महिला दिवस 2023 की थीम समानता

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महिला दिवस 2023 की थीम समानता

आलोक कुमार

पटना.अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 की थीम ईमब्रेस इक्विटी है जिसका अर्थ है समानता को अपनाना, ईमब्रेस का मतलब है गले लगाना और इक्विटी का मतलब समानता है. इस कैंपेन के ज़रिए संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि महिलाओं को कार्यस्थल और समाज में पुरुषों के जितना ही सम्मान दिया जाए क्योंकि आज भी इस जेंडर असमानता के कारण महिलाओं को कार्यस्थल में पुरुषों के मुकाबले कम प्राथमिकता दी जाती है और उनके कार्य करने की श्रमता को भी कम समझा जाता है.

इस थीम को लेकर गैर सरकारी संस्था प्रगति ग्रामीण विकास समिति ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को महिला दिवस पखवाड़ा के रूप में मनाया. इस अवसर पर प्रगति ग्रामीण विकास समिति की ओर से महिला अधिकार सम्मेलन आयोजित किया गया.

  पश्चिम बेली रोड दानापुर में है प्रगति भवन.यहां पर महिला अधिकार सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन का उद्घाटन समाज सेविका श्रीमती पुष्पा जी ने एवं श्रीमती पूजा जी के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया किया गया.

 मौके पर समाजसेवी एवं महिलाओं का नेतृत्व करने वाली श्रीमती पुष्पा ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं के ऊपर कई प्रकार के अन्याय और शोषण हो रहा है.उन्होंने विस्तार से अन्याय और शोषण पर अपना विचार व्यक्त किया.उन्होंने कहा कि आम लेकर खास लोगों ने यह महसूस किया कि आज घर के अंदर महिलाओं पर काम के दबाव के साथ-साथ भेदभाव भी बढ़ा है. उन्होंने किशोरियों के स्वास्थ्य एवं सरकार के द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर भी चर्चा की.

इस अवसर पर मोनिका कुमारी. गायत्री कुमारी और माधुरी देवी ने मिलकर महिला दिवस पर आधारित गीत प्रस्तुत करते हुए सबका स्वागत किया. 

     मौके पर एकता परिषद के उपाध्यक्ष प्रदीप  प्रियदर्शी ने महिला दिवस के अवसर पर सभी महिलाओं को बधाई दी एवं महिलाओं के सम्मान एवं अधिकार के लिए भूमि संघर्ष को तेज करने का आह्वान किया और सरकार से मांग किया कि सरकार की ओर से दी जाने वाली आवास भूमि  महिलाओं के नाम से दी जाए.

   सम्मेलन में सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मांझी गायत्री कुमारी मोनिका कुमारी माधुरी देवी ने अपने विचार व्यक्त किए. विभिन्न गांव से आई महिलाओं ने अपने अपने गांव की समस्याओं और महिलाओं की तकलीफों को रखा अंत में सोनी कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

यह बताया गया कि अनौपचारिक तौर पर महिला दिवस पहली बार 28 फरवरी 1909 में अमेरिकन सोशलिस्ट पार्टी के आह्वान पर अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में मनाया गया था, इसके बाद यह दिन फरवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाना तय हुआ. 1910 में उस समय महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलवाने के लिए इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस का दर्जा दिया गया.


 महिला दिवस के लिए 8 मार्च का दिन ही क्यों?

1917 में महिला दिवस के दिन रूस की महिलाओं द्वारा एक ऐतिहासिक हड़ताल की घोषणा की गई, जिसके बाद वहां महिलाओं को वोट देने के अधिकार मिला.उन दिनों रूस को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर ग्रेगेरियन कैलेंडर चलता था, जिसकी तारीखों में रूस के जुलियन कैलेंडर से थोडा बहोत अन्तर था.

रूस के जुलियन कैलेंडर के अनुसार 1917 में फरवरी का आखिरी रविवार 23 फ़रवरी को पड़ा तो वहीं ग्रेगेरियन कैलैंडर के अनुसार उस दिन मार्च की 8 तारीख़ थी. परंतु बाद में रूस सहित सभी देशों में ग्रेगोरियन कैलेंडर का पालन होने लगा, अतः 8 मार्च की तारीख को महिला दिवस के रूप में मनाया जाना तय हुआ. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1975 में इसे मनाने की आधिकारिक घोषणा की गई.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस जेंडर इक्विटी (लिंगवाद विरोध) और महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने, महिला सशक्तिकरण तथा उनके भीतर उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है. यह दिवस महिलाओं के अधिकार और लैंगिक समानता के लिए चल रही लड़ाई में लोगों को कार्य करने के लिए प्रेरित करता हैं.

इसके कुछ अन्य उद्देश्य है

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना,

महिलाओं की उपलब्धियों की पहचान करना,

महिला केंद्रित संस्थाओं के लिए धन एकत्र करना ताकि महिलाओं की स्थिति को सुधारा जा सके,

महिलाओं को समानता के बारे में जागरूकता बढ़ाना,

महिलाओं की सुरक्षा एवं कल्याण को लेकर योजनाएं तैयार करना, आदि.

इसके साथ ही यह देश की प्रगति एवं विकास में महिलाओं के योगदानों की सराहना एवं महिलाओं को उनके महत्वपूर्ण कार्यों के लिए सम्मानित करने का भी एक ख़ास दिन है.


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