आलोक कुमार
पटना.भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि बिहार में शुरू हुई जाति गणना स्वागतयोग्य कदम है. बिहार के सभी दलों ने पूरे देश में जाति गणना की मांग प्रधानमंत्री से की थी और एक प्रतिनिधिमंडल भी उनसे मिला था, लेकिन उन्होंने इस मांग को ठुकरा दिया. भाजपा शुरू से ही जाति गणना की विरोधी रही है. इसीलिए उसके नेता बौखलाहट में बयान दे रहे हैं. बिहार की इस पहल का पूरे देश में विस्तार होना चाहिए. यदि भाजपा वाले जाति गणना के पक्षधर हैं तो वे क्यों नहीं पूरे देश में जाति गणना करवा रहे हैं?
उन्होंने कहा कि जाति गणना से वास्तविक सामाजिक-आर्थिक व अन्य स्थितियों का पता लगेगा और फिर तदनुरूप विकास संबंधी योजनाओं की नीतियां बनाई जा सकेंगी.उन्होंने यह भी कहा कि जाति गणना में सभी धर्म-जाति संप्रदाय की जातियों/उपजातियों की गणना होनी चाहिए. बिहार में कई ऐसी जातियां हैं जिनकी जाति का निर्धारण अभी तक नहीं हो सका है. खासकर मुस्लिम समुदाय में ऐसी कई जातियां हैं.
माले राज्य सचिव ने कहा कि जाति गणना तो शुरू हो चुकी है, लेकिन बिहार में जो भी सर्वेक्षण होते रहे हैं, वे भारी त्रुटियों के शिकार रहे हैं. 2011 का सर्वेक्षण इसका उदाहरण रहा है. अतः इस बात की गारंटी की जानी चाहिए कि जाति गणना त्रुटिहीन हो. पहले चरण में सरकार मकान का नंबर निर्धारण का काम रही है. बहुत सारे गरीब परिवार आवासविहीन हैं. वे झुग्गी झोपड़ी में रहते हैं. अतः सरकार को जाति के साथ-साथ यह प्रश्न भी पूछना चाहिए कि जिस जमीन पर वे बसे हैं, वह जमीन उनकी है अथवा नहीं?उन्होंने कहा कि शिक्षकों को गैरशैक्षणिक कार्य में लगाना कहीं से भी उचित नहीं है. इससे पठन-पाठन की क्रिया बुरी तरह प्रभावित होती है. जाति गणना के लिए सरकार को वैकल्पिक रास्तों की तलाश करनी चाहिए.
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