भारत के साथ रिश्तों पर कंफ्यूज पाकिस्तान

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भारत के साथ रिश्तों पर कंफ्यूज पाकिस्तान

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! पाकिस्तानी मीडिया का सख्त दबाव, भुकमरी का खतरा, मआशी तबाही और हर किस्म की परेशानियों में घिरे पाकिस्तानी वजीर-ए-आजम शाहबाज शरीफ की भारत के साथ बातचीत की पेशकश फिर थोड़ी ही देर में उनके दफ्तर से जारी बयान से जाहिर होता है कि भारत के साथ खुशगवार रिश्ते बनाने के मामले में पाकिस्तान पूरी तरह से कंफ्यूजन का शिकार है.  शाहबाज शरीफ भारत के साथ बातचीत भी चाहते हैं.  छः महीने के अंदर उन्हें पंजाब असम्बली का एलक्शन फिर इसी साल नेशनल असम्बली का एलक्शन भी लड़ना है, इसीलिए उनकी सरकार कश्मीर मसले को भी छोड़ना नहीं चाहती.  शाहबाज शरीफ ने अबू धाबी में अल अरेबिया न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि भारतीय वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी को मेरा मैसेज है कि आइए हम बातचीत की मेज पर बैठकर बातचीत करें.  कश्मीर जैसे मसले पर भी समझदारी से बातचीत हो सकती है.  शाहबाज शरीफ के इस बयान के चंद घंटों के अंदर ही उनके इस्लामाबाद दफ्तर से सोशल मीडिया पर बयान जारी किया गया कि वजीर-ए-आजम के बयान को गलत तरीके से समझा गया है.  भारत के साथ कोई बातचीत तभी मुमकिन है जब जम्मू कश्मीर में दफा 370 और 35ए दोबारा नाफिज करके पांच अगस्त 2019 से पहले के हालात बहाल किए जाएं.  शाहबाज शरीफ माली मदद हासिल करने की गरज से यूनाइटेड अरब अमीरात के दौरे पर गए थे.  खबर है कि अबू धाबी और दुबई के हुक्मरान ने उनसे साफ तौर पर कहा कि वह भारत के साथ अपने रिश्तों को खुशगवार बनाएं वर्ना फौज के अनाप-शनाप खर्चों के लिए हम बार-बार पाकिस्तान को माली मदद नहीं दे सकते.  शाहबाज शरीफ ने भारत को बातचीत का मैसेज तो दे दिया लेकिन इस्लामाबाद में बैठे फौजी अफसरान और कुछ वजीरों ने मिलकर प्राइम मिनिस्टर्स दफ्तर से उल्टा बयान जारी करा दिया.  पाकिस्तान को अच्छी तरह पता है कि कश्मीर मामले में भारत उसकी एक बात भी नहीं सुनने वाला फिर बार-बार कश्मीर का मसला छेड़ने का क्या जवाज (औचित्य) है.  शायद शाहबाज शरीफ को इस हकीकत का बखूबी एहसास है. 

शाहबाज शरीफ का यह बयान तब आया है, जब पाकिस्तान बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहा है.  खाने-पीने की चीजों और डीजल-पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं.  पाकिस्तान का मीडिया पीएम मोदी की खुलकर तारीफ कर रहा है और कह रहा है कि भारत हर लिहाज से ताकतवर है.  शाहबाज शरीफ ने कहा, ‘कश्मीर में हर वक्त इंसानी हुकूक की खिलाफवर्जी हो रही है.  दफा 370 के तहत कश्मीरियों को जो हुकूक मिले थे भारत ने वह ले लिए हैं.  अगस्त 2019 में आटोनामी खत्म कर दी गई.  भारत में अकलियतों पर जुल्म किए जा रहे हैं.  यह सब हर हाल में रुकना चाहिए ताकि दुनिया में यह मैसेज जाए कि भारत बातचीत के लिए तैयार है. ’ उन्होंने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान पड़ोसी हैं और उन्हें एक-दूसरे के साथ ही रहना है.  यह हम पर है कि हम अम्न के साथ रहें, तरक्की करें या फिर झगड़ते रहें.  हमने भारत के साथ तीन जंगें लड़ीं.  इससे लोगों को सिर्फ गरीबी, बेरोजगारी ही मिली.  हमने अपना सबक सीख लिया है.  हम अम्न के साथ रहना चाहते हैं.  हम अपनी परेशानियों को सुलझाना चाहते हैं. ’ पाकिस्तानी पीएम ने कहा, ‘हम गरीबी को खत्म करना चाहते हैं.  हमें खुशहाली और तरक्की चाहिए.  हम अपने लोगों को तालीम देना चाहते हैं, उन्हें हेल्थ की सहूलतें और रोजगार देना चाहते हैं.  हम अपने वसायल (संसाधनों) को बम और गोला-बारूद पर बर्बाद नहीं करना चाहते हैं.  मैं यही संदेश वजीर-ए-आजम नरेंद्र मोदी को देना चाहता हूं.  हम दोनों ही न्यूक्लियर पावर्स हैं.  पूरी तरह हथियारों से लैस हैं.  ऊपरवाला न करे कि कोई जंग हो.  ऐसा हुआ तो यह बताने के लिए कि क्या हुआ था कौन जिंदा बचेगा. 

