जनादेश के अपमान पर प्रदर्शन

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जनादेश के अपमान पर प्रदर्शन

आलोक कुमार

पटना . बिहार विधानसभा के बाहर विपक्षी विधायकों ने अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के इस्तीफे की मांग की.विपक्षी विधायकों ने कहा,"हमारा मनोबल गिराने के लिए छापे किए जा रहे हैं. अध्यक्ष को अपनी कुर्सी बचानी है, जिसके लिए छापे हो रहे हैं. अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के हमारे प्रस्ताव पर विचार किया जाना चाहिए."        

  बता दें कि बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्वारा उनके खिलाफ सत्तारूढ़ महागठबंधन के विधायकों के अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार करने के बीच, प्रदेश में नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के लिए बुधवार को बुलाए गए सदन के विशेष सत्र के सदन आउट का रहा.                                      

 बिहार विधानसभा में एक दिवसीय सत्र में जाने से पूर्व जनादेश का अपमान, तिरंगे के अपमान एवं हिन्दू धर्म के अपमान के विरोध भारतीय जनता पार्टी के सभी माननीय सदस्यों के साथ शान्ति प्रदर्शन किया.    

           

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि बहुमत का सम्मान करते हुए मैं विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देता हूं. वर्तमान राजनीतिक हालात में बहुमत मेरे पक्ष में नहीं हैं, इसलिए मैं अपने पद का त्याग करता हूं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में परिस्थितियां और समय दोनों महत्वपूर्ण होते हैं. सिन्हा ने आगे कहा कि अपने छोटे से कार्यकाल में कई उपलब्धियां देखी. प्रधानमंत्री का पहली बार में बिहार विधानसभा में आना और सदन को संबोधित करना काफी प्रेरणादायक रहा.मुख्यमंत्री और वर्तमान में बिहार के उपमुख्यमंत्री का सदन में पूरा सहयोग मिला जो किसी से छुपा नहीं है.

इस्तीफे की घोषणा से पहले विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मेरे ऊपर कोई भी मुकदमा या आपराधिक मामला नहीं. लेकिन आज सदन में कई ऐसे विधायक हैं जिनकी अच्छी छवि, उनको बचाने की जिम्मेवारी सदन की है. उन्होंने कहा कि ‘छोटे दिल से बड़ा सपना नहीं देख सकते, हमारी कथनी-करनी में जब तक अंतर रहेगा, हम जनता के सम्मान का पात्र नहीं बनेंगे’

उन्होंने कहा कि मुझे अफसोस है कि मुझे अवसर नहीं दिया गया. इसके लिए मैं नैतिकता पर चर्चा नहीं करूंगा, ये लोकतंत्र की खूबरसूरती है या बदसूरती इसे जनता पर छोड़ते हैं. वहीं पहले इस्तीफा देने पर कहा कि वह नई सरकार बनने के बाद खुद इस्तीफा देने के लिए तैयार थे लेकिन मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आए और मुझे पद से हटाने की कोशिश शुरू कर दी गई. मुझ पर सदस्यों ने मनमानी करने, तानाशाही करने का आरोप लगाया. इसलिए मैंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया, ताकि सदन में इसका जवाब दे सकूं.

उन्होंने कहा कि वह पहले ही इस्तीफा देने के लिए तैयार थे लेकिन उनके खिलाफ सरकार बनते ही अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिसके बाद वह सदन में अपनी बात रखना चाहते थे. आपने जो अविश्वास प्रस्ताव लाया है, वह अस्पष्ट है. नौ सदस्यों का पत्र मिला, जिनमें से आठ का पत्र नियमानुकूल प्रतीत नहीं होता.एक सदस्य ललित यादव द्वारा दिया गया, जो अब मंत्री हैं.उन्होंने कहा है कि आप विश्वास खो चुके हैं.यह सही लगा.लेकिन मेरी कार्यशैली और व्यवहार और तानाशाही प्रवृति का आरोप लगाया गया है. चंद्रशेखर जो अब मंत्री हैं, उन्होंने कहा कि गौरवशाली परंपरा शर्मसार हुई.

इस्तीफा देने के बाद उन्होंने डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी के बदले नरेंद्र नारायण यादव का नाम सदन की आगे की कार्रवाई के लिए बताया. इसके बाद इसको लेकर सदन में विवाद हो गया क्योंकि नियमानुसार स्पीकर के नहीं रहने पर डिप्टी स्पीकर को सदन की कार्यवाही को संचालित करते हैं.

बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अगर आज इस्तीफा नहीं देते तो वह बिहार के पहले स्पीकर होते जिन्हें अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटना पड़ता. चूकि सदन में आकंड़ों का गणित उनके खिलाफ था इसलिए उनका पद से हटना तय था. इससे पहले 1960, 1970 और 1992 में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया गया था तब तीनों बार अध्यक्ष की कुर्सी बच गई थी.इस बीच बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है.

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