सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को जमानत दी

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सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को जमानत दी

नयी दिल्ली.'जेल का फाटक टूटेगा,भाई हमारा छूटेगा'.पूर्व केंद्रीय सुषमा स्‍वराज नहीं रहीं.परंतु उनका नारा याद है. आपातकाल के समय जॉर्ज फर्नांडिस जेल में थे.केंद्रीय मंत्री को ऐतिहासिक चुनाव प्रचार करने के लिए हथकड़ी वाला जॉर्ज का कटआउट मिल गया था.हाथ में कटआउट उठाकर तब सुषमा का नारा 'जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा' जन-जन की जुबान पर चढ़ गया था.जो आज भी जारी है.केरल राज्य के सबसे बड़े पत्रकारों के निकाय यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) ने भी सिद्दीकी कप्पन की रिहाई की मांग करते समय नारा बुलंद किये. राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया.

केरल के पत्रकार सिद्धिक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी. पिछले माह याचिका पर सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के लिए नोटिस जारी किया था.पत्रकार समेत अन्य लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था.उन्हे जमानत मिलने के तीन दिनों के अंदर रिहा करना होगा.सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को सशर्त जमानत दी है. कप्पन को उत्तर प्रदेश की जेल से छूटने के बाद अगले 6 हफ्तों तक दिल्ली में रहना होगा, इसके बाद वे केरल जा सकेंगे. इसके अलावा हर सोमवार को उन्हें पुलिस स्टेशन में हाजिरी देना होगा, साथ ही अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा.    

उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए बलात्कार कांड की कवेरज के लिए जा रहे थे.पत्रकार कप्पन अक्टूबर 2020 से जेल में है. केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है.सिद्दीकी की ओर से दायर जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन को जमानत पर रिहा करने पर सहमति जताई. 

हाथरस कांड के बाद जनता को भड़काने समेत कई आरोपों में गिरफ्तार पत्रकार कप्पन सिद्दीकी की जमानत याचिका पर CJI जस्टिस यूयू ललित ने यूपी सरकार से पूछा कि क्या कप्पन के पास से कोई विस्फोटक पदार्थ मिला ? कोई ऐसी सामग्री मिली जिससे लगता हो कि वो साजिश रच रहा था. लगता है कि अभी आरोप तय होने के चरण तक भी मामला नहीं पहुंचा है.  

 यूपी सरकार की ओर से पेश महेश जेठमलानी ने कहा कि कप्पन के पास कोई विस्फोट नहीं मिला था. उसकी कार में आपत्तिजनक साहित्य मिला था. उससे पता चला कि वो PFI से जुड़ा है.  सीजेआई ने यूपी से पूछा कि साहित्य में खतरनाक क्या लगता है ? फिर कप्पन वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि साहित्य ये था कि हाथरस की पीड़िता को इंसाफ दिलाना है.                 

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र अभिव्यक्ति का अधिकार है. वह यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पीड़ित को न्याय की जरूरत है और एक आम आवाज उठाएं. क्या यह कानून की नजर में अपराध होगा?         करीब दो साल तक जेल में रहने के बाद उनको सर्वोच्च अदालत से सशर्त जमानत मिली है. चीफ जस्टिस यूयू ललित के साथ जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कप्पन को जमानत का फैसला किया. चीफ जस्टिस यूयू ललिता ने पिछले दिनों गुजरात सरकार की अपील खारिज करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दी थी.

इसके पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने कप्पन की जमानत का विरोध किया था. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि कप्पन के चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसका एक राष्ट्र विरोधी एजेंडा है. सरकार का कहना है कि सिद्दीक कप्पन देश में धार्मिक कलह और आतंक फैलाने की बड़ी साजिश का हिस्सा है. यह भी कहा गया कि कप्पन सीएए और एनआरसी और बाबरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले व हाथरस की घटना को लेकर धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का बड़ा हिस्सा है.

बहरहाल, 29 अगस्त को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके पांच सितंबर तक जवाब मांगा था.राज्य सरकार ने नोटिस स्वीकार किया था.कप्पन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि सिर्फ 45 हजार रुपए बैंक में जमा कराने का आरोप है.पीएफआई कोई प्रतिबंधित या आतंकवादी संगठन नहीं बताया गया है।

सिब्बल ने कहा था कि कप्पन अक्टूबर 2020 से जेल में है.वे  गौरतलब है कि सिद्दीक कप्पन ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी.इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.तीन अगस्त को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिद्दीकी कप्पन को राहत नहीं दी थी.कप्पन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून, यूएपीए का मामला दर्ज करने के बाद उनको जेल भेजा गया था.कप्पन मथुरा जिला जेल में बंद हैं. 

इस समय सिद्धिक कप्पन की पत्नी रेहाना कप्पन तो पत्रकार और वकील भूमिका में आ गई हैं.उनका कहना है कि स्वतंत्र पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. कप्पन उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित युवति के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट करने जा रहे थे. उन पर देशद्रोह और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम जैसे कठोर कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया. 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनकी बीमार मां से मिलने के लिए पांच दिन की जमानत दी लेकिन उन्हें मीडिया से बात करने की इजाजत नहीं दी. हाल के महीनों में कप्पन की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती जा रही है और 21 अप्रैल को उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. उसी दिन कप्पन को इलाज के लिए मथुरा के केएम मेडिकल कॉलेज ले जाया गया जहां उन्हें जंजीरों से बांधकर रखा गया और शौचालय का इस्तेमाल नहीं करने दिया गया. 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दीकी को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में स्थानांतरित करने का आदेश दिया. 30 अप्रैल को पत्नी रेहाना दिल्ली पहुंचीं लेकिन उन्हें अपने पति से मिलने नहीं दिया गया. 6 मई की रात को उत्तर प्रदेश पुलिस कप्पन को उनके परिवार या वकील को बताए बिना वापस मथुरा जेल ले गई. 


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