ऐपवा का 8वां बिहार राज्य सम्मेलन

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ऐपवा का 8वां बिहार राज्य सम्मेलन

आलोक कुमार

 दरभंगा.अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) का 8वां बिहार राज्य सम्मेलन देर ऐपवा यूपी सचिव व बिहार के पर्यवेक्षक कुसुम वर्मा की देखरेख में सम्पन्न हुआ. सम्मेलन से 121 सदस्यीय राज्य परिषद, 31 सदस्यीय कार्यकारणी व 9 सदस्यीय पदाधिकारी टीम का गठन किया गया.शशि यादव को सचिव व सरोज चौबे को अध्यक्ष चुना गया.पदाधिकारी टीम में उपाध्यक्ष मंजू प्रकाश, दमयंती सिन्हा, सावित्री देवी, इंदु सिंह, रानी प्रसाद, सह सचिव के रूप में अनिता सिन्हा, सोहिला गुप्ता, रीता वर्णवाल, जूही महबूबा शामिल हैं.

इस अवसर पर नवनिर्वाचित ऐपवा राज्य सचिव शशि यादव ने कहा कि आज स्त्रियाँ इतिहास के सबसे विकट दौर में साँसें लेने को मज़बूर है.वर्तमान राजनीतिक परिवेश ने पूरे समाज में स्त्रियों, दलितों, वंचितों के लिए एक दमघोंटू सामाजिक माहौल बना रखा है.इसका सबसे साफ प्रमाण हमने बिलकिस बानो के मामले में देखा। लोकतंत्र में जब न्याय पालिका कोम्प्रोमाईज़ हो जाये तो लोकतंत्र की रक्षा कैसे हो सकेगी? भाजपा की फासिस्ट सरकार तमाम लोकतांत्रिक संस्थाओं को अपना पिट्ठू बना के जनता का दमन कर रही है. ऐसे समय में जब लोकतंत्र के सभी स्तंभों को जड़ से उखाड़ने की कोशिश की जा रही है, लोकतंत्र की रक्षा के लिए हम आधी आबादी को मुखर होना होगा. इस सम्मेलन के जरिये हम समाज में ये साफ सन्देश देना चाह रहे हैं कि स्त्रियाँ असहाय नहीं हैं, दमन का प्रतिरोध हम करते रहेंगे. जनमुद्दों पर जनांदोलन का रास्ता ही लोकतंत्र को बचाने का उपाय भी है.


सम्मेलन से नवनिर्वाचित  ऐपवा बिहार की राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे ने कहा कि इतिहास की पुनर्व्याख्या के बहाने तमाम दमित अस्मिताओं का नए सिरे से हाशियाकरण किया जा रहा. भाजपा की कार्यनीति में स्त्रियों के लिए, दलितों, आदिवासियों के लिए कुछ भी नहीं है.पिछले एक दशक में आप देश में स्त्रियों की, गरीब-गुरबा लोगों की स्थिति का मूल्यांकन करें तो भाजपा सरकार के जघन्यतम अपराध सामने आ जाएँगे. सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को निर्मम तरीके से ये सरकार कुचलती जा रही. मुस्लिम महिलाओं को लगातार निशाना बनाया जा रहा. CAA-NRC आंदोलन के समय में भी ये प्रवृत्ति साफ देखी जा सकती थीं.आज सभी वर्गों की महिलाएँ,गरीब-गुरबा मजदूर-किसान का जीवन भीषण संकट में है.एक अदद सम्मानजनक जीवन के लिए संघर्ष का नारा हम इस मंच से बुलंद करते हैं.


सम्मेलन से 7 सदस्यीय राजनीतिक प्रस्ताव को पास किया गया.


1) एक तरफ देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है.वहीं दूसरी तरफ बिलकिस बानो के बलात्कारियों, उनके परिजनों के हत्यारों की रिहाई के साथ उन्हें सम्मानपूर्वक मिठाई खिलाया जा रहा है. इस प्रकार के कृत्यों से लैंगिक अपराध और न्याय की हत्या का सामान्यीकरण हो रहा है.अतः यह सम्मेलन बिलकिस बानो के गुनहगारों की सजा माफी की मुखालफत करता है और सजा माफी रद्द करने की मांग करता है.


(2) राजस्थान के जालौर जिले में एक 9 वर्षीय नाबालिग दलित बच्चे की सरस्वती विद्या मंदिर के एक प्राइवेट स्कूल में पानी पीने की वजह से पीट-पीटकर नृशंस हत्या कर दी गई. इस तरह के जघन्य जातिगत अपराध का यह सम्मेलन पुरजोर विरोध करता है तथा समान स्कूल प्रणाली की मांग करता है.


(3) उत्तराखंड के चमोली जिले के हेलंग में पहाड़ी औरतों द्वारा अपने पशुओं के लिए चारा पत्ती काटने के अपराध में पुलिस द्वारा उन्हें उत्पीड़ित करने एवं दूध में बच्चे के साथ उन्हें हिरासत में लिए जाने के खिलाफ यह सम्मेलन ऐलन की महिलाओं के जल जंगल एवं जमीन की लड़ाई के साथ एकजुटता व्यक्त करता है तथा कॉरपोरेट और सरकार की मुख़ालफ़त करता है.


(4) यह सम्मेलन प्रस्ताव लेता है कि लड़कियों की शिक्षा के लिए और दहेज प्रथा के खिलाफ अक्टूबर-नवंबर माह में बिहार के लगभग 20 जिले में कन्वेंशन करेगा.


(5) दरभंगा के रजवाड़ा वाली घटना में निर्दोष जन नेताओं की गिरफ्तारी और मुकदमे जिसमें 9 महिलाएं समेत अन्य 19 लोगों तथा चर्चित नेता पप्पू खान शामिल है.इसका यह सम्मेलन पुरजोर विरोध करता है.


(6) यह सम्मेलन अपने रोजगार के सवाल पर आंदोलनरत सभी स्कीम वर्कर्स आशा आंगनवाड़ी रसोईया के साथ एकजुटता प्रदर्शित करती है और आशा आंगनवाड़ी रसोईया के नियमितीकरण की मांग करती है.


(7) यह सम्मेलन सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक बंदियों की असंवैधानिक गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता है और सभी राजनैतिक बंदियों की बिना शर्त रिहाई की मांग करता है.


अंत में इस सम्मेलन को सफल बनाने में लगे हुए तमाम स्वयंसेवकों को ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीणा तिवारी द्वारा सम्मानित किया गया. अंत में नवगठित कमिटी के साथ-साथ राज्य भर से आये डेलीगेट्स ने कम्युनिस्ट इंटरनेशनाल का सामूहिक गायन किया. पूरे सेमिनार स्थल इंक़लाबी नारों से गूंज उठा.

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