बिहार नहीं बन पाया महाराष्ट्र

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बिहार नहीं बन पाया महाराष्ट्र

हिसाम सिद्दीकी

पटना! बिहार एक बड़ी सियासी साजिश से बच गया और दूसरा महाराष्ट्र नहीं बन सका. आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों के साथ जीतनराम मंाझी की पार्टी से हाथ मिलाकर वजीर-ए-आला नितीश कुमार ने बीजेपी को सख्त सबक सिखा दिया. वह आठवीं बार बिहार के वजीर-ए-आला बन गए और दूसरी बार तेजस्वी यादव उनके डिप्टी. खबर लिखे जाने तक बाकी वजीरों की हलफबरदारी नहीं हुई थी. नितीश और तेजस्वी दोनों का कहना था कि उनके महागंठबंधन में शामिल सभी सियासी पार्टियों के लीडरान के साथ राय मश्विरा करने के बाद ही कैबिनेट की तौसीअ (विस्तार) होगी और सभी पार्टियों को मुनासिब नुमाइंदगी दी जाएगी. नितीश कुमार के इस कदम की आहट पिछले दो महीने से मिल रही थी. आरजेडी लीडरान का इल्जाम है कि बीजेपी जेडीयू के सदर और साबिक वजीर रामचंदर प्रसाद (आरसीपी) सिंह के जरिए जनता दल (यूनाइटेड) के तीस से पैंतीस मेम्बरान असम्बली तोड़ कर महाराष्ट्र की तरह अपनी सरकार बनाने की साजिश कर रही थी. नितीश कुमार को बरवक्त इसका पता लग गया. उन्होने पहले तो आरसीपी सिंह को पार्टी से निकाला फिर बीजेपी को झटका देकर आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिलकर अपनी नई सरकार बना ली. सरकार बनते ही बीजेपी के एक सीनियर लीडर और राज्य सभा मेम्बर सुशील कुमार मोदी ने मरकजी एजेंसियों के जरिए सरकार गिराने की धमकी देते हुए कह दिया कि लालू का लड़का (तेजस्वी) तो रेलवे घोटाले में जेल चला जाएगा और नितीश कुमार आरजेडी पर कब्जा कर लेंगे. अब बीजेपी नितीश कुमार को दगाबाज और पलटूराम कह रही है. बजाहिर बीजेपी को झारखण्ड के बाद बिहार में दूसरी बड़ी नाकामी मिली है.

नितीश कुमार ने आठवीं बार वजीर-ए-आला का हलफ लेने के बाद मीडिया नुमाइंदों के एक सवाल के जवाब में कहा कि वह 2024 या किसी और दौड़ में शामिल नहीं हैं. लेकिन देखना यह है कि 2014 में जो आए थे वह 2024 में वापस आते हैं या नहीं. इसपर तेजस्वी यादव ने कहा कि चीफ मिनिस्टर जो कह रहे हैं वही सही बात है. नितीश कुमार 2024 में वजीर-ए-आजम की दौड़ में शामिल होेते हैं या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तो तय है कि 2024 के एलक्शन में वह बीजेपी और वजीर-ए-आजम मोदी के खिलाफ इंतखाबी मुहिम को मजबूत और धारदार जरूर बना दंेगे. नितीश कुमार को जबसे यह खबर लगी कि उनकी पार्टी तोड़ने की कोशिश हो रही है तभी से उन्होने आरजेडी और कांग्रेस से नए गठजोड़ की बातचीत शुरू कर दी. हैरत इस बात पर भी है