बाबासाहेब की प्रतिमा प्रांगण में उपवास

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बाबासाहेब की प्रतिमा प्रांगण में उपवास

आलोक कुमार

पटना.नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह में देश के राष्ट्रपति को ना बुलाकर प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण किया जाना राष्ट्रपति के पद का अपमान है. इस बीच देश को नया संसद भवन मिल गया.इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया.वहीं, इस नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का देश के विपक्ष में बैठी 21 पार्टियों ने विरोध कर रही है. इसी कड़ी में बिहार में सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू के तरफ से इस नए संसद भवन का उद्घाटन समारोह का विरोध किया जा रहा है.

 देश की सम्मानित आदिवासी महिला राष्ट्रपति के इस अपमान के खिलाफ  जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के नेतृत्व में पार्टी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने पटना के बेली रोड स्थित बाबासाहेब की प्रतिमा प्रांगण  में उपवास रखी.

    जेडीयू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बजाय राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू के हाथों ने संसद भवन का उद्घाटन की मांग करते हुए अपना विरोध जता रही है.इसी कड़ी में आज जदयू ने एक दिवसीय उपवास का ऐलान किया जिसमें पार्टी के तमाम नेता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की मूर्ति के नीचे बैठकर अनशन किए.

     दरअसल, जेडीयू का कहना है कि नए संसद भवन का लोकार्पण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाया जाना चाहिए.  लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, जो कि संसदीय परंपराओं का अपमान है. अब इसी के विरोध में जनता दल यूनाइटेड ने रविवार को उपवास रखी.इसमें नेता-कार्यकर्ता और पार्टी पदाधिकारी बेली रोड स्थित अंबेडकर की मूर्ति के नीचे उपवास रखें.राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी इस दौरान वहां मौजूद रहें. नए संसद भवन के लोकार्पण समारोह में देश के राष्ट्रपति को ना बुलाकर प्रधानमंत्री द्वारा लोकार्पण किया जाना राष्ट्रपति के पद का अपमान है.

मालूम हो कि, इससे पहले शनिवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था, मुझे लगता है कि अभी नए संसद भवन की जरूरत ही क्या थी.अगर जगह कम पड़ रही थी, उसी को एक्सटेंड कर देना चाहिए. मुझे तो लगता है कि भाजपा द्वारा देश के इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है, जोकि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और दुःखद है.

आपको बताते चलें कि, इस नए संसद भवन उद्घाटन समारोह का जेडीयू के अलावे कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, एमडीएमके आप, शिवसेना (उद्धव गुट), सपा, सीपीआई, सीपीएम, जेएमएम, आरएलडी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), एआईएमआईएम, एआईयूडीएफ, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची समेत 21 दलों के तरफ से विरोध की जा रही है.

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