सत्ता से बाहर होने पर बीजेपी बदल गई

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सत्ता से बाहर होने पर बीजेपी बदल गई

आलोक कुमार

पटना.बिहार में जहरीली शराब सेवन से होने वाली मौत पर विपक्षी दल कहर काट रहे हैं.विपक्षी दल की अजब गजब की बात है.चार माह पूर्व सत्ता से बाहर रहने पर राजद और अन्य विपक्षी दल शराबबंदी को लेकर गदर काटते थे.तब सत्ता का सुखभोगी बीजेपी सरकार के पक्ष में बयान देती थी.चार माह के बाद सत्ता से बाहर होने पर बीजेपी की नजरिया में काफी बदलाव आया है.जहरीली शराब पीकर मरने वालों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं.                                               

   बता दे कि बिहार में 2016 से शराबबंदी कानून लागू है.बिहार में नीतीश कुमार की शराबबंदी व्यवहार में एक कानून और उसके उल्लंघन पर गिरफ्तारी, जेल और सजा या जुर्माना भर का मामला बनकर रह गई है.यूपी से लेकर बंगाल और झारखंड तक, बिहार को आने वाली हर सड़क के रास्ते ट्रक में भर-भरकर शराब आती है और गांव-गांव तक पहुंचाकर बेची जाती है. यहां तक कि बड़े विदेशी ब्रांड्स भी स्पेशल डिमांड पर मिल जाते हैं.

इसके बाद भी अगर राज्य सरकार जिद पर अड़ी है कि शराबबंदी तो जारी रहेगी तो उसकी कीमत बिहार के लोग ही चुका रहे हैं.कई लोग जान देकर चुका रहे हैं.इसके बावजूद सूबे में जहरीली शराब का कहर नहीं थम रहा है. 6 साल में अब तक 202 लोगों की जहीरीली शराब पीने की वजह से मौत हो चुकी है. बिहार में जहीरीली शराब पीने की वजह से सबसे ज्यादा 2021 में 90 मौतें हुई थी. राज्य में 2020 में, 2019 में 9, 2018 में 9, 2017 में 8 और 2016 में 13 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2022 में अब तक 67 लोग जहरीली शराब पीने की वजह से मारे गए हैं. अधिकांश मौतें गोपालगंज, छपरा, बेतिया और मुजफ्फरपुर जिले में हुई है.                                         इस बीच दर्दनाक सारण कांड के मृतक परिजनों को 10 लाख मुआवजा, पुनर्वास, उनके बाल-बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय पर नशा मुक्ति केंद्र खोलने और शराब माफियाओं को मिल रहे राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण की मांग पर आज भाकपा-माले ने राज्यव्यापी विरोध दिवस का आयोजन किया. इन मांगों को लेकर पूरे राज्य में माले कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और बिहार सरकार से मृतक परिजनों के प्रति सहानुभूमि के साथ पेश आने की मांग की.   

पटना में बुद्ध स्मृति पार्क के पास आयोजित विरोध सभा को माले राज्य सचिव कुणाल, विधायक दल नेता महबूब आलम, विधायक गोपाल रविदास, संदीप सौरभ, ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे आदि नेताओं ने संबोधित किया, जबकि संचालन पार्टी की राज्य कमिटी के सदस्य कमलेश शर्मा ने किया. मौके पर वरिष्ठ पार्टी नेता केडी यादव, अभ्युदय, जितेन्द्र कुमार, मुर्तजा अली, समता राय, संजय यादव, नागरिक आंदोलन के गालिब सहित आइसा-आरवाइए के दर्जनों नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे.   

 माले राज्य सचिव कुणाल ने इस मौके पर कहा कि हमारी पार्टी शराबबंदी कानून के हमेशा से समर्थन में रही है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि शराब पीने वालों को अपराधी बना दिया जाए. यह एक सामाजिक बुराई है, इसलिए सारण कांड में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार को मुआवजा देना ही चाहिए. उन्होंने शराबबंदी कानून का हवाला देते हुए कहा कि उसमें शराब माफियाओं की संपत्ति जब्त कर मुआवजा देने का प्रावधान है.गोपालगंज के खजूरबनी कांड में सरकार मुआवजा दे भी चुकी है.   

 उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के बावजूद राजनीतिक- प्रशासनिक संरक्षण में शराब माफिया गिरोहों का पूरा तंत्र खड़ा है. इसकी जांच होनी चाहिए और ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. यह भी कहा कि भाजपा इस मामले में घड़ियाली आंसू बहा रही है. भाजपा शासित मध्यप्रदेश व गुजरात में जहरीली शराब से मौतों का आंकड़ा सबसे अधिक है. भाजपा नेता रामसूरत राय द्वारा संचालित स्कूल से शराब भरी ट्रक बरामद हुई थी. विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय सिन्हा के एक रिश्तेदार के यहां से भी शराब की बोतलें पाई गईं. सारण कांड में भी यूपी से शराब आने की चर्चा है. यदि सारण कांड की जांच हो तो शराब माफियाओं के भाजपाई कनेक्शन का खुलासा हो जाएगा.   

नेता विधायक दल महबूब आलम ने कहा कि इस मसले पर आज मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई. मुख्यमंत्री ने इस पर गंभीरता से विचार का आश्वासन दिया है. हम ऐसी मांगों पर सदन से लेकर सड़क तक लड़ते रहेंगे. भाजपा को मृतक परिजनों से कुछ भी लेना देना नहीं है. जहरीली शराब से मौत के मामले में भाजपा शासित प्रदेश ही सबसे आगे हैं.                         गोपाल रविदास ने कहा कि मसौढ़ी के हांसाडीह में पुलिस ने शराबबंदी के नाम पर दलित टोलों पर हमला किया. महिलाओं को नंगा करके पीटा गया. सोनवां देवी की मौत हो गई. इसके पहले भी शराब बंदी कानून के नाम पर गिरफ्तार किए गए कई लोगों की हाजत में मौत हुई है. शराब बंदी कानून का तो ऐसा मकसद कहीं से नहीं था. हम सरकार से पुलिस दमन की कार्रवाइयों पर रोक लगाने की मांग करते हैं.राजधानी पटना के अलावा राज्य के विभिन्न जिला केंद्रों पर आज का प्रतिवाद आयोजित हुआ.                                    लेफ्ट पार्टियों के नेता सीएम नीतीश कुमार से अलग मिलने पहुंचे.उन्होंने सारण जहरीली शराब कांड के पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की. इस पर नीतीश ने कहा कि आप लोग मुआवजा मांगेंगे तो फिर सब कहेंगे कि आप लोग भाजपा के साथ मिल गए.इस पर लेफ्ट पार्टियों के नेताओं ने कहा नहीं मांगेंगे मुआवजा. सीएम ने कहा कि AIMIM को संभालिए आप लोग, वो BJP की B पार्टी है. वो BJP के इशारे पर काम करता है सब. आप लोगों की जिम्मेदारी है कि AIMIM का पर्दाफाश करें.  

  विधानसभा शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा- विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण सदन में जनता के विषय सही से नहीं उठ पाए.बिहार में जहरीली शराब का ही मुद्दा सिर्फ नहीं है.बिहार में पढ़ाई, कमाई, रोजगार का भी मुद्दा है.बीजेपी शासित राज्यों में जहरीली शराब से कितनी मौतें होती है, उन आंकड़ों को भी देखे बीजेपी. बीजेपी शासित राज्य में ज्यादा लोगों की मौत हुई है.उस पर भाजपा खामोश है.4 महीने पहले जब यह सरकार में थे, तब इन्हें बिहार में अवैध शराब, जहरीली शराब क्यों नहीं दिखाई देती थी.बीजेपी को अगर शराबबंदी खत्म करना है तो खुलकर बोले.एक तरफ शराबबंदी और नशा मुक्ति की बात करते हैं दूसरी तरफ इसके विरोध में.कांग्रेस की तरफ से शराब बंदी कानून पर सवाल उठाए जाने पर तेजस्वी ने कहा यह मीडिया में बातें आई होगी. हमसे इस पर कोई बात कांग्रेस के नेताओं ने नहीं की है.



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