आनंद मोहन 27 अप्रैल को जेल से रिहा होंगे

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आनंद मोहन 27 अप्रैल को जेल से रिहा होंगे

आलोक कुमार 

पटना.आज 26 अप्रैल को पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह सहरसा जिला जेल जाएंगे.डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काटने वाले पूर्व सांसद 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिए जाएगे. इस बारे में बिहार सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है. वह बेटे के शादी के लिए जेल से तीसरी बार पेरोल पर बाहर आए थे.किसी बन्दी व्यक्ति को उसकी सजा की अवधि पूरी होने के पहले ही अस्थाई रूप से रिहा करने को पेरोल (Parole) कहते हैं.पेरोल कुछ शर्तों के अधीन दिया जाता है.

    मालूम हो कि पूर्व सासंद आनंद मोहन 15 दिनों के पेरोल पर जेल से बाहर आए हुए हैं. इस दौरान वह अपने बेटे की सगाई और शादी में हिस्सा लेंगे. आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद की शादी 3 मई को है. सगाई सोमवार को पटना के विश्वनाथ फार्म में हुई .

    इसको लेकर राजनीतिक क्षेत्र में भूचाल आ गया है.किसी का कहना है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह बलि का बकरा बन गए है.आज आनंद मोहन के बहाने सरकार मानवीय होने का मुखौटा लगा कर जिन 27 अपराधियों को छोड़ने जा रही है, उनमें 7 ऐसे हैं, जिन्हें हर महीने स्थानीय थाने में अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी.इसे आगामी लोकसभा चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.

        पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के बहाने अन्य 26 ऐसे दुर्दांत अपराधियों को भी रिहा करने का फैसला किया, जो एम-वाई समीकरण में फिट बैठते हैं और जिनके बाहुबल का दुरुपयोग चुनावों में किया जा सकता है.

         केवल विपक्ष ही सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम को बैकफुट पर लाने का प्रयास कर रहे हैं बल्कि महागठबंधन के घटक माले ने भी मोर्चा खोल दिया है.भदासी (अरवल) कांड के टाडाबंदियों की रिहाई के सवाल पर सरकार चुप क्यों?14 वर्ष से अधिक की सजा काट चुके बंदियों की रिहाई के मामले में सरकार का रवैया भेदभावपूर्ण है.टाडा के तहत गलत तरीके से फंसाए गए भदासी कांड के शेष बचे बंदियों को अविलंब रिहा किया जाए.

     भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा है कि बिहार में केवल चुनिन्दा कैदियों की रिहाई क्यूँ? 14 साल से अधिक जेल में पूरा कर चुके 27 कैदी जब छोड़े जा रहे हैं तो अरवल के छह ग्रामीण गरीबों के आंदोलनकारी कार्यकर्ता - कॉमरेड जगदीश यादव, चुरामन भगत, अरविंद चौधरी, अजित साव, लक्ष्मण साव, श्याम चौधरी को जेल में 22 साल से अधिक बिताने के बावजूद रिहा नहीं किया जा रहा है ! 

वे उन 14 कॉमरेडों में से जीवित हैं, जिनको टाडा के तहत 2003 में न्याय का मखौल उड़ाते हुए सजा दे दी गयी थी. इन में से छह टाडा बंदी- कॉमरेड शाह चाँद, मदन सिंह, सोहराय चौधरी, बालेश्वर चौधरी, मंहगू चौधरी और माधव चौधरी की पहले ही जेल में मृत्यु हो चुकी है. 

     केवल एक टाडा बंदी- कॉमरेड त्रिभुवन शर्मा को उच्च न्यायालय द्वारा 2020 में रिहा किया गया था. तब से तीन वर्ष बीत गए हैं, एक और टाडा बंदी की जेल में मृत्यु हो चुकी है और अब कैदियों की इस चुनिंदा रिहाई से बिहार की जेलों में दो दशक से अधिक काट चुके, इन पीड़ितों के साथ फिर अन्याय किया गया है. कैदियों की रिहाई की नीति न्यायपूर्ण और पारदर्शी होनी चाहिए. टाडा के सभी बंदियों को रिहा करो. शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद सभी उत्पीड़ित गरीबों को रिहा करो.इसके आलोक में भाकपा माले 28 अप्रैल को पटना में इस मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करेगी.

  बता दें कि राज्य सरकार ने इसी साल 10 अप्रैल को जेल नियमावली में एक संशोधन किया और उस खंड को हटा दिया, जिसमें अच्छा व्यवहार होने के बावजूद सरकारी अफसरों के कातिलों को रिहाई देने पर रोक थी. राज्य गृह विभाग ने बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए में संशोधन की जानकारी एक नोटिफिकेशन जारी करके दी थी. आरोप हैत कि राज्य सरकार ने ये बदलाव किया ही इसलिए है ताकि कुख्यात आनंद मोहन की रिहाई हो सके. क्योंकि इससे पहले तक सरकारी अफसरों के कत्ल के दोषियों को रिहा नहीं किया जा सकता था. 

 गौरतलब है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन पर गोपालगंज के तत्कालीन डीएम कृष्णैय्या के हत्या का आरोप है. इसके चलते ही वह जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. मुजफ्फरपुर कोर्ट ने आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई थी. ऊपरी कोर्ट ने सजा में छूट देते हुए इसे उम्रकैद में बदल दिया था.

     बिहार में नीतीश सरकार द्वारा बाहुबली आनंद मोहन को जेल से रिहा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.1994 में मारे गए गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने नीतीश सरकार के इस फैसले पर नाखुशी जताते हुए बाहुबली को रिहा करने पर सवाल उठाया है.आनंद मोहन डीएम कृष्णैया की मॉब लिंचिंग के आरोप में जेल में बंद थे.उमा देवी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दखल देने की मांग की है.

   उमा देवी ने कहा कि एक ईमानदार अधिकारी की हत्या करने वाले को रिहा कर दिया गया है.उमा देवी ने भी आनंद मोहन की रिहाई को अन्याय करार दिया और कहा कि बिहार सरकार ने गलत फैसला किया है. तेलंगाना में जन्मे दलित आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या 1994 में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट थे.जब उनका वाहन बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहा था तब भीड़ ने उन्हें पीटा और गोली मार दी थी.इस भीड़ की अगुवाई आनंद मोहन कर रहे थे.मुजफ्फरपुर कस्बे में मारे गए.खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के दौरान हिंसा भड़क गई थी.इसी दौरान ये वारदात हुई थी.

         नाराज उमा देवी ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. उमा देवी ने कहा कि एक ईमानदार अधिकारी के हत्यारे को छोड़ा जा रहा है. इससे पता चलता है कि राज्य में कानून व्यवस्था की क्या स्थिति है. उमा देवी ने राजपूत और अन्य समुदायों से गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करने की भी अपील की.उमा देवी ने कहा कि उसे रिहा नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि फांसी दी जानी चाहिए.

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