विस्थापित होकर पुनर्वासित होने वाले लोग सात साल से परेशान

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विस्थापित होकर पुनर्वासित होने वाले लोग सात साल से परेशान

आलोक कुमार

पटना : पटना के गंगा घाटों पर जल स्तर में बढ़ोतरी हो चुकी है. प्रमुख घाटों पर यह खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. शनिवार शाम छह बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक गंगा का मनेर में खतरे का निशान 52 मीटर है, यह यहां 52.16 मीटर के जलस्तर के साथ बह रही थी. दीघा घाट में खतरे का निशान 50.45 मीटर है, यह यहां 50.26 मीटर जलस्तर के साथ बह रही थी.

दीघा घाट में खतरे का निशान 50.45 मीटर है, यह यहां 50.26 मीटर जलस्तर के साथ बह रही थी.गंगा का जल स्तर फिर बढ़ने लगा है.इसका असर दीघा बिंद टोली से 2015 में विस्थापित होकर  कुर्जी दियारा क्षेत्र में पुनर्वासित होने वाले बिंद समुदाय पर पड़ रहा है.कुर्जी बिंद टोली का आंशिक भाग भी डूब गया है. बिंद टोली के लोगों ने बताया कि बाजार जाने के लिए भी सरकार की तरफ से अभी तक नाव मुहैया नहीं करायी गई है, जिस कारण से हम लोगों को लगभग 3 से 4 किलोमीटर घूम कर बाजार जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार अगर नाव मुहैया करा दे तो आसानी से हम लोग बाजार से राशन ला सकते हैं. बीमारी को भी बाहर निकालने में सुविधा होगी.

यहां के निवासी यदु महतो कहते हैं कि पहले हमलोग दीघा में रहते थे.पूर्व मध्य रेलवे परियोजना के कार्य विस्तार के लिए स्थल की आवश्यकता थी.तब बिहार सरकार ने दीघा बिंद टोली को पूर्व मध्य रेलवे को समर्मित कर बिंद समुदाय को सूली पर चढ़ा दी.यहां के 205 परिवार विस्थापित हो गये.बिंद समुदाय को कुर्जी दियारा क्षेत्र में बसाया गया है.जहां पर बिंद समुदाय को बसाया गया है. वह वास्तव गंगा नदी का मुख्य बहाव वाला स्थल है.जहां प्रत्येक साल बाढ़ का पानी का तेज बहाव हो जाता है.विस्थापित होकर पुनर्वासित होने वाले लोग सात साल से परेशानी झेल रहे हैं.

नकटा दियारा के पूर्व मुखिया भागीरथ ने बताया कि नकटा दियारा पंचायत का अभिन्न अंग बिंद टोली है.यहां पर पंचायत के दो वार्ड है.लगभग 200 घरों में पानी भर जाने से बाढ़ प्रभावित लोग हो गए हैं. वहीं नकटा दियारा में लगभग 2000 घर हैं. यहां भी स्थिति ठीक नहीं है. गांव में कई जगहों पर पानी भर आया है. थोड़ी और स्थिति बिगड़ी तो घरों में पानी भर जायेगा और लोगों को पलायन करना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रशासन की ओर से नाव और पशुओं के लिए चारा उपलब्ध नहीं कराया गया है.जिला प्रशासन के द्वारा नाव नहीं उपलब्ध करवाने से जमीन से करीब 60 फीट ऊपर चढ़कर गंगा पथ पर चढ़ा जाता है.इसके बाद आगे चलकर करीब 60 फीट नीचे उतरकर बिंद टोली में जाते हैं.इस शख्स को देखा जा सकता है.

वह शख्स ने बताया कि हम जैसे लाभुकों को फ्री में तीन किलो चावल एवं दो किलो गेंहू मिल रहा है. इसके अलावा तीन रुपये प्रति किलो चावल एवं दो रुपये प्रति किलो गेहूं मिलता है.यानी प्रति लाभुकों को हर माह दस किलो अनाज मिलता है जिसमें पांच किलो फ्री दी जाती है.उन्होंने कहा कि अमीर- गरीब सभी लोग उसना चावल खाते हैं. लेकिन जन वितरण प्रणाली द्वारा सभी गरीब लाभुकों को अरवा चावल दिया जाता है. जिससे यहां के गरीब वह चावल खाने के बजाय उसे दुकानों में बेचकर उसना चावल कम मात्रा में खरीदी कर किसी तरह से अपनी जीविका चला लेते हैं.उसने कम कीमत पर जन वितरण प्रणाली की दुकान से पचास किलो अरवा चावल खरीदा.उसने 15 रूपए किलो की दर से  पचास किलो चावल बेचा और प्राप्त साढ़े सात रूपए में 25 किलो मंसूरी उसना चावल खरीद कर ले जा रहे हैं.

