दलित छात्र की मौत पर बवाल

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दलित छात्र की मौत पर बवाल

जयपुर .   स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा  रहा है. इस बीच राजस्थान में जालौर जिले के सुराणा गांव से खबर आयी है.बच्चा सुराणा गांव के ही सरस्वती विद्या मंदिर में पढ़ता था. इस विद्या मंदिर के शिक्षक की बेरहमी से पिटाई करने से दलित छात्र की मौत हो गयी है.उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने स्कूल में रखे पानी की मटकी को छू ली तो नाराज शिक्षक ने जमकर पिटाई कर दी.पिटाई के कारण छात्र के शरीर के अंदरूनी हिस्से में चोट लग गयी.छात्र पिछले तीन सप्ताह से अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती था.चिकित्सकों ने उसे बचाने की कोशिश भी की,लेकिन शनिवार को उसकी मौत हो गई.

तीसरी कक्षा में पड़ने वाले मृतक छात्र इंद्र मेघवाल के पिता देवराम ने शनिवार को जालौर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए आरोप लगाया कि 20 जुलाई को उसके नौ साल के बेटे ने पानी की मटकी छू ली थी. इससे नाराज शिक्षक छैल सिंह ने इंद्र को इतना मारा कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया.छैल सिंह ने इतना पीटा की उसकी दाहिनी आंख और कान पर अंदरुनी चोटें आईं. छैल सिंह ने जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया.पहले तो लगा कि हल्की चोट आई है, लेकिन ऐसा नहीं था. पिटाई के बाद इंद्र की तबीयत खराब होने लगी तो उसे जालोर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल ले गए.जालोर से उसी दिन उदयपुर रेफर कर दिया गया था.यहां भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो कुछ दिनों बाद अहमदाबाद ले गए थे.यहां इलाज के दौरान शनिवार सुबह करीब 11 बजे मौत हो गई.


जालोर के एसपी हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि मर्डर और एससी-एसटी एक्ट में  मामला दर्ज कर लिया गया है. टीचर को हिरासत में लिया गया है. मटकी वाली बात की अभी पुष्टि नहीं हुई है. स्कूल में पानी की एक बड़ी टंकी है, वहीं सारे लोग पानी पीते हैं.ऐसी जानकारी सामने आई है. स्कूल में पढ़ाने वाले एससी टीचर ने भी यही बात बताई है.


बच्चे की मौत के बाद राजस्थान में राजनीति तेज है.यहां पर जंगल राज तो नहीं कहा पर अपराध में बेहताशा वृद्धि होने पर चिंता जरूर व्यक्त की जा रही है.वहीं इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया कि शिक्षक की मारपीट से छात्र की मौत दुखद है. आरोपी शिक्षक को हत्या और एससी/एसटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी कर लिया गया है. उन्होंने लिखा कि जांच में तेजी और सजा के लिए इस केस को ऑफिसर स्कीम में लिया गया है. सीएम ने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुख्यमंत्री सहायता कोष से दी जाएगी.


राजस्थान में जालौर जिले में दलित छात्र की मौत पर राजनीतिक बवाल भी शुरू हो गया है. पूरा मामला जालौर के एक निजी स्कूल का है जहां एक अध्यापक ने पेयजल का मटका छूने पर नौ वर्षीय एक दलित बच्चे को कथित रूप से पीटा, जिसके बाद शनिवार को उसकी मौत हो गई. इसके बाद अब भाजपा ने अशोक गहतोल की सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है.पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे ने कहा कि जालौर में मासूम इंद्र की हत्या बेहद दुखद व निंदनीय है. देश को आजाद हुए भले ही 75 वर्ष हो गए, लेकिन कुछ लोगों की मानसिकता अब भी बदली नहीं है. मैं राजस्थान को शर्मसार करने वाली इस घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए जल्द से जल्द इंद्र को न्याय दिलाने की मांग करती हूं.


दलित बच्चे की मौत के बाद अब राजस्थान में सियासत भी शुरू हो गई है. भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने ट्वीट किया कि आजादी के 75 साल बाद भी दलित बच्चे को जातिवाद का शिकार होना पड़ा. हमें पानी के मटके को छूने की भी आजादी नहीं, फिर क्यों आजादी का झूठा ढिंढोरा पीट रहे हैं?


इस मामले में राजसमंद से बीजेपी सांसद दिया कुमारी ने ट्वीट किया कि अत्यंत दुःखद, राजस्थान में कांग्रेस के राज में शिक्षा का मंदिर ही जातिगत भेदभाव और अत्याचार का केंद्र बन गया है. राजस्थान के जालौर जिले में शिक्षक ने एक मासूम बच्चे को पानी की मटकी को छू ली की सजा मौत के रूप में दी है. प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है. इस घटना को लेकर एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने अपनी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा है कि वो 15 अगस्त को जालोर के सुराणा गांव जाएंगे खिलाड़ी. बैरवा वहां पीड़ित बच्चे के परिजनों से मुलाकात करेंगे.


वहीं केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान को ये किस सामाजिक वातावरण में झोंका जा रहा है जहां एक ओर तुष्टिकरण का पक्षपात तो दूसरी ओर जातिगत श्रेष्ठता का जहर पसर रहा है.

स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष में एक मासूम बच्चे को पानी पीने की मटकी को छू ली सजा टीचर की पिटाई से मौत के रूप में मिली है.राजस्थान को ये किस सामाजिक वातावरण में झोंका जा रहा है जहां एक ओर तुष्टिकरण का पक्षपात तो दूसरी ओर जातिगत श्रेष्ठता का जहर पसर रहा है.


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