आलोक कुमार
पटना . बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गया विष्णु पद मंदिर के गर्भगृह में किसी अहिंदू को साथ ले जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंदू धर्म का सुनियोजित अपमान किया.इसके लिए उन्हें हिंदू श्रद्धालओं से क्षमायाचना करनी चाहिए.इस पर शाक्यमुनि पवन मौर्य ने कहा कि पहले इसी तरह कोई दलित मंदिर मे चल जाता था.तो आपलोगों को कुछ-कुछ होने लगता था.मगर आपलोगों ने दलितों को मंदिरों में जाने का अधिकार नहीं दिलाया. शाक्यमुनि ने छोटे मोदी से सवाल किया कि आपने तो ईसाई लड़की से जाकर शादी क्यों किया. भारत मे कोई हिंदू लड़की नहीं थी क्या?
आगे श्री सुशील मोदी ने कहा कि विष्णु पद मंदिर में नीतीश कुमार पहले भी कई बार गए हैं और उन्हें पता है कि उसके गर्भगृह में केवल सनातन धर्म में आस्था रखने वालों को प्रवेश देने का नियम है. गैर-हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होने की सूचना भी लिखी है. उन्होंने कहा कि सब-कुछ जानते हुए भी मंदिर की मर्यादा भंग कर मुख्यमंत्री किसको खुश करना चाहते हैं?
श्री मोदी ने कहा कि भाजपा ने पैगम्बर मोहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले पार्टी के विधायक या प्रवक्ता किसी को नहीं बख्शा, तुरंत कार्रवाई की, लेकिन नीतीश कुमार ने गया मंदिर में प्रवेश करने वाले मंत्री इस्माइल मंसूरी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि महागठबंधन- 2 का मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार मौनी बाबा बन गए हैं.
आगे कहा कि शिक्षक भर्ती की मांग करने वालों पर लाठीचार्ज, कारतूस-प्रेमी शिक्षा मंत्री और वांटेड अभियुक्त को कानून मंत्री बनाने जैसे गंभीर मुद्दों पर भी चुप्पी साधे हुए हैं.
वहीं सचिन राज ने कहा कि मुद्दा विहीन बीजेपी फिर से बिहार में हिंदू मुस्लिम करने लग गई है और उसके साथ गोदी मीडिया भी सहायक की भूमिका में आकर हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेलने वाले लोगों का खूब साथ दे रही है.अगर कोई व्यक्ति अनजाने में मंदिर के प्रांगण में जा रहा था,तो मंदिर कमिटी के सदस्य कहा़ं थे?उनलोग पर ही पहले करवाई होनी चाहिए. रंजीत कहते हैं कि समझ मे नहीं आता कि आखिर ये भगवान कैसे है जो किसी इंसान के छूने या दर्शन मात्र से अशुद्ध हो जाते है और धर्म अपवित्र हो जाता है जो खुद ही अशुद्ध और अपवित्र हो जाते हो वो हमें कैसे दूसरे को शुद्ध और पवित्र करेगा?
सौरंजन कुमार कहते हैं कि देख रहे हो विनोद नीतीश जी के साथ एक मुस्लिम नेता मंदिर में दर्शन करने गए तो पाखंडियों का धर्म ख़तरे में चला गया जबकि संघियो के दामाद मंदिर में पूजा करने गए तो धर्म में बढ़ोतरी हो गई.इसी को कहते हैं दोगला नश्ल दोगली बात. धर्म नहीं ये धंधा है यहां पढ़ा लिखा भी अंधा है.
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