अब बचाव करने में उतरा आरा सदर अस्पताल

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अब बचाव करने में उतरा आरा सदर अस्पताल

आलोक कुमार

आरा.अमानवीय कृत्य आरा सदर अस्पताल में देखने को मिला.हुआ यह कि 20 सितम्बर को  दिन के लगभग 10 बजे भोजपुर जिले के चरपोखरी प्रखंड, ग्राम -कोयल निवासी गर्भवती गुड़िया देवी प्रसव के लिए उक्त अस्पताल में गई.वह सुरक्षित प्रसव कराने के लिए पहुंची थीं.उसके बाद जो कुछ भी वह ह्दय विदारक ही था.

बताया जाता है कि गुड़िया देवी सुरक्षित प्रसव कराने आरा सदर अस्पताल गई थीं.नॉर्मल डिलीवरी के दरम्यान कुछ परेशानियां होने लगी व बढ़ने लगी.लेटलतीफ व प्राइवेट प्रैक्ट्रिस में व्यस्त रहने वाले डॉक्टरों के कारण स्वास्थ्य कर्मी ही डॉक्टर की भूमिका में आकर प्रसव कराने लगे.इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी भी महसूस करने लगे कि गुड़िया देवी को निचला खंड सीजेरियन सेक्शन (एलएससीएस) करने की जरूरत है. परंतु ड्यूटी के समय डॉक्टर अपने प्राइवेट क्लिनिक में व्यस्त रहने के कारण स्वास्थ्य कर्मी ही कर्तव्य निभाने लगे.ऐसी परिस्थिति में गुड़िया देवी को किसी और अस्पताल में रेफर नहीं किया जा सकता था.


इस तरह डॉक्टरों की ग़ैरमौजूदगी के कारण गुड़िया देवी का एलएससीएस नहीं हो सका.जिसके कारण गुड़िया देवी की अकाल मौत डॉक्टरों की लापरवाही व आरा सदर अस्पताल की कुव्यवस्था से हो गई.मौके पर उपस्थित परिजनों ने कहा कि इस दरम्यान गुड़िया देवी तड़पती रही.महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था व धरती के भगवान के क्रियाकलाप की बली वेदी पर प्रसव के दौरान गुड़िया की मौत हो गयी.इसके बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने कुकृत्य कर दिया.मौत के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने गुड़िया के बच्चा को पेट में ही छोड़ दिया और उसके गुप्तांग में कपड़ा ठूँसकर नौ दो ग्यारह हो गए.


बताया जाता है कि कुछ वर्ष नॉर्मल डिलीवरी के दरम्यान शिशु की मौते हो जाने के बाद पुन: पूर्ववत स्थिति में पहुंचाने के प्रयास में  शिशु के हाथ काट दिया गया.उसके बाद महिला को रेफर कर दिया गया.जब रेफर होकर त्रिपोलिया हॉस्पिटल में महिला आई,तो एलएससीएस के दरम्यान शिशु का हाथ कटा  मिला.वहां के डॉक्टर परेशान हो उठे.त्रिपोलिया हॉस्पिटल में जबर्दस्त हंगामा हो गया.बात प्रिंट मीडिया तक जा पहुंची.


इस बार आरा सदर अस्पताल में लापरवाही से गर्भवती महिला की मौत  प्रसव के दौरान हो जाने की सूचना स्थानीय विधायक मनोज मंजिल को दी गयी.वहां पर माले चर्चित नेत्री शोभा मंडल पहले से ही मौजूद थी और उसी समय तरारी विधायक सुदामा प्रसाद भी पहुंचे. इस घटना पर दुख व्यक्त किया. स्थानीय विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि मैंने वहीं से डीएम और एसपी से मैसेज/फोन से भी की शिकायत कर दी.उनके परिजनों ने भी टाउन थाना में मुकदमा दर्ज करा दिया है.


स्थानीय विधायक मनोज मंजिल ने कहा कि आज सुबह सदर अस्पताल पहुंच हॉस्पिटल स्टाफ, डॉक्टर से पूरी घटना का जायजा लिया और सिविल सर्जन, डीपीएम, अस्पताल प्रबंधक ,आरवाईए नेता अखिलेश गुप्ता के साथ बैठक की.बैठक में  कहा कि जनता अस्पताल को भाजपा मॉडल पर नहीं चलने देगी. अस्पताल लोगों के जीवन देने का केंद्र बनेगा मरने का नहीं.मैं इस पूरी घटना का शिकायत स्वस्थ्य मंत्री से करूँगा.


मंगलवार की शाम जैसे ही स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रसव कराया जा रहा था. उसी दौरान उसने दम तोड़ दिया और बच्चा पेट में ही रह गया. वहीं दूसरी ओर गुड़िया की मां मुन्नी देवी ने ऑन ड्यूटी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लापरवाही के कारण बेटी की मौत होने का आरोप लगाया है. उधर ऑन ड्यूटी चिकित्सक डॉ. शाजिया बदर ने बताया कि मरीज को मैंने देखा था. उसे हर साल एक बच्चा हुआ.


यह उसका तीसरा बच्चा था.उसका हेमोग्लोबिन भी सात ग्राम था. इसके बाद उसे करीब डेढ़ बजे भी देखा गया.जिसके बाद उसके परिजनों को ब्लड का इंतजाम करने के लिए भी कहा गया. लेकिन उसके पास डोनर नहीं थे.मरीज की स्थिति नाजुक होने के बाद उसे पीएमसीएच रेफर कर दिया गया था.लेकिन उस समय मरीज स्टेबल थी.तभी अचानक वह गैसपिन में चली गई. गुड़िया का रेफर कागज बन ही रहा था.तभी उसकी मौत हो गई .गुड़िया की हार्ट अटैक से मौत होने की आशंका जा जताई जा रही है.उसके बच्चा का गर्भ में कोई मोमेंट नहीं था.शायद हो सकता है कि बेबी पहले ही डेथ हो गया था.


इसके बावजूद पेशेंट को केयर किया जा रहा था.इसी बीच यह हादसा हो गया.वही इस मामले में सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ.अरुण कुमार ने बताया कि यह घटना बहुत दुखद है.इस मामले में मैंने ऑन ड्यूटी चिकित्सक शाजिया बदर से भी मैंने बात की है. वह सदर अस्पताल की एक एक्सपर्ट डॉक्टर हैं. उनके द्वारा मरीज को देखा गया था. देखने के बाद उन्हें लगा कि मरीज को खून की बहुत कमी है और बच्चे की धड़कन भी नहीं मिल रहा था.जिसके बाद उन्होंने कहा कि हमारे यहां संभव नहीं है इसे पटना लेकर जाइए. उपाधीक्षक ने बताया कि डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की कोई गलती नहीं है. डॉक्टर द्वारा उसे बार-बार कहां जा रहा था तो उन्हें पटना हायर सेंटर लेकर जाइए.लेकिन परिजन लेकर नहीं गए. जिसके कारण मरीज लैप्स कर गया.


इस बीच भोजपुर जिले के असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने कहा है कि इस संदर्भ में जांच कराएंगे.

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