पटना के कुर्जी मोड़ इलाके में गंगा के किनारे सरकार द्वारा बसाई गई बिंद टोली के लोग दहशत में हैं.जैसे-जैसे गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है.यहां के निवासियों की धड़कनें बढ़ती जा रही है.घर में पानी प्रवेश करने के डर से बिंद टोली निवासी रतजगा करने को मजबूर हैं.जिन लोगों के घर जलमग्न हो गए हैं उन्होंने ऊंचे स्थान पर शरण ले ली है.निवासियों का कहना है कि बारिश में हर वर्ष बिंद टोली टापू में तब्दील हो जाती है. बावजूद इसके प्रशासन द्वारा कोई सुरक्षात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है.


प्रशासन द्वारा दीघा के समीप बसे लोगों को करीब सात वर्ष पहले बिंद टोली में बसाया गया था. वर्तमान में वहां करीब तीन सौ कच्चे-पक्के मकान हैं. गंगा के किनारे होने के कारण जल स्तर बढ़ते ही पानी से कई घरों में पानी भर जाता है. गंगा का जलस्तर रविवार को गांधी घाट पर खतरे को निशान को पार गया.जलस्तर बढऩे के कारण बिंद टोली का एक हिस्सा जलमग्न हो गया. एक दर्जन घरों में गंगा का पानी प्रवेश कर जाने के बाद लोगों ने ऊंचे स्थान पर शरण ली. 


स्थानीय निवासी मुकेश ने बताया कि हर बारिश के मौसम में यहां के लोगों में डर व्याप्त रहता है. घर में पानी घुसने के डर से पूरी रात लोग जागते रहते हैं.उन्हें निवास और मवेशियों की चिंता सताती रहती है. अनिल महतो ने बताया कि बसाए सात वर्ष बीत जाने के बाद भी बाढ़ के पानी के बचाव के लिए बिंद टोली में कोई व्यवस्था नहीं की गई है. अनिता देवी ने कहा कि घरों में पानी भरने से निवासियों के सामने रहने और खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो जाती है.प्रशासन की तरफ से कोई उनकी सुध तक नहीं लेने आता.        

अधिकारियों का कहना है कि गंगा के जलस्तर पर नजर रखी जा रही है.जैसे ही जलस्तर बढ़ने से बिंद टोली प्रभावित होगा वैसे ही वहां के लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल दिया जाएगा. इसके लिए सरकारी नाव की व्यवस्था की गई है.साथ ही ऐसे लोगों को ठहरने के लिए दीघा में व्यवस्था की गयी है.


इस बीच अखिल भारतीय बाढ़, सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने कहा कि गंगा के बाढ़ का पानी पटना जिले के मोकामा, पंडारक, बाढ़, बख्तियारपुर, खुसरूपुर, फतुहा, पटना सदर, दानापुर, मनेर के दियारा में पड़ने वाले सभी पंचायतों के गांवों में प्रवेश कर गया है.

दानापुर प्रखंड का पुरानी पानापुर, मानस नया पानापुर, कासिम चक, हेतानपुर, गंगहारा, पतलापुर पंचायतों की तीन लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित हो रही है. इन पंचायतों के लाखों लोग सुरक्षित स्थान की ओर अभी दियारा में ही पलायन कर रहे हैं. मनेर प्रखंड के कित्ता चौहट्टर मध्य,पूर्वी ,और पक्षमी, मंगरपाल पंचायत, सुअर मरवा आदि अन्य पंचायतों में बाढ़ की स्थिति है. मनेर में गंगा नदी के साथ सोन नदी के जल स्तर में भी तेजी से बढ़ोतरी जारी है.

पटना नगर निगम प्रशासन लगातार इस आपदा पर नजर बनाए रखे हैं. गंगा के पानी में लगातार बढ़ोतरी होने से तटीय इलाकों में पानी घुसने लगा है, जिस कारण सड़कों पर भी पानी आ रहा है. लोगों का चलना दूभर हो रहा है. इस बीच आपदा प्रबंधन मंत्री शाहनवाज ने गंगा नदी के जलस्तर का जायजा भी लिया और विभाग के अधिकारियों और SDRF की टीम से भी बातचीत की. मंत्री शहनवाज़ ने बाढ़ की स्थिति आने पर उससे निपटने के लिए संबंधित अधिकारियों को भी आवश्यक निर्देश दिए हैं. 

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