आलोक कुमार
नई दिल्ली.कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पिक्चर लगभग साफ हो चुकी है.30 सितंबर को खत्म हुई नामांकन प्रक्रिया के बाद साफ तौर पर कहा जा सकता है कि इस पद के लिए मुकाबला शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच होगा.परंतु आठ अक्टूबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे और एक से ज्यादा उम्मीदवार होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा.चुनाव के नतीजे 19 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.
ऐसा प्रतीत हो रहा है शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे नामांकन वापस नहीं लेंगे.शशि थरूर ने कहा कि अगर आप पार्टी की कार्यशैली से संतुष्ट हैं तो आपको खड़गे साहब को वोट करना चाहिए. अगर आपको लगता है कि आप बदलाव चाहते हैं तो मैं हूं.लेकिन कोई वैचारिक मतभेद नहीं हैं. खड़गे को लेकर थरूर ने आगे कहा कि कांग्रेस के अंदर हम सहयोगी हैं. चुनाव से पहले और बाद में भी हम और खड़गे साहब साथ काम करेंगे.हमारे बीच कोई दुश्मनी नहीं है.
कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला तय हो गया है.दोनों नेताओं ने अपने समर्थन के लिए प्रचार शुरू कर दिया है. मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी में बदलाव के साथ ही कठपुतली अध्यक्ष के सवाल का जवाब दिया. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन आरोपों का जवाब दिया है जिसमें कहा गया था कि नया अध्यक्ष गांधी परिवार का कठपुतली होगा.उन्होंने कहा, गांधी परिवार से मैंने बहुत अच्छी चीजें सीखी हैं इसका मतलब ये नहीं है कि 50 साल मैंने कुछ नहीं सीखा.लेकिन अध्यक्ष बनने के बाद गांधी परिवार से अच्छी चीजें पूछूंगा और उनके साथ विचार भी करूंगा.राष्ट्रपिता गांधी जी का जन्मदिन और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन के मौके पर खड़गे ने रविवार से अपना चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है.उनके समर्थन में प्रचार करने के लिए दीपेन्द्र हुड्डा, गौरव वल्लभ और नासिर हुसैन ने आधिकारिक प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे दिया है.
नया अध्यक्ष गांधी परिवार की कठपुतली की तरह काम करने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, बीजेपी हमेशा कांग्रेस को अनदेखा करने की कोशिश करती है. उनका कब चुनाव हो गया? कितने डेलीगेट्स उनके हैं, कितने लोगों नें नड्डा जी को चुना, जितने भी अध्यक्ष हुए चुनाव होकर चुना गया क्या? गांधी परिवार ने इस देश को बहुत कुछ दिया है.कुबार्नी दी है देश के लिए त्याग किया है.
सोनिया जी अध्यक्ष हैं, वो राजनीति में नहीं आना चाहती थी. हमने ही तैयार किया कि देश को आपकी जरूरत है. सभी दुखों को एक तरफ रख पार्टी को मजबूत बनाया, दस साल सरकार चली.क्या उस दौरान प्रधानमंत्री बनने की कोशिश की? क्या राहुल को बनाया? मैं उनसे जब अच्छी बातें सीखना चाहता हूं, मैं उनसे और अन्य लोगों से विचार करूंगा, इसका मतलब ये नहीं है कि 50 साल मैंने कुछ नहीं सीखा.
इसके साथ ही उन्होंने कहा, पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उनसे अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल होने का अनुरोध किया था.50 साल से अधिक समय से बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ लड़ता रहा हूं.मैं जिस चीज को अपनाता हूं उसे दिल से करता हूं.मुझे सीनियर लीडर, युवा नेता सबका समर्थन मिला है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर भी हैं, उनके ऊपर थरूर के तमाम बयानों पर खड़गे ने कहा, शशि थरूर की मर्जी है, वे चुनाव लड़े या ना लड़े, उन्होंने मुझे फोन किया था, मैंने कहा एक लड़े. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बात है, लड़ना चाहिए.
