आलोक कुमार
पटना. प्रदेश भासा के नेतृत्व के आह्वान पर गुरूवार को डॉक्टरों ने एक दिवसीय हड़ताल कर दिया. हड़ताल की वजह से अस्पतालों की ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद हो गई है. बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी बनाने के आदेश के विरोध में भासा के आह्वान पर सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर रहे. इस कारण सदर अस्पताल सहित के जिले के सभी सरकारी अस्पतालों का ओपीडी गुरुवार को बंद रहा.
ओपीडी बंद रहने से मरीजों व उनके परिजनों को परेशानियां झेलनी पड़ी. बुधवार को भी दुर्गापूजा के कारण ओपीडी का संचालन नहीं हो सका था. गुरुवार को हड़ताल के कारण ओपीडी नहीं चला.दो दिनों से ओपीडी नहीं चलने से मरीज पूरे दिन इधर-उधर भटकते रहें. हालांकि इमरजेंसी सेवा बहाल रहने से मरीजों को थोड़ी राहत थी. इमरजेंसी वार्ड में तीन डॉक्टरों की तैनाती की गयी थी. भासा से जुड़े अधिकारियों की मानें तो स्वास्थ्य सेवा अन्य सेवाओं से अलग है. इस कारण बायोमेट्रिक सिस्टम को डॉक्टरों व पारामेडिकल के लिए लागू करने से पहले व्यवहारिक पक्ष को देखा जाना चाहिए.
हड़ताल में शामिल डॉक्टरों के अनुसार बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी नहीं बनाने के अलावा अन्य मांगें भी हैं, जो काफी समय से लंबित हैं.डॉक्टरों का कार्य का समय निर्धारण, डॉक्टरों की कमी दूर करना, आवासीय सुविधा प्रदान करना, डॉक्टरों की सुरक्षा, मूल वेतन का 50 प्रतिशत ग्रामीण भत्ता अनुमान्य करना, महिला डॉक्टरों की पोस्टिंग में सुरक्षा का ध्यान रखने सहित अन्य मांग शामिल हैं.
इस बीच बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य,पथ निर्माण,नगर विकास,आवास ग्रामीण कार्य एवं पर्यटन नामक पांच विभाग के जिम्मा संभाल रहे तेजस्वी प्रसाद यादव प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों पर गरम हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि उनके पास 705 डॉक्टरों की सूची है जो 6 महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन हर महीने अपना वेतन उठा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि एक डॉक्टर ऐसा भी है जो 12 साल से अपने तैनाती वाले अस्पताल में ड्यूटी नहीं किया है लेकिन वेतन उठा रहा है. कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो 5 साल और कुछ डॉक्टर 2 साल से अस्पताल नहीं गए हैं और यह फाइल अब मेरे पास आ गयी है. मैंने कड़ा एक्शन लेने का फैसला लिया है.
तेजस्वी यादव का गैरहाजिर डॉक्टरों पर कार्रवाई करने का बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य के सरकारी डॉक्टर बायोमेट्रिक हाजिरी का विरोध कर रहे हैं. गुरुवार को बिहार के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत लगभग 7000 डॉक्टरों ने बायोमेट्रिक अटेंडेंस के विरोध में ओपीडी सेवाओं का बहिष्कार किया. डॉक्टर हर दिन और सप्ताह की ड्यूटी फिक्स करने और 45 परसेंट खाली पदों को भरने और सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. कहीं ना कहीं डॉक्टरों की इस रवैया से उन पर नैतिक प्रश्न भी खड़ा हो रहा है कि आखिर वह बायोमेट्रिक लगाने से क्यों डर रहे हैं कहीं उनकी ड्यूटी की जवाबदेही तो नहीं बढ़ेगी.
देॆख रहे हो विनोद बीजेपी कोटा से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय थे.जो स्वास्थ्य विभाग को छुट्टा साड़ की तरह छोड़ दिए थे.स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद के बाद तेजस्वी प्रसाद यादव यकायक रात्रिपहर पीएमसीएच गए.वहां की स्थिति देख भोच्चक रह गए.उन्होंने सुधरात्मक कदम उठाया.इस सिलसिले में बायोमेट्रिक अटेंडेंस बनाने का आदेश दिया.उनके पास 705 डॉक्टरों की सूची है जो 6 महीने से ज्यादा समय से अस्पताल नहीं आए हैं लेकिन हर महीने अपना वेतन उठा रहे हैं. कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो 5 साल और कुछ डॉक्टर 2 साल से अस्पताल नहीं गए हैं
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