बत्तीस में छह तो भाजपा के

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बत्तीस में छह तो भाजपा के

 आलोक कुमार

नई दिल्ली.सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने गांधी को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई.हालांकि, अदालत ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और उनकी सजा पर 30 दिन के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता उसके फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दे सकें.वायनाड से लोकसभा सदस्य गांधी ने 2019 के आम चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में आयोजित जनसभा में कथित तौर पर कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है'’.

लोक-प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) के मुताबिक, अगर किसी नेता को दो साल या इससे ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो उसे सजा होने के दिन से उसकी अवधि पूरी होने के बाद आगे छह वर्षों तक चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है.अगर कोई विधायक या सांसद है तो सजा होने पर वह अयोग्य ठहरा दिया जाता है.उसे अपनी विधायकी या सांसदी छोड़नी पड़ती है.

 

इसी नियम के तहत राहुल की सदस्यता चली गई.सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि सूरत की जिस अदालत ने राहुल को सजा सुनाई है, उस अदालत ने राहुल को फैसले के खिलाफ सेशंस कोर्ट में याचिका दायर करने के लिए एक महीने का समय दिया है.तब तक राहुल की सजा पर रोक है, मतलब वह इस दौरान जेल जाने से बचे रहेंगे.


उपाध्याय आगे कहते हैं सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, ऐसे मामलों में सजा निलंबित होने का मतलब दोषी को केवल जेल जाने से राहत मिलती है लेकिन सजा के अन्य असर प्रभावी रहेंगे. जैसे कि अगर कोई संसद या विधानसभा का सदस्य है तो उसकी सदस्यता चली जाएगी, वोट देने का अधिकार भी खत्म हो जाएगा.चूंकि कोर्ट ने राहुल को दोषी करार कर दिया है.इसलिए नियम के अनुसार राहुल की सदस्यता चली गई है.

  राहुल गांधी को सूरत कोर्ट ने गुरुवार को दोषी करार दिया.कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा और 15 हजार का जुर्माना भी लगाया. इसके कुछ देर बाद उसी कोर्ट ने उन्हें 30 दिन के लिए जमानत भी दे दी. मानहानि के मामले में 2 साल की जेल अधिकतम सजा है. यानी इससे ज्यादा इस मामले में सजा नहीं दी जा सकती है.

      राहुल गांधी के वकील बाबू मांगूकिया ने बताया कि मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एचएच वर्मा की कोर्ट ने राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत दोषी ठहराया था.साथ ही उन्हें जमानत दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया, ताकि उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने का मौका मिल सके.

 किस न्यायिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि कोई भी संसद, विधायक या विधान परिषद का सदस्य जो एक अपराध का दोषी पाया जाता है और जिसे न्यूनतम दो साल कारावास की सजा दी गयी है, वो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देगा?लिली थॉमस बनाम भारत सरकार.


इस लिस्ट में राहुल के अलावा आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव और रामपुर के दिग्गज सपा नेता आज़म ख़ान के नाम भी शामिल हैं.32 में छह तो भाजपा के हैं.


 वहीं अन्य नेता जो इस कानून का शिकार हुए वे हैं:


1. मोहम्मद फैजल, लक्ष्यद्वीप सांसद 

2. जगदीश शर्मा, जहानाबाद सांसद

03. रशीद मसूद, राज्यसभा MP

4. अब्दुल्ला आज़म, विधायक, स्वार

5. विक्रम सैनी, विधायक, खतौली

6. कुलदीप सिंह सेंगर, विधायक बांगरमऊ 

7. अनिल सहनी, विधायक कुढ़नी

8. अनंत सिंह, विधायक मोकामा

9. अशोक चंदेल, विधायक हमरीपुर

10. इंद्र प्रताप तिवारी, विधायक गोसाईगंज 


आपको बता दें कि एंटी डिफेक्शन लॉ के तहत 2 या 2 से अधिक साल की सजा होने पर सांसदों या विधायकों की सदस्यता ख़त्म कर दी जाती है. हालांकि राहुल ऊपरी अदालत में अभी भी अपील कर सकते हैं.

 न्यायिक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि कोई भी संसद, विधायक या विधान परिषद का सदस्य जो एक अपराध का दोषी पाया जाता है और जिसे न्यूनतम दो साल कारावास की सजा दी गयी है, वो तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देगा?

 लिली थॉमस बनाम भारत सरकार.मानहानि केस में लोकसभा की सदस्यता रद्द होने से देश की सियासत में हड़कंप मच गया है.राहुल सिर्फ सांसद नहीं थे, बल्कि बीजेपी विरोधी राजनीति का नेतृत्व कर रहे थे. 


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