जन सुराज पदयात्रा बिहार में शुरू

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जन सुराज पदयात्रा बिहार में शुरू

आलोक कुमार

पटना.बिहार में प्रदेशव्यापी जन सुराज पदयात्रा चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर रविवार यानी गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर से बिहार में शुरू करने जा रहे हैं.चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर राजधानी पटना से ही पदयात्रा शुरू करेंगे.यहां से पश्चिम चंपारण जिले के भितिहरवा गांधी आश्रम जाएंगे. 

   बताया जा रहा है कि प्रशांत किशोर पटना से ही अपना शक्ति प्रदर्शन करना शुरू कर देंगे.गाड़ियों के काफिले में लगभग 500 गाड़ियां होगी.इसके साथ ही पश्चिम चंपारण के रास्ते में लगभग दर्जनभर जगहों पर प्रशांत किशोर छोटी-छोटी सभा करते हुए आगे बढ़ेंगे.हालांकि प्रशांत किशोर ने इस यात्रा में शामिल होने के लिए जो निमंत्रण दिया है, वह 12:00 बजे दिन का है लेकिन जिस तरह की तैयारी दिख रही है, शाम भी हो सकता है.तब जाकर पदयात्रा भितिहरवा गांधी आश्रम से शुरू होगी.              बता दें कि बिहार के बक्सर जिला के रहने वाले प्रशांत किशोर हैं. उनको लोग PK के नाम से भी जानते हैं. प्रशांत किशोर का नाम तब सामने आया था, जब 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए कैंपेनिंग की थी.2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद प्रशांत किशोर को विपक्षी दलों ने चुनावी रणनीतिकार का तमगा दे दिया था. चुनावी रणनीतिकार के तौर पर मशहूर हुए प्रशांत किशोर ने उसके बाद पीछे का रास्ता कभी नहीं देखा. 

   पीके के इलेक्शन मैनजमेंट कौशल पर कोई सवाल नहीं उठ सकता. इस पेशेवर चुनावी रणनीतिकार की कामयाबियों के ताज में एक से एक रत्न जड़े हैं. 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुआई में पहली बार केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार से लेकर आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को सत्ता तक, 2015 में बिहार में तब के आरजेडी-जेडीयू-कांग्रेस महागठबंधन की शानदार जीत से लेकर 2021 के बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी की जीत की हैट्रिक तक...बतौर रणनीतिकार पीके की इन सबमें बड़ी भूमिका मानी जाती है। लेकिन इलेक्शन मैनेजमेंट स्किल और पार्टी चलाना या पार्टी का हिस्सा बनना अलग बात है. पर्दे के पीछे रहकर रणनीति तैयार करने वाले पीके ने जेडीयू के जरिए सक्रिय राजनीति में कदम रखा भी था लेकिन उस प्रयोग को असफल साबित होते पूरी दुनिया ने देखा.

  प्रशांत किशोर ने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए पेशेवर क्षमता में काम किया था और I-PAC के संस्थापक किशोर ने बाद में अन्य राज्यों में अन्य पार्टियों के चुनाव अभियान के प्रबंधन में व्यस्त रहे.वह वर्ष 2018 में जदयू में शामिल हुए, जब नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जदयू में शामिल होने के कुछ ही हफ्तों में वे पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किए गए. लेकिन CAA, NPR, NRC विवाद पर मतभेद को लेकर जदयू से निष्कासित कर दिए गए.       

  बता दें पिछले दिनों PK ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी.उसके बाद प्रशांत किशोर की काफी भद्द पीटी थी. तभी नीतीश कुमार के करीबी रहे प्रशांत किशोर अब नीतीश कुमार के खिलाफ मुहिम छेड़ चुके हैं. 

बहरहाल पदयात्रा के दौरान वह बिहार के सभी प्रखंडों में जाएंगे और समाज के स्वच्छ छवि वाले ईमानदार लोगों को जन सुराज से जोड़ेंगे.चर्चित चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर रविवार यानी गांधी जयंती पर दो अक्टूबर से बिहार में प्रदेशव्यापी जन सुराज पदयात्रा शुरू करने जा रहे हैं.              बताया जा रहा है कि वो पटना से बड़े काफिले के साथ चंपारण जाएंगे. उनका दावा है कि बिहार के इतिहास में  पिछले 75 वर्षों में ऐसी पदयात्रा नहीं हुई.3500 किलोमीटर की पदयात्रा के पीछे का उद्देश्य नए बिहार की बुनियाद रखना है. जमीनी स्तर पर जन संवाद के जरिए पलायन, बेरोजगारी, कृषि,  शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बिंदुओं पर आधारित अगले 15 वर्षों के लिए पंचायत स्तर पर बिहार के विकास का विजन डाक्यूमेंट तैयार करना है.                                    

इस पदयात्रा के 3 मूल उद्देश्य हैं :-


1. समाज की मदद से जमीनी स्तर पर सही लोगों को चिन्हित करना और उनको एक लोकतांत्रिक मंच पर लाने का प्रयास करना.

2. स्थानीय समस्याओं और संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझना और उसके आधार पर नगरों एवं पंचायतों की प्राथमिकताओं को सूचीबद्ध कर, उनके विकास का ब्लूप्रिंट बनाना.

3. बिहार के समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आर्थिक विकास, कृषि, उद्योग और सामाजिक न्याय जैसे 10 महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विशेषज्ञों और लोगों के सुझावों के आधार पर अगले 15 साल का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करना.                          

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