बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने

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बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने

आलोक कुमार

पटना.बिहार में नगर निकाय चुनाव आरक्षण मामले में बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने आ गये है. 13 अक्टूबर,गुरूवार को जेडीयू ने पोल खोल अभियान चलाया.इसके दो दिन के बाद 15 अक्टूबर, शनिवार को अत्यंत पिछड़ा वर्ग के द्वारा एक कार्यक्रम रखा गया है.इसके दो दिन के बाद बीजेपी 17 अक्टूबर, सोमवार को राज्य सरकार के खिलाफ प्रखंड स्तर तक धरना का आयोजन करेगी.

गुरूवार को ऐतिहासिक पटना के गांधी मैदान में जेडीयू  के द्वारा बिहार में नगर निकाय चुनाव आरक्षण मामले में बीजेपी के खिलाफ पोल खोल अभियान जारी रखा गया है.भाजपा की साजिश की पोल-खोल अभियान जेडीयू के द्वारा आयोजित की गई. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह,प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा, श्वेता विश्वास,पूजा आन शर्मा, श्वेता समेत अन्य नेता मौजूद हैं.                                                                        

गांधी मैदान में जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 2015 के चुनाव के पहले ही या कहा था कि आरक्षण व्यवस्था पर पुनर्विचार करना चाहिए.आरक्षण व्यवस्था को फिर से सोचने की जरूरत है उसी समय हम लोग को लग गया कि भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है आरक्षण को समाप्त करना.बिहार में नगर निकाय के चुनाव में अति पिछड़े वर्ग को बिहार में 20% का आरक्षण दिया गया.2006 में पंचायती राज को दिया गया, 2007 में नगर निकाय को दिया गया यह मामला पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया.पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के कानून को वैध ठहराया.

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि इस आरक्षण व्यवस्था के तहत 2007, 2012 और 2017 में चुनाव हो चुके हैं.लेकिन 2022 में एक नई साजिश हुई और उस साजिश के तहत नगर निकाय चुनाव में आरक्षण समाप्त करने का निर्णय लिया गया और आयोग बनाने की बात की गई है.उन्होंने कहा कि जेडीयू शुरू से ही मांग करती रही है कि देश में जातिगत जनगणना कराने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी ने दो-दो बार विधानसभा के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया.मुख्यमंत्री स्वयं गृह मंत्री से मिले. उसके बाद प्रधानमंत्री से भी मिले लेकिन जातीय जनगणना कराने के लिए वह लोग तैयार नहीं हुए. क्योंकि बीजेपी जानती है अगर जातीय जनगणना होगी तो आरक्षण व्यवस्था को लागू रखना पड़ेगा.

  प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा 2006 में ही पंचायत और 2007 में नगर निकायों में पिछड़े और अति पिछड़ा के लिए चुनाव में आरक्षण के लिए नीतीश कुमार ने व्यवस्था कर दी थी. जिस पर तीन-तीन चुनाव हो गए.अब कहा जा रहा है कि यह पूरी व्यवस्था गलत थी.सच्चाई यह है कि भाजपा नहीं चाहती थी कि आरक्षण के आधार पर चुनाव कराया जाए.           बिहार सरकार के मंत्री मदन सहनी ने गुरुवार को जदयू कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का काम किया, लेकिन एक झटके में अलग होने के कारण बीजेपी ने कमजोर वर्ग के खिलाफ इतनी बड़ी चाल चल दी.उन्होंने कहा कि बीजेपी को अगर गुस्सा नीतीश कुमार से था, जो सीएम से लड़ कर दिखाते,लेकिन बीजेपी ने सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग के खिलाफ बड़ी चाल दी.मदन सहनी ने कहा कि नीतीश कुमार ने सामाज के सबसे निचले तबके के हितों को ध्यान में रखते हुए आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ाने के लिए आरक्षण दिया, उस आरक्षण को रोकने के लिए बीजेपी ने यह साजिश रची.

इस साजिश का पर्दाफाश करने के लिए पार्टी की ओर से सभी जिला में जिला मुख्यालय पर पोल खोल कार्यक्रम चलाया जा रहा है. मदन सहनी ने कहा कि 15 अक्टूबर को गांधी मैदान के गांधी मूर्ति के पास अत्यंत पिछड़ा वर्ग की ओर एक कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें बीजेपी की आरक्षण विरोधी नीति के खिलाफ सम्मेलन में सभी वक्तागण अपनी बात रखेंगे.सम्मेलन के माध्यम से लोगों को यह जानकारी दी जाएगी कि बिहार के तमाम अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए सीएम नीतीश कुमार ने काम किया, लेकिन बीजेपी ने किस तरह से उन्हें आरक्षण से वंचित करने का काम किया.

13 अक्टूबर, गुरुवार को जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ पोल खोल हल्ला बोल कार्यक्रम किया गया. जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता ने राज्य के प्रखंड स्तर तक बीजेपी के खिलाफ धरना दिया. अब बीजेपी ने भी धरने का जवाब धरने से देने का मन बना लिया है.बीजेपी की तरफ से आज एक प्रेस कांफ्रेंस की गई जिसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बताया कि बीजेपी 17 अक्टूबर को राज्य सरकार के खिलाफ प्रखंड स्तर तक धरना का आयोजन करेगी.जेडीयू द्वारा बीजेपी को आरक्षण विरोधी बताए जाने को लेकर भी संजय जायसवाल जेडीयू पर जम कर बरसे.उन्होंने नीतीश कुमार पर आरोप लगाया कि वो जान बुझ कर नगर निकाय चुनाव नहीं करना चाहते है.एक बार फिर से उन्होंने नीतीश कुमार रबर स्टांप मुख्यमंत्री कहा.

संजय जायसवाल ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले को आए इतने दिन हो गए.लेकिन अभी तक ना सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और ना ही आयोग का गठन किया. इससे साफ पता चलता है कि राजद और जेडीयू दोनों ही आरक्षण विरोधी है.उन्होंने कहा कि सरकार नगर निकाय के चुनाव इसलिए नहीं करना चाहती ताकि इस विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव के पास नगर विकास की सभी राशि रहे. साथ ही नगर निकाय की सारी जिम्मेदारी भी उनके अधीन रहे.90 के दशक में लालू यादव भी ऐसा ही करते थे.उन्होंने कहा कि सरकार के इसी आरक्षण विरोधी नीति के खिलाफ बीजेपी 17 अक्टूबर को धरना देगी.

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