मानवाधिकार आयोग पहुंचा कस्टोडियल डेथ का मामला

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मानवाधिकार आयोग पहुंचा कस्टोडियल डेथ का मामला

पटना. राजधानी पटना के राम कृष्णा नगर थाना क्षेत्र में शराब पीने के आरोप में सुनील मांझी को गिरफ्तार किया गया था. सुनील मांझी दानापुर के सराय का रहने वाला था और राम कृष्णा नगर पुलिस ने 23 अगस्त को गिरफ्तार कर उसे बेउर जेल भेजा गया था. जेल प्रशासन द्वारा मिली जानकारी के अनुसार 24 अगस्त को अचानक सुनील की तबीयत बिगड़ने लगी. इसके बाद आनन-फानन में उसे पीएमसीएच इलाज के लिए भेजा गया जहां उसकी मौत हो गई. मौत के बाद परिजनों को उसका बॉडी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट दे दिया गया है.

                                                                    

पूरे मामले को संदिग्ध बताते हुए आयोग के सामने इस मुद्दे को लॉ की पढ़ाई कर रही स्टूडेंट खुशी रॉय ने उठाया है.पटना में हुए एक कस्टोडियल डेथ का मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जा पहुंचा है. शुक्रवार को इस मामले में ऑनलाइन शिकायत की गई है, जिसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने एक्सेप्ट भी कर लिया है.इस मुद्दे को लॉ की पढ़ाई कर रही स्टूडेंट खुशी रॉय ने उठाया है.अपने आवदेन के जरिए कस्टोडियल डेथ के इस मामले की जांच कराने की मांग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से की है.यह मामला पटना में रामकृष्णा नगर थाना और बेउर जेल से जुड़ा हुआ है.


28 साल का सुनील मांझी रामकृष्णा नगर थाना के तहत भूपतिपुर मुसहरी का रहने वाला था.बात 22 अगस्त की है.FIR नंबर 447/2022 के तहत ASI चंद्रभूषण राम उस दिन 4 सिपाहियों ऑर मद्य निषेद्य के डॉग स्क्वायड के साथ भूपतिपुर की तरफ पेट्रोलिंग पर निकले थे.FIR में इन्होंने दावा किया कि सुनील मांझी के पास बोरे में शराब थी.इसलिए वो पुलिस को देखकर भागने लगा था. जिसे खदेड़ कर पकड़ा गया. थाना लाया गया.बेउर जेल प्रशासन के अनुसार 23 अगस्त को उसे जेल भेजा गया. 24 अगस्त को अचानक उसकी तबियत बिगड़ गई.उसी दिन इलाज के लिए उसे PMCH में एडमिट कराया गया और इस क्रम में 25 अगस्त को उसकी मौत हो गई.


जब सुनील के मौत की खबर परिवार के लोगों को हुई थी तो 25 अगस्त को ही काफी सारे लोगों ने रामकृष्णा नगर थाना का घेराव कर दिया था.परिवार का आरोप था सुनील की मौत संदेहास्पद है. आरोप है कि पुलिस की पिटाई से उसकी मौत हुई है.हालांकि, पुलिस परिवार के आरोप से इनकार कर चुकी है.थानाध्यक्ष जहांगीर आलम ने कैदी की पुलिस हिरासत में पिटाई से मौत होने की बात को खारिज कर दिया है.शुक्रवार 26 अगस्त को सुनील की संदेहास्पद मौत और थाना में घेराव की खबर मीडिया में आई.अखबार में खबर पढ़ने के बाद पटना के ही एक कॉलेज से पढ़ाई कर रही लॉ की स्टूडेंट खुशी रॉय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से इस मामले में संज्ञान लेते हुए जांच करवाने की मांग की है.साथ ही कस्टोडियल डेथ होने की वजह से सुनील के परिवार को उचित मुआवजा दिलवाने की भी अपील की है.


जिला परिषद सदस्य दीपक मांझी ने कहा कि पुलिस की पिटाई से सुनील मांझी की मौत हुई है.हम लोग मुआवजा और पुलिस पर कार्रवाई की मांग को लेकर सड़क पर उतरे.पीड़ित परिवार को न्याय दिलाएंगे.बता दें कि सुनील मांझी के 3 बच्चों में दो बेटियां भी शामिल हैं.पूरे परिवार की जिम्मेदारी सुनील पर थी.वहीं, पटना एसएसपी डॉ मानवजीत सिंह ढिल्लों ने बताया कि सुनील के इलाज में यह बात सामने आई है कि वह नशे का आदि था.उसके शव का पोस्टमार्टम करवाया गया. पुलिस हिरासत में मारपीट की बात से आलाधिकारियों ने साफ इंकार किया है.


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