पाकिस्तानी मीडिया ने पहली बार भारत की खुलकर तारीफ करते हुए उसे ताकतवर देश बताया है.  पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि ऐसे वक्त में जब यूक्रेन के मुद्दे को लेकर अमेरिका और रूस आमने-सामने हैं, तब भी यह दोनों देश भारत के साथ खड़े हैं.  यह भारत की बेहतरीन डिप्लोमेसी भी है.  आमतौर पर भारत को लेकर पाकिस्तानी मीडिया का रुख नेगेटिव ही रहता है.  लिहाजा इतने खुले अंदाज में भारत की तारीफ वहां के मीडिया में एक बड़े शिफ्ट के तौर पर देखी जा सकती है.  पाकिस्तान के बड़े अंग्रेजी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ में शहजाद चौधरी ने भारत के बारे में एडिटोरियल लिखा है.  शहजाद पालिटिकल, सिक्योरिटी और डिफेंस एनालिस्ट हैं.  चौधरी लिखते हैं- रूस-यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका और रूस आमने सामने हैं.  दुनिया को तीसरी आलमी जंग का खौफ सता रहा है.  इस तस्वीर का दूसरा पहलू पाकिस्तान के लिहाज से बेहद अहम है.  यूक्रेन मसले पर अगर अमेरिका और रूस में ठनी है तो हमें यह भी देखना होगा कि यही दोनों देश भारत के साथ खड़े हैं. 

इससे पहले फौज के एक प्रोग्राम में शाहबाज शरीफ ने पहली बार माना है कि बतौर वजीर-ए-आजम हर विदेशी दौरे पर जाकर मदद के लिए हाथ फैलाना उनके लिए शर्मिंदगी की बात है.  हैरानी की बात यह है कि शरीफ ने यह बात फौज के एक प्रोग्राम में कही, जो पाकिस्तान के कुल बजट की सबसे बड़ी हिस्सेदार होती है.  शरीफ के मुताबिक- पाकिस्तान एक एटमी ताकत रखने वाला इस्लामी मुल्क है और अगर ऐसे में हमें हर बार और हर जगह जाकर भीख मांगना पड़े तो इससे ज्यादा शर्मनाक और कुछ नहीं हो सकता.  शरीफ ने शनिवार को पाकिस्तानी फौज के पासिंग आउट प्रोग्राम में हिस्सा लिया.  यहां आर्मी और आईएसआई चीफ के साथ प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी भी मौजूद थे.  आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर और आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम के सामने शाहबाज शरीफ का यह बयान अहम माना जा रहा है.  शरीफ ने कहा- मेरे लिए यह बहुत शर्मिंदगी की बात है कि हर बार मुझे कर्ज मांगना पड़ता है.  यह इसलिए और ज्यादा खराब लगता है कि पाकिस्तान एक एटमी ताकत वाला मुल्क है. 

