थे और पुल का टेंडर भी उन्हीं के समय हुआ था.

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जब लगातार पुल निर्माण की मानीटरिंग कर रहे थे, तब आज किससे पूछ रहे हैं कि काम अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ?उन्होंने कहा कि महासेतु का हिस्सा बार-बार ढहने के मामले की जाँच किसी बाहरी टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी से करायी जानी चाहिए.श्री मोदी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग में लंबे समय से जमे प्रधान सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पुल संबंधी जाँच प्रक्रिया से बिल्कुल अलग रखा जाए.श्री मोदी कहा कि यदि पुल का डिजाइन गलत था, तो उस पर काम करने की स्वीकृति किसने दी?

उन्होंने कहा कि नौ माह पहले सुल्तानगंज महासेतु का पाया ढहने पर भी समीक्षा हुई थी, लेकिन पूरे मामले पर लीपापोती हो गई. आइआइटी रुड़की की टीम को जांच करने में कई महीने क्यों लग गए? मोदी ने कहा कि हमने पूरे मामले पर जो सवाल उठाये, उनमें से किसी का जवाब सरकार नहीं दे पायी.

यह देखा जा रहा था कि पुल के गिरने की लाइव तस्वीरें लोगों ने अपने मोबाइल में कैद की.ये काफी डरावना और दिल को दुखाने वाला है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से मामले की डिटेल जानकारी ली.उन्होंने पुल के सुपर स्ट्रक्चर के गिरने की घटना की जांच कराने के बाद दोषियों पर कठोर कार्रवाई की निर्देश दिए.

       उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव ने देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हालात की जानकारी दी.बताया जा रहा है कि एक गार्ड लापता है.रविवार होने की वजह से पुल पर काम नहीं चल रहा था.1710 करोड़ की लागत से एसपी सिंगला कंपनी इस पुल का निर्माण कर रही थी.

       स्थानीय लोगों के अनुसार पिलर संख्या 10, जिसपर डॉल्फिन पर्यवेक्षण केंद्र बनना था, वो बीच से फटते हुए अपने साथ तीन और पिलरों को लेकर गिर गया.काम करने वाले एक कर्मी ने मीडिया को बताया कि उस जगह पर ट्रिपल ओ साइज के पाए बनाए थे.अगुवानी-सुल्तानगंज फोरलेन पुल का पिलर (पिलर) संख्या 10) जहां ध्वस्त हुआ, वहीं एशिया के डॉल्फिन ऑब्जर्वेशन सेंटर का निर्माण होना था.पिलर संख्या 10 पर बनने वाले डॉल्फिन ऑब्जर्वेशन सेंटर को चार मंजिला बनाया जाना था. उसके लिए मिडिल पिलर का निर्माण हो चुका था.


* सुल्तानगंज-अगुवानी पुल का एक हिस्सा गिर गया

* आठ साल से चल रहा पुल का निर्माण कार्य

* पुल निर्माण का काम 2 मई 2015 से शुरू हुआ

* 29 अप्रैल 2022 को भी पुल का हिस्सा गिर गया था

* फोरलेन पुल की लंबाई 3.17 किलोमीटर है

* पुल की कुल लागत 1710.77 करोड़ रुपए

* बीच गंगा में डॉल्फिन पर्यवेक्षण केंद्र का निर्माण होना था

* पुल के पहुंच पथ का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है

अगुवानी-सुल्तानगंज पुल 2019 में ही बनकर तैयार होना था. पिछले साल 29 अप्रैल की रात आंधी आने के कारण पिलर संख्या 4, 5 और 6 को जोड़ने वाला सुपरस्ट्रक्चर गिर गया था. इसके बाद एक साल के लिए डेडलाइन को बढ़ा दिया गया. बाद में फाइनल डेडलाइन दिसंबर 2023 कर दिया गया. मगर अब एक बार फिर से पुल का स्ट्रक्चर गिर गया.

      बिहार के भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा पुल रविवार (5 जून) को भरभराकर गिर गया. इस हादसे में पुल पर तैनात एक गार्ड भी नदी में गिर गया था और तब से गायब है. SDRF के टीमें लापता गार्ड को खोजने की कोशिश कर रही हैं लेकिन अभी तक उसका कोई पता नहीं चला है. उधर गार्ड के परिजन भी उसे खोजने में लगे हैं. वे गार्ड की तस्वीर दिखाकर लोगों से उसकी जानकारी जुटा रहे हैं. वहीं लापता गार्ड की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है. 

   परिजनों ने प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिलने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि उसकी ड्यूटी पुल पर ही लगी थी. पुल गिरने के समय भी वह पुल पर ही मौजूद था. पुल गिरने के बाद से लापता है. उसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. वहीं हादसे के बाद पुल का निर्माण करने वाली कंपनी के सभी कर्मचारी और अधिकारी मौके से फरार बताए जा रहे हैं. 

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