बिहार के मुख्यमंत्री से माले प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

बिहार के मुख्यमंत्री से माले प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की

आलोक कुमार 

पटना .भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में माले राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा, राजाराम सिंह, केडी यादव, महबूब आलम, मीना तिवारी, शशि यादव, सत्यदेव राम, अरूण सिंह आदि नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आज शाम बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार से मिला.

माले महासचिव ने बिहार में गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए श्री नीतीश कुमार को बधाई दी. यह भी कहा कि हमारी पार्टी मंत्रिमंडल से बाहर रहते हुए भी सरकार को हर प्रकार से सहयोग करेगी. संविधान व लोकतंत्र पर हो रहे हमले के खिलाफ आंदोलनरत ताकतों को बिहार में हुए बदलाव ने राहत दी है.


इस मौके पर माले प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को कुछ सुझाव भी दिए, जिसमें एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाने और उसके क्रियान्वयन के लिए महागठबंधन के दलों के बीच एक समन्वय समिति गठित करने के सुझाव प्रमुख हैं.


*नई सरकार के लिए भाकपा-माले के सुझाव*


सबसे पहले, हमारी पार्टी आपके नेतृत्व में राज्य में एक गैर भाजपा सरकार के गठन के लिए आपको तहे दिल से बधाई देती है.


एक ऐसे दौर में जब भाजपा द्वारा पूरे देश में हिंसा-विभाजन-नफरत-झूठ-सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति को बढ़ावा देने, देश में एकदलीय शासन व्यवस्था थोप देने, अघोषित आपातकाल, यूपी/गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी बुलडोजर राज को स्थापित कर देने आदि की एक सुनियोजित मुहिम चलाई जा रही है, बिहार की सत्ता से उसकी बेदखली न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए एक जरूरी व बेहद सकारात्मक घटना है. इसने संविधान व लोकतंत्र पर भाजपा द्वारा लगातार किए जा रहे हमले के खिलाफ संघर्षशील ताकतों के लिए एक नई उम्मीद पैदा की है. निश्चित तौर पर यह बदलाव पूरे देश की राजनीति को एक नई दिशा दे सकता है.


आपके नेतृत्व में गठित नई सरकार से न केवल हमें बल्कि पूरे बिहार को उम्मीद है कि यह सरकार भाजपा द्वारा बिहार को भी उन्माद-उत्पात की प्रयोगशाला बनाने की साजिशों व कार्रवाइयों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए  आवश्यक प्रशासनिक व विधायी कदम उठाएगी. ऐसे संगठनों व व्यक्तियों की शिनाख्त कर उसके प्रति कड़ा रवैया अपनाएगी ताकि राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द का माहौल बना रहे. बिहार विधानसभा में नवनिर्मित राजकीय चिन्ह से उर्दू में लिखे ‘बिहार’ को हटा देने सहित कई ऐसे उदाहरण हैं जिनमें भाजपा ने सत्ता का दुरूपयोग करते हुए सरकारी संस्थानों के भगवाकरण की कोशिशें की है. ऐसे सभी कदमों को वापस लेने की जरूरत है ताकि राज्य में संवैधानिक मूल्य बरकार रहें तथा साझी संस्कृति-साझी विरासत की हमारी परंपरा मजबूती से आगे बढ़ती रहे.


पिछली सरकार के दौरान चाहे स्मार्ट सिटी के नाम पर हो अथवा जल-जीवन हरियाली सरीखी सरकारी योजनाओं के नाम पर, भारी पैमाने पर जमीन से गरीबों की बेदखली हुई है. बरसो बरस से बसे आम लोगों के घर तोड़ दिए गए. ऐसी कार्रवाइयों पर नई सरकार को तत्काल रोक लगानी चाहिए. हम चाहते हैं कि जो लोग जहां बसे हैं उसका मुकम्मल सर्वे करके एक समय सीमा के भीतर तदनुकूल नया वास-आवास कानून बनाने की दिशा में सरकार पहलकदमी ले, ताकि सभी गरीबों के लिए आवास की गारंटी हो सके. नई सरकार को इस बात की भी गारंटी करनी चाहिए कि स्मार्ट सिटी के नाम पर बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए एक भी परिवार का घर न तोड़ा जाए.


बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए और महागठबंधन के घोषणापत्र में रोजगार एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. नई सरकार से उम्मीद है कि राज्य में तमाम रिक्त पदों पर अविलंब स्थायी बहाली की दिशा में वह त्वरित कदम उठाएगी. टीईटी और एसटीइटी उत्तीर्ण सभी अभ्यर्थियों की तत्काल नियुक्ति के साथ 19 लाख नौजवानों को रोजगार देने के वादे को पूरा करना सरकार के कार्यभार की प्राथमिकताओं में शामिल होना चाहिए.


पूर्ववर्ती एनडीए सरकार के जिन कदमों का बिहार पर गहरा दुष्प्रभाव दिखा है, उन्हें तत्काल ठीक करने की जरूरत है. एपीएमसी ऐक्ट के निरस्तीकरण के कारण राज्य के किसानों की हालत लगातार खराब होती गई है. न तो सरकारी खरीद की गारंटी है और न ही फसलों के उचित दाम मिलते हैं. इसके कारण बिहार की कृषि व्यवस्था और पिछड़ गई है जो आज भी हमारे राज्य की जनता के बड़े हिस्से के जीविकोपार्जन का एकमात्र साधन है. सरकार को इस सवाल पर पुनर्विचार करना चाहिए और हमारी समझ है कि एपीएमसी ऐक्ट की पुनर्बहाली होनी चाहिए.


