लोक सभा जीतने के लिए हुआ था पुलवामा?

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लोक सभा जीतने के लिए हुआ था पुलवामा?

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! जम्मू-कश्मीर समेत चार रियासतों के गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक ने इल्जाम लगाया है और जम्मू कश्मीर से मुताल्लिक जो अहमतरीन खुलासे किए हैं.  उनसे तो साफ इशारा मिलता है कि 2019 का लोक सभा एलक्शन जीतने के मकसद से इस मामले में वजीर-ए-आजम मोदी और उनकी पार्टी ने जो रवैय्या अख्तियार किया था वह सरकार की ऊपर से नीचे तक की मुजरिमाना लापरवाई जाहिर करता है.  यह भी शक पैदा होता है कि सरकार इस शर्मनाक हादसे की साजिश में महज एक एलक्शन जीतने के लिए शामिल थी, जो भी हकीकत हो देश के लिए मलिक का खुलासा इंतेहाई शर्मनाक और खतरनाक है.  सत्यपाल मलिक अगर गलत बयानी कर रहे हैं तो उनके खिलाफ देशद्रोह जैसा सख्त मुकदमा चलना चाहिए वर्ना वजीर-ए-आजम मोदी और एनएसए डोभाल को इस्तीफा दे देना चाहिए.  साबिक गवर्नर मलिक ने साफ-साफ कहा है कि सीआरपीएफ जवानों के मूवमेंट के लिए होम मिनिस्ट्री से हवाई जहाज मांगे गए जो नहीं दिए गए.  पूरे रूट को सेनेटाइज नहीं किया गया.  सड़क पर सिक्योरिटी के बंदोबस्त नहीं थे.  तीन-साढे तीन सौ किलोग्राम आरडीएक्स भरी हुई कारकपवाला चैराहे के इर्दगिर्द घूूमती रही और आखिर में अपना काम कर गई. 

सत्यपाल मलिक कहते हैं कि हादसे के बाद जब वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी से मेरी बात हुई तो उन्होने इस मसले पर मुझे खामोश रहने की हिदायत दी.  उनके बाद नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर अजित डोभाल ने भी मुझे इस मसले पर खामोश रहने केे लिए ही कहा.  धमाके के बाद सत्यपाल मलिक ने इंटेलीजेंस की गलती बताई थी.  मोदी का जेहन चूंकि हमेशा एलक्शन जीतने में लगा रहता है.  इसीलिए सत्यपाल मलिक को खामोश करके वह अपनी एलक्शन हिकमते अमली में मसरूफ हो गए.  पाकिस्तान पर स्ट्राइक भी इसी हिकमते अमली का हिस्सा थी. 

पीएम मोदी बेईमानी और बदउनवानी के खिलाफ रोजाना बयानबाजी करते हैं लेकिन गवर्नर मलिक के मुताबिक मोदी को बेईमान की जरा भी फिक्र नहीं वह बेईमानी और बेईमानों से न तो नफरत करते हैं न उन्हें अपने से दूर रखते हैं वह तो बस हमेशा एलक्शन में मस्त रहने वाले शख्स हैं और एलक्शन के लिए पैसा भी तो चाहिए.  मलिक कहते हैं कश्मीर में उनके पास आरएसएस और बीजेपी के एक बडे़ लीडर जो कश्मीर मामलात के इंचार्ज थे राम माधव और इण्डियालिस्ट दो फाइलों को मंजूरी दिलाने आए थे दोनों में तीन सौ करोड़ रूपयों की पेशकश भी मुझसे की गई थी.  राम माधव एक थर्मल पावर की मंजूरी चाहते थे दूसरा काम था रिलायंस को हम फसल बीमा स्कीम के काम को मंजूरी दे दूं और तीन सौ करोड़ की रिश्वत ले लूं मैने नहीं किया दिल्ली जाकर पीएम मोदी से शिकायत की तो उन्होने कहा कि बेईमानी बिल्कुल नहीं होने देना.  उन्होने यह कह तो दिया लेकिन मुझे कश्मीर से गोवा भेज दिया गया.  वहां भी मैने सरकार की करोड़ों की बेईमानी पकड़ ली.  फिर पीएम मोदी से शिकायत की तो बेईमानों का कुछ नहीं हुआ, मुझे जरूर गोवा से मेघालय भेज दिया गया.  क्या पीएम मोदी की बेईमानी के लिए यही जीरो टालरेंस है.  सत्यपाल मलिक ने एक और खतरनाक बात बताई वह यह कि मौजूदा राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू अपनी मर्जी से किसी से मिल नहीं सकती उनसे मुलाकात का वक्त मांगने वालों की फेहरिस्त वजीर-ए-आजम मोदी की इजाजत से फाइनल की जाती है. 

मोदी सरकार, भारतीय जनता पार्टी और जम्मू कश्मीर में सियासी हलचल मचा सकने का माद्दा रखने वाले इस इंटरव्यू में जम्मू कश्मीर में दफा 370 हटने और रियासत का दर्जा छिनने के पहले आखिरी गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक ने कहा, ‘मैं सेफली (महफूज तौर से) कह सकता हूं कि वजीर-ए-आजम मोदी  को बेईमानी से बहुत नफरत नहीं हैं. ’ मलिक, जो फरवरी 2019 के पुलवामा दहशतगर्दी हमले और उसी साल अगस्त में दफा 370 को खत्म करने के दौरान गवर्नर थे, उन्होंने यह भी कहा कि वजीर-ए-आजम को कश्मीर के बारे में ‘गलत जानकारी’ है और वह वहां से बेखबर हैं.  साथ ही उन्होंने उन्हें (मलिक को) मरकजी होम मिनिस्ट्री की चूकों, जिनकी वजह से फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर जानलेवा हमला हुआ, के बारे में बोलने से मना किया था.  तकरीबन एक घंटे के इस इंटरव्यू में मलिक ने खुलासा किया कि पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमला भारतीय सिस्टम, खुसूसन सीआरपीएफ और होम मिनिस्ट्री की नाअहली और लापरवाई का नतीजा था.  उस वक्त राजनाथ सिंह होम मिनिस्टर थे. 

मलिक ने तफसील से बताया कि कैसे सीआरपीएफ ने अपने जवानों को ले जाने के लिए हवाई जहाज की मांग की थी लेकिन मरकजी होम मिनिस्ट्री ने इनकार कर दिया था.  उन्होंने यह भी बताया कि कैसे रास्ते में असरदार तरीके से सिक्योरिटी का इंतजाम नहीं किया गया था.  इससे भी अहम बात उन्होंने यह कही कि उन्होंने इन सभी चूकों को सीधे पीएम मोदी के सामने उठाया, जब उन्होंने (मोदी ने) उन्हें पुलवामा हमले के फौरन बाद कार्बेट पार्क के बाहर से मुझे बताया था.  उन्होंने कहा कि वजीर-ए-आजम ने उनसे इस बारे में खामोश रहने और किसी को न बताने को कहा था.  इसके अलावा मलिक ने कहा कि एनएसए अजीत डोभाल ने भी उन्हें खामोश रहने और इस बारे में बात न करने के लिए कहा था.  मलिक ने कहा कि उन्हें फौरन एहसास हुआ कि यहां इरादा पाकिस्तान पर कुसूर मढ़ना और सरकार और बीजेपी के लिए चुनावी फायदा पाना था.  मलिक ने यह भी कहा कि पुलवामा वाक्ए में संगीन खुफिया चूक भी हुई थी क्योंकि तीन-साढे तीन सौ किलोग्राम आरडीएक्स ले जाने वाली कार पाकिस्तान से आई थी, लेकिन बगैर किसी की नजर में आए या जानकारी के दस-पन्द्रह दिनों तक जम्मू कश्मीर की सड़कों और गांवों में घूम रही थी. 

मलिक ने इस बातचीत में यह भी बताया कि उन्होंने सत्तासी (87) मेम्बरान असम्बली में से छप्पन (56) की अक्सरियत का दावा करने के बावजूद महबूबा मुफ्ती को नई सरकार क्यों नहीं बनाने दी और उन्होंने नवंबर 2018 में ही असम्बली को तहलील (भंग) क्यों किया.  एक मौके पर उन्होंने महबूबा मुफ्ती पर झूठ बोलने का इल्जाम भी लगाया.  एक दूसरी जगह पर उन्होंने कहा कि वह पार्टियां- जैसे नेशनल कान्फ्रेंस जिनकी हिमायत का मुफ्ती दावा कर रही थीं, वह उन्हें अलग से असम्बली तहलील करने के लिए कह रही थीं क्योंकि उन्हें मेम्बरान असम्बली की खरीद-फरोख्त का डर था. 

मलिक ने आगे बताया कि कैसे जब वह जम्मू कश्मीर के गवर्नर थे, तो बीजेपी-आरएसएस लीडर राम माधव ने एक पनबिजली प्रोजेक्ट और एक रिलायंस बीमा स्कीम को मंजूरी देने के लिए उनसे राब्ता किया था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था कि ‘मैं गलत काम नहीं करूंगा. ’ उन्होंने बताया कि माधव एक सुबह सात बजे हमसे मिलने पहुंचे थे ताकि हमारा मन बदल सके. मलिक ने कहा कि उस वक्त लोग उनसे कह रहे थे कि दोनों प्रोजेक्टोें को मंजूरी देने के लिए उन्हें तीन सौ (300) करोड़ रुपये मिल सकते थे.  मलिक ने आगे जोड़ा कि वजीर-ए-आजम कश्मीर के बारे में लाइल्म हैं और गलत जानकारी रखते हैं.  उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर से मुकम्मल प्रदेश का दर्जा वापस लेना गलती थी और इसे जल्द से जल्द सुधारा जाना चाहिए.  उन्होंने कहा कि वजीर-ए-आजम अपने में मस्त हैं. ’ मोदी के बारे में मलिक ने कहा कि वजीर-ए-आजम को बदउनवानी की जरा भी फिक्र नहीं है.  उन्होंने कहा कि उन्हें अगस्त 2020 में गोवा के गवर्नर के ओहदे से हटा दिया गया और मेघालय भेजा गया था क्योंकि हमने गोवा में बदउनवानियों के कई मामलों को पीएम मोदी के इल्म में लाया था जिसे सरकार ने निपटने के बजाय अनदेखा करना चुना था. 

सत्यपाल मलिक ने इल्जाम लगाया कि वजीर-ए-आजम के आसपास के लोग बेईमानी में डूबे हुए हैं और अक्सर पीएमओ के नाम का इस्तेमाल करते हैं.  मलिक ने कहा कि उन्होंने यह सब मोदी को बताया था, लेकिन उन्होंने इसकी परवा नहीं की.  इसीलिए मैं महफूज तौर से कह सकता हूं कि प्राइम मिनिस्टर को बदउनवानी (भ्रष्टाचार) से कोई नफरत नहीं है. ’ मलिक ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जरिए तय की जानी वाली तमाम मुलाकातों की पीएमओ के जरिए जांच की जाती है.  उन्होंने कहा कि जब वह गवर्नर थे तब राष्ट्रपति के जरिए की गई मुलाकात को ऐन वक्त पर तब रद्द कर दिया गया था जब वह राष्ट्रपति भवन के रास्ते में थे. 

उनका कहना है कि वजीर-ए-आजम ने बीबीसी मामले को संभालने में बड़ी गलती की है.  मलिक ने पीएम और उनके कई वजीरों के जरिए मुसलमानों के साथ किए जा रहे बर्ताव की सख्त तनकीद की.  उनका यह भी कहना था कि अडानी ग्रुप पर लगे इल्जामात की वजह से पीएम मोदी को संगीन नुकसान हुआ है यह बात गांवों तक पहुंच चुकी है, जिससे अगले आम चुनावों में बीजेपी को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर अगर अपोजीशन बीजेपी के खिलाफ एक भी उम्मीदवार खड़ा कर दे.  ऐसा 1977 के लोक सभा चुनावों में अपोजीशन पार्टियों ने किया भी था. ऽमलिक ने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी को पार्लियामंेट में बोलने की इजाजत न देना एक बहुत बडी़ गलती थी.  राहुल गांधी ने अडानी घोटाले पर सही सवाल उठाया, जिसका वाजेह तौर से वजीर-ए-आजम जवाब नहीं दे सके.  मलिक ने मोदी सरकार पर ‘थर्ड क्लास’ लोगों को गवर्नर मुकर्रर करने का भी इल्जाम लगाया.  मलिक ने अपनी बात यह कहते हुए खत्म की कि वह प्राइम मिनिस्टर के बारे में अपने कहे हर लफ्ज के साथ खड़े हैं और इसका क्या नतीजा होगा, उसकी परवा नहीं करते.  हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें जितनी मिलनी चाहिए उससे कम सिक्योरिटी दी गई है- मगर उन्हें इसकी भी फिक्र नहीं है. 


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