आलोक कुमार
पटना.नीतीश सरकार पर समाज के सबसे दबे-कुचले व सामाजिक न्याय की प्रबल दावेदार बिहार के ढाई लाख रसोइयों के साथ अन्याय करने तथा उनके हक-अधिकार की मांगों से भागने का आरोप लगाते हुए कानून का राज और महिला सशक्तीकरण का ढोंग बन्द करने को कहा गया है. बिहार में कार्यरत विद्यालय रसोइया जिनमें करीब 95 प्रतिशत महिलाएँ हैं, समाज के कमजोर, दलित, अतिपिछड़ा समुदाय से आती हैं जिनमें बड़ी संख्या में विधवाएं है. रसोइयों जैसा काम करनेवाले घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम 6109रु. मजदूरी लागू है जबकि मात्र 1650रु. मासिक दिया जा रहा है. वह भी साल में महज 10 माह के लिए. यह जीवनयापन के लिए जरूरी न्यूनतम राशि से भी बहुत कम है.
बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ, ऐक्टू व अन्य रसोइया संगठनों के बैनर तले सरकारी कर्मचारी घोषित करने, मानदेय 21 हजार रूपए करने व बारहों महीने का मानदेय देने सहित अन्य मांगों पर बिहार के सभी जिलों से आए हजारों रसोइया ने आज बिहार विधानसभा का घेराव और विधानसभा के समक्ष प्रदर्शन किया.
इस प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए बिहार राज्य विद्यालय रसोइयां संघ के महासचिव सरोज चौबे ने कहा कि बिहार में रसोइयों को महज 1650 रूपया मानदेय के रूप में मिलता है. जबकि बगल के झारखंड व उत्तर प्रदेश में 2000 रूपए प्रतिमाह मानदेय मिलता हैं.विद्यालयों में रसोइयों को अपमानजनक व्यवहार सहन करना पड़ता है.बार - बार निकाल देने की धमकी दी जाती है. 9 बजे से 4 बजे तक काम करना पड़ता है फिर भी पार्ट टाइम वर्कर कहा जाता है.
सरोज चौबे ने कहा कि जबसे केन्द्र में भाजपा सरकार आई है रसोइयों का एक पैसा भी मानदेय नहीं बढ़ा है.ऊपर से कोरोना काल का फायदा उठाकर मध्यान्ह भोजन योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री पोषण योजना कर दिया गया और उसकी समय सीमा 5 साल सीमित कर दी गई.जबकि मध्यान्ह भोजन योजना नियमित चलनेवाली योजना थी.कोरोना काल में कोरेन्टाइन सेंटरों में काम करने वाली रसोइयों को न तो मेहनताना दिया गया और न ही मृत रसोइयों को मुआवजा.
वहीं रसोइयों के विधानसभा का घेराव और प्रदर्शन को संबोधित करते हुए आल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक,शशि यादव ने कहा कि बढ़ी हुई मंहगाई में और घटते रोजगार की स्थिति में रसोइयों के परिवार की स्थिति खस्ताहाल है। श्रम कानूनों को बदलकर कोड बनाए जाने पर रसोइयों की हालत और खराब हो गई है। वे न मजदूर हैं न श्रमिक.उन्हें मानदेय मिलता है जो बिल्कुल असम्मान जनक है.
वही इस प्रदर्शन को संबोधित करते हुए ऐपवा की राष्टीय महासचिव मीना तिवारी ने कहा बिहार सरकार भी मध्यान्ह भोजन योजना को पहले तो कुछ जिलों में एनजीओ को सौंप दी और अब जीविका के जरिए भोजन बनवाने का प्लान बना रही है.लगभग 20 साल से काम कर रही रसोइयों के रोजगार पर भविष्य में संकट मंडरा रहा है. अगर रसोइयों के मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और तेज किया जाएगा.
वही आज बिहार विधानसभा के घेराव और प्रदर्शन को अध्यक्ष मण्डल सोहिला गुप्ता बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ, ऐक्टू, ओमप्रकाश क्रांति, ऐटक, आर के दत्ता भाकपा-माले विधायक दल के नेता कामरेड महबूब आलम , फुलवारी के विधायक गोपाल रविदास, जीरादेई के विधायक अमरजीत कुशवाहा, अगियांव के विधायक मनोज मंजिल , ऐक्टू के महासचिव आर . एन. ठाकुर, डाक्टर रमाकांत अकेला, रसोईया विभा भारती, पूनम देवी, कुन्ती देवी , दिनेश कुशवाहा, परशुराम पाठक आदि ने भी संबोधित किया.
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