बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में 114 जातियां

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बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में 114 जातियां

आलोक कुमार

पटना.सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 204 जातियां होने की सूची पटना सहित सभी जिलों को उपलब्ध कराई गई थी. सामान्य प्रशासन विभाग के सरकारी दस्तावेज में दर्ज जातियों की संख्या के अनुसार, अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग में 22, अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग में 32, पिछड़ा वर्ग में 30, अत्यंत पिछड़ा (ईबीसी) वर्ग में सबसे ज्यादा 114 और उच्च वर्ग में सबसे कम 7 जातियां यहां निवास करती हैं.                        बिहार के नगर निकाय चुनावों में अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का फैसला अब इसके लिए गठित विशेष आयोग की रिपोर्ट के आधार पर होगा. अति पिछड़ा वर्ग आयोग जिलों में जाकर पूर्व वार्ड कांउसिलरों से भी आरक्षण से जुड़े मसले पर फीडबैक लेगा.जिला मुख्यालयों में उनसे यह बात होगी कि जब अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण नहीं था, तब उनकी राजनीतिक भागीदारी किस तरह से थी और आरक्षण मिलने के बाद राजनीतिक भागीदारी की स्थिति किस तरह से बढ़ी, इसमें किस तरह का परिवर्तन आया, इसे आयोग की टीम देखेगी.

  अति पिछड़ा वर्ग आयोग को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी है.इस बाबत मिली जानकारी के अनुसार आयोग पूर्व में वार्ड कांउसिलर रहे लोगों से बातचीत के बाद जो फीडबैक हासिल करेगा, उसे वह अपनी रिपोर्ट में शामिल करेगा.यह आकलन भी रिपोर्ट का हिस्सा होगा कि अति पिछड़ा वर्ग को जब नगर निकाय चुनावों में आरक्षण दिया गया, तो यह समाज राजनीतिक रूप से किस तरह सशक्त हुआ.कितनी संख्या में अति पिछड़ा वर्ग के लोग आरक्षण के पूर्व नगर निकायों में प्रतिनिधित्व करते थे और आरक्षण के बाद उनकी संख्या कितनी हो गयी.  

        बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों की संख्या 114 है.अलग-अलग जिलों में इनकी मौजूदगी है.अति पिछड़ा वर्ग आयोग की टीम जब जिलों की यात्रा करेगी तो अति पिछड़ा वर्ग की सभी जातियों से बात करेगी. यह आंकड़ा भी जुटाएगी कि किस-किस जाति के लोग किस स्तर पर राजनीतिक व सामाजिक रूप सशक्त हुए हैं.

        बिहार में कर्पूरी के अति पिछड़ा को लालू-नीतीश के अति पिछड़ा ने हासिये पर ला दिया है.अप्रैल 2015 में लालू-नीतीश की संयुक्त महागठबंधन सरकार ने तत्कालीन विरोधी दलों के सहयोग से संपन्न एवं मजबूत समाज तेली, दांगी एवं अन्य को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कर दिया. जिसके दुष्परिणाम स्वरूप जननायक कर्पूरी के वास्तविक अति पिछड़ा वर्ग की जातियों की हकमारी हो रही है.पंचायती राज, नगर निकाय, बीपीएससी, दारोगा एवं अन्य सभी सरकारी नौकरी में बाद में शामिल जातियों का ही अघोषित कब्जा हो गया. जो सरकार के समावेशी विकास के नारा का पोल खोल रही है. समावेशी विकास के लिए बिहार सरकार से पूर्व में लिए गए फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया गया. फेकन मंडल ने कहा कि बिहार में अति पिछड़ा वर्ग में 114 जातियां है, जिसकी आबादी लगभग 46% है.

      अति पिछड़ा वर्ग के लिए राज्य आयोग सदस्य तारकेश्वर ठाकुर की अध्यक्षता में समाहरणालय स्थित परमान सभागार में बैठक आहुत की गई. बैठक में अति पिछड़ा वर्गों के लिए राज्य आयोग द्वारा अनुग्रह नरायण सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान पटना को सुप्रीम कोर्ट व पटना हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों के आलोक में तथ्यपरक अध्ययन प्रतिवेदन समर्पित किया जाने को लेकर समीक्षा की गई.इस दौरान सदस्य श्री ठाकुर द्वारा कई आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये.बैठक के बाद नगर परिषद क्षेत्र अररिया के वार्डों का भ्रमण किया गया. इस दौरान स्थानीय लोगों से रूबरू होते हुए फीडबैक प्राप्त किया गया.

        बैठक में जिला पंचायत राज पदाधिकारी किशोर कुमार, अररिया व फारबिसगंज एसडीओ क्रमश: शैलेश चन्द्र दिवाकर व सुरेन्द्र कुमार अलबेला, वरीय उपसमाहर्ता दिलीप कुमार, मेराज जमील, जिला कल्याण पदाधिकारी, भूमि उप समाहर्ता अररिया, अररिया, फारबिसगंज, जोगबनी नप परिषद व जोकीहाट, रानीगंज, नरपतगंज के कार्यपालक पदाधिकारी एवं अररिया, जोकीहाट, रानीगंज,फारबिसगंज, नरपतगंज के बीडीओ उपस्थित थे.


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