शाहबाज शरीफ ने कहा कि मैं यह कहना चाहता हूं कि आखिर कब तक हम बतौर मुल्क कर्ज के भरोसे रहेंगे.  यह तो देश चलाने का सही तरीका नहीं है और न ही इस तरह से हम मुल्क को सही सिम्त में ले जा सकते.  हमें यह भी सोचना चाहिए कि आज नहीं कल, यह कर्ज इस मुल्क को वापस भी तो करने हैं.  शाहबाज पिछले हफ्ते ही तीन देशों के विदेश दौरे से लौटे हैं.  सबसे पहले वह जिनेवा गए थे.  यहां क्लाइमेट समिट में हिस्सा लिया और पाकिस्तान के लिए सोलह (16) अरब डालर की मदद मांगी ताकि बाढ़ से तबाह मुल्क की कुछ मदद हो जाए.  वहां से उन्हें दस अरब डालर दिए जाने का भरोसा दिलाया गया है.  इसमें से एक भी पैसा अब तक पाकिस्तान के सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा.  इसके बाद शरीफ सऊदी अरब पहुंचे.  यहां आर्मी चीफ आसिम मुनीर पहले से ही मौजूद थे.  सऊदी अरब ने दोनों को एक तरह से टाल दिया.  दरअसल, सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पांच अरब डालर देने का भरोसा दिलाया.  बाद में पता लगा कि सऊदी सिर्फ तीन अरब डालर डिपाजिट के तौर पर देगा.  बाकी दो अरब डालर पाकिस्तान के पास उसके पहले से हैं.  यही काम यूनाइटेड अरब अमीरात ने भी किया.  शरीफ ने कहा कि वह इन दोनों मुल्कों के शुक्रगुजार हैं.  मुस्तकबिल में दोनों से अच्छे रिश्ते बने रहने की उम्मीद करते हैं.  इमरान खान के दौर में यह रिश्ते काफी खराब हो गए थे. 

पाकिस्तान के सबसे बड़े अखबार ‘द डान’ ने एडिटोरियल और एक स्पेशल रिपोर्ट में खुलासा किया कि जिनेवा में पाकिस्तान को जो दस अरब डालर देने का भरोसा दिलाया गया है, वह तोहफा या खैरात नहीं, बल्कि कर्ज है.  इतना ही नहीं यह कर्ज भी तीन साल में किस्तों के तौर पर मिलेगा.  इस खुलासे के बाद वजीर-ए-आजम शाहबाज शरीफ, फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार और कई कैबिनेट मिनिस्टर मीडिया के सामने आए.  यहां डार ने कहा- दस में से पौने नौ अरब डालर हकीकत में कर्ज है.  हमने जिनेवा में बिना शर्त मदद की अपील की थी.  इससे भी ज्यादा हैरानी की बात डार ने आगे कही.  फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा- मैं आपको यह नहीं बता सकता कि यह कर्ज हमें किन शर्तों पर मिलेगा.  वहीं, शरीफ ने कहा- उम्मीद है कर्ज की शर्तें ज्यादा सख्त नहीं होंगी.  यह पैसा हमें कब तक मिलेगा, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी.  2020 में जब सऊदी ने पाकिस्तान को तीन अरब डालर और उधार पर तेल दिया था, तब एक शर्त रखी थी और एक मुल्क के लिए यह शर्मिंदगी वाली बात थी.  सऊदी ने कहा था कि वह छत्तीस घंटे के नोटिस पर यह पैसा वापस ले सकते हैं, पाकिस्तान को ब्याज भी चुकाना होगा और यह सिर्फ गारंटी मनी होगी.  मतलब, पाकिस्तान इसे खर्च नहीं कर सकेगा.  इस बार भी शर्तों में बदलाव नहीं हुआ है.  लिहाजा, साफ है कि पुरानी शर्तें ही जारी रहेंगी.  2019 में सऊदी क्राउन प्रिंस सलमान पाकिस्तान दौरे पर आए थे.  तब इमरान खान वजीर-ए-आजम थे और उन्होंने खुद कार ड्राइव की थी.  तब भी सलमान ने पाकिस्तान में दस अरब डालर इन्वेस्ट करने का वादा किया था.  तीन साल बाद भी वादा पूरा नहीं हुआ.  हां, एक बार फिर क्राउन प्रिंस ने दस अरब डालर इन्वेस्टमेंट की बात दोहराई है. 

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