बीजेपी हिचकोले खाने को मजबूर

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बीजेपी हिचकोले खाने को मजबूर

आलोक कुमा

पटना. बिहार में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर जंगलराज के खिलाफ आवाज बुलंद कर राजभोग कर रहे थे.अब नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ महागठबंधन में शामिल होकर सरकार चला रहे हैं.सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी हिचकोले खाने को मजबूर है. 

बीजेपी के दीघा विधानसभा क्षेत्र के प्रवक्ता अरविंद वर्मा कहते हैं कि बीजेपी और जेडीयू मिलकर जंगलराज के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे और नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार चलाते रहे आज उन्हीं की गोद में जा बैठे हैं.सत्ता मोह ने उन्हें इस कदर अंधा बना दिया है कि अब उन्हें बिहार में जंगलराज की वापसी की आहट भी सुनाई नहीं दे रही है.बीजेपी के सहयोग से सुशासन बाबू की जो छवि उनकी बनी थी वह भी अब तार-तार होती दिखाई दे रही है.आलम यह है कि राजद के साथ जिस नई सरकार का गठन उन्होंने किया है उसमें 72 प्रतिशत मंत्री दागदार हैं.कुल 33 मंत्रियों में से 23 पर मुकदमे दर्ज हैं. 17 मंत्रियों पर तो गंभीर आपराधिक मामले हैं.


 उन्होंने कहा कि अब जहां सरकार में ही अपराधियों का बोलबाला हो वहां की जनता का क्या हाल होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है. बीजेपी के शासनकाल में बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हो गई थी और हत्या, लूट, अपहरण जैसी वारदातों पर लगाम लग गई थी. लेकिन अब इसकी कोई गारंटी नहीं है बिहार में लोग शांति और सुकून से रह सकेंगे. राजद के शासनकाल में अपहरण उद्योग इस कदर फला-फूला था कि लोग डर के मारे शाम के बाद घर से नहीं निकलते थे और अब यही डर लोगों के मन में समाने लगा है.


प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में महागठबंधन सरकार के मंत्रिमंडल गठन के बाद Association for Democratic Reforms (ADR) ने बिहार के नए मंत्रियों की आपराधिक कुंडली खंगाली है. ADR की रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 33 में से 23 मंत्रियों पर केस चल रहा है. इनमें से 17 मंत्री तो ऐसे हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है. एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि नीतीश कुमार की नई सरकार के 72 प्रतिशत मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर की यह रिपोर्ट चुनाव आयोग को विधान सभा या विधान परिषद चुनाव के वक्‍त दिए गए शपथ पत्र के आधार पर तैयार की गई है. यहां यह भी स्‍पष्‍ट कर दें कि खबर एडीआर की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है. संभव है कि इस रिपोर्ट में दर्ज कुछ मुकदमे अब समाप्‍त हो चुके हों.        


गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो राष्ट्रीय जनता दल के 17 में से 11 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. जबकि जेडीयू के 2, कांग्रेस के 1, हम के 1 तथा निर्दलीय विधायक पर भी गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है. गंभीर आपराधिक मामले उन्हें माना जाता है, जिनमें कम से कम 5 वर्ष की सजा का प्रावधान होता है तथा ये गैर जमानती होते हैं.मर्डर, मारपीट, रेप, किडनैपिंग के केस गंभीर आपराधिक मामलों में गिने जाते हैं.


नीतीश सरकार में सम्मिलित मंत्रियों में 27 करोड़पति हैं. राष्ट्रीय जनता दल के 16 यानी 94 प्रतिशत मंत्री करोड़पति हैं. जबकि जेडीयू के 9, हम का 1 मंत्री करोड़पति है. निर्दलीय मंत्री भी करोड़पति हैं. 32 मंत्रियों की औसत संपत्ति 5.82 करोड़ है.कांग्रेस के मुरारी प्रसाद गौतम पर सबसे कम 17.66 करोड़ रुपए की संपत्ति है.


महागठबंधन सरकार को घेरने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद,पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी को लगाया गया है.सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ रणनीतिक तौर पर पिछड़ा और अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले नेताओं को आगे किया जा रहा है. नीतीश सरकार की नाकामियों को लेकर वह जनता के बीच आएंगे. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को साइड लाइन कर दिया गया था लेकिन बदली हुई परिस्थिति में वह फ्रंट रनर रहे हैं. सुशील मोदी लगातार नीतीश कुमार के राजनीतिक फैसलों को लेकर हमलावर हैं और उन्हें लगातार कटघरे में खड़े कर रहे हैं.   


नीतीश कुमार के मित्र और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी मैदान में उतारा गया है. रविशंकर प्रसाद विधि व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मसले पर नीतीश कुमार को कटघरे में खड़े कर रहे हैं. पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी रणनीतिक तौर पर नीतीश कुमार को घेरने का काम कर रहे हैं. सम्राट चौधरी राजनीतिक मुद्दों पर हमलावर हैं. सम्राट चौधरी ने गठबंधन टूटने के बाद कहा था कि महागठबंधन में एक सीएम और पांच सुपर सीएम होंगे. 


इस बीच दीघा विधानसभा के विधायक संजीव चौरसिया, तारकिशोर प्रसाद और विजय कुमार सिन्हा का नाम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने की चर्चा है.विधानसभा के अध्यक्ष पद से विजय कुमार सिन्हा इस्तीफा नहीं दिए हैं.कायदे से उनको इस्तीफा दे देना चाहिए था.


बीजेपी के दीघा विधानसभा क्षेत्र के प्रवक्ता अरविंद वर्मा कहते हैं कि बीजेपी दोनों सदनों में नेता चुनने में सामाजिक समीकरण का खास ख्याल रखेगी.ईबीसी, ओबीसी व अगड़ी जातियों में सामंजस्य बिठाया जाएगा. एक सदन में ईबीसी या ओबीसी तो दूसरे में अगड़ी जाति से नेता चुना जाना तय है.विप में बीजेपी के उप नेता नवल किशोर यादव हैं.वहीं मंगल पांडेय व सम्राट चौधरी की दावेदारी प्रबल रही है.                 


वहीं तारकिशोर प्रसाद विस में बीजेपी के नेता हैं, लेकिन कई और नाम इस पद की होड़ में चल रहे हैं.वरिष्ठों में नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार व अमरेन्द्र प्रताप सिंह तो बाद की पीढ़ी से नितिन नवीन व विजय कुमार सिन्हा का नाम चल रहा है. बीजेपी प्रवक्ता की मानें तो यदि विस में पार्टी का नेता बदला जाता है तो अगड़ों में विजय कुमार सिन्हा, नितिन नवीन जबकि पिछड़ों में संजीव चौरसिया का नाम गंभीर है.बीजेपी प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल का कार्यकाल समाप्त हो रहा है.उस पद पर प्रदेश महामंत्री संजीव चौरसिया का नाम लिया जा रहा है.लब्बोलुआब यह है कि सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव से मुकाबला करने वाले  बीजेपी के नेता चाहिए,जो जमकर मुंहतोड़ जवाब दे सके.


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