उनके अपने विचार हो सकते हैं, वो रिफार्म की बात करते हैं. 9300 डिलीगेस्ट्स तय करेंगे. उसके बाद हमारी कमिटी बनेगी, जो बदलाव पार्टी में होना है.जो भी पॉलिसी बनेगी, सबकी सहमति के बाद ही कुछ होगा. मेरे करने की बात नहीं है. हम सब मिलकर करने की बात है. पार्टी में जो भी कमियां होंगी उसपर सोचेंगे और साथ काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि, मैं यहां पर सिर्फ दलित नेता के तौर पर नहीं हूं. क्या फर्क है उसमें और मुझमें, यहां पर मैं कांग्रेस के कार्यकर्ता के तौर पर लड़ रहा हूं. चुनाव होने के बाद सभी लोग मिलकर फैसला लेंगी. देश में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी को लेकर केंद्र पर हमला बोलते हुए खड़गे ने कहा, महंगाई बढ़ती जा रही है, अमीर और अमीर बनता जा रहा है और गरीब और गरीब होते जा रहे हैं, बीजेपी ने एक भी वादा अभी तक नहीं निभाया है.
उन्होंने सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं का धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने ही मुझे अध्यक्ष पर चुनाव लड़ने की प्रेरणा दी और कहा, जब समान विचारधारा के लोग एक साथ नहीं रहते तो मजबूती से मुकाबला नहीं हो सकता.मैं सबसे विनती करूंगा कि हमको समर्थन दें.सभी डेलिगेट का सहयोग चाहता हूं. पार्टी की बुनियादी विचारधारा के लिए लड़ता रहूंगा. इसके साथ ही जी-23 के नेताओं का समर्थन मिलने पर उन्होंने कहा कि, अभी जी-23 नहीं है. सबसे मिलकर काम करना है.हमारे युवाओं, राज्य के नेताओं ने कहा कि गांधी परिवार चुनाव में नहीं है आप लड़िए. लोगों और नेताओं का समर्थन है.हम सभी के कैंडिडेट हैं.पार्टी को बचाना चाहते हैं, बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए पहला सीरियस कंटेस्ट 1939 में सुभाष चंद्र बोस और पट्टाभि सीतारामय्या के बीच हुआ था. बाद में गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने समर्थन दिया, लेकिन बोस जीत गए.- 1950 में फिर से इस पद के लिए चुनाव नासिक अधिवेशन से पहले जेबी कृपलानी और पुरुषोत्तम दास टंडन के बीच लड़ा गया था. टंडन विजयी रहे लेकिन बाद में उन्होंने तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेदों के बाद इस्तीफा दे दिया.
- नेहरू ने 1951 और 1955 के बीच पार्टी प्रमुख और पीएम के दो पदों पर कार्य किया. नेहरू ने 1955 में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ दिया और यूएन ढेबर उनके उत्तराधिकारी बने.- 1947 और 1964 के बीच और फिर 1971 से 1977 तक ज्यादातर पार्टी अध्यक्ष प्रधानमंत्री के उम्मीदवार थे. 1997 में सीताराम केसरी ने प्रतिद्वंद्वियों शरद पवार और राजेश पायलट को हराकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव जीता.
- बाद में केसरी को मार्च 1998 में CWC के प्रस्ताव के जरिए कुर्सी से हटा दिया गया और एक साल पहले ही AICC की प्राथमिक सदस्य बनी सोनिया गांधी को पद संभालने का ऑफर किया गया. सोनिया 6 अप्रैल 1998 को औपचारिक रूप से अध्यक्ष चुनी गईं.-बाद में 2017-2019 में एक ब्रेक लिया. सोनिया सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाली पार्टी नेता हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
- 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया को चुनौती दी और हार गए. 22 साल से इस पद के लिए कोई मुकाबला नहीं हुआ है. राहुल 2017 में सर्वसम्मति से चुने गए थे.
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