2005 में पहली बार सत्ता में आने के साथ आपने बिहार के जनपक्षीय विकास के लिए भूमि सुधार व शिक्षा आयोग का गठन किया था, लेकिन भाजपा के दबाव के कारण उस दिशा में जो काम होने चाहिए थे, वे नहीं किए जा सके. अब वक्त आया है कि उन दोनों कमीशनों पर सरकार गंभीरता से अमल करे. भूमिहीन गरीबों के बीच जमीन के आवंटन, बटाईदार किसानों के पंजीकरण सहित कृषि विकास के सारे साधन उपलब्ध कराने की गारंटी, कदवन जलाशय के निर्माण तथा सोन व अन्य नहर-पईन प्रणालियों को ठीक करने की दिशा में तत्काल ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है.


बिहार में शिक्षा व्यवस्था भारी गिरावट के दौर से गुजर रही है. शैक्षणिक अराजकता चरम पर है. निजीकरण ने आम लोगों का पढ़ना दूभर कर दिया है. राज्यपाल के जरिए भाजपा ने विश्वविद्यालयों को लूट-खसोट का अड्डा बना दिया है. कुलाधिपति की भूमिका को सीमित करते हुए नई सरकार को शिक्षा व्यवस्था में सुधार व बदलाव के लिए मुकम्मल कार्ययोजना बनानी चाहिए. पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की मुहिम तेज करने की जरूरत है.


एक समय शराब से पूरा बिहार परेशान था, लेकिन शराबबंदी कानून उस समस्या को हल नहीं कर सका. शराब तो बंद नहीं हुआ, लेकिन जहरीली शराब से अब तक सैंकड़ों की जान जा चुकी है. इस कानून के तहत जेलों में बड़ी संख्या में आम गरीबों को बंद कर दिया गया है. हमारी समझ रही है कि जब तक शराब माफियाओं पर कार्रवाई नहीं होगी, हमें सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी. जेल में बन्द गरीबों को तत्काल रिहा कर उनके पुनर्वास किए जाने की जरूरत है.


बिहार में कार्यरत आशा-फैसिलिटेटर, रसोईया, आंगनबाड़ी कर्मियों और तमाम स्कीम वर्करों को जीने लायक सम्मानजनक मासिक मानदेय की गारंटी की जानी चाहिए. तमाम ट्रेड यूनियन कानूनों को खत्म कर 4 कोड लागू कर दिया गया है. कोविड काल में मजदूरों के काम के घंटे को 8 से बढ़ाकर 12 घंटा कर देना भी उचित नहीं है. इन कदमों की वापसी की भी जरूरत है. गैरभाजपा शासित कई राज्यों में 300 युनिट फ्री में बिजली मिल रही है. हमारे यहां लोग भारी बिजली बिल से परेशान हैं. महंगाई के इस दौर में गरीबों को राहत देने के लिए सभी जरूतमंदों को 200 युनिट फ्री में बिजली की व्यवस्था की जानी चाहिए. खाने-पीने के सामानों पर लगाए गए जीएसटी के खिलाफ भी प्रस्ताव लिया जाना चाहिए.


अल्पसंख्यक, महिला, एससी-एसटी, मानवाधिकार व अन्य आयोगों को तत्काल पुनर्गठित करने की जरूरत भी बिहार की जनता महसूस कर रही है.


अन्याय के खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने व उन्हें जेल में डाल देने का भाजपाई माॅडल आज पूरे देश में चल रहा है. यहां तक कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर पत्रकारों तक को जेल भेज दिया जा रहा है. बिहार में भी पूर्ववर्ती एनडीए सरकार के दौरान राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं को कई बार निशाना बनाया गया है और उनपर कई प्रकार के झूठे मुकदमे थोप दिए गए हैं. अग्निपथ, एनटीपीसी, अन्य रोजगार आंदोलन सहित राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं व आंदोलनों के क्रम में थोपे गए सभी मुकदमों वापस लिए जाएं.


टाडा के तहत अरवल जिले के गिरफ्तार कई राजनीतिक कार्यकर्ता आज तक अपनी सजा पूरी कर लेने के बाद भी जेल में ही हैं. हमारी मांग है कि टांडाबंदी डाॅ. जगदीश यादव, माधव चौधरी, अरविन्द चैधरी, चुरामन भगत, श्याम चैधरी, लक्ष्मण साव और अजीत कुमार की अविलंब रिहाई की जाए.


हम चाहते हैं कि बिहार के जनपक्षीय विकास के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाया जाए और उसके सुचारू संचालन के लिए महागठबंधन के सभी दलों को लेकर एक समन्वय समिति का भी गठन किया जाए.

भाजपा शासन में नागरिक समाज व न्यायपूर्ण आंदोलनों के दमन की जो दिशा ली गई है, हम उम्मीद करते हैं कि बिहार की नई सरकार उसके खिलाफ सकारात्मक रूख के साथ आगे बढ़ेगी. हमारी पार्टी नागरिक समाज व सरकार के बीच एक सार्थक संवाद बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी. हमें पूरा भरोसा कि हमारे द्वारा उठाए गए उपरोक्त मुद्दों व विषयों पर आप गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे और उचित कदम उठायेंगे. नवगठित सरकार को हमारी पार्टी संपूर्णता में मदद करेगी.


मंत्रिमंडल में शामिल न होने के बावजूद सरकार के तमाम जनपक्षीय कदमों का हमारा पुरजोर समर्थन रहेगा. हमें पूरा भरोसा है कि आने वाले दिनों में हम भाजपाई साजिश व आपदा से देश को मुक्ति दिला पाने में सफल रहेंगे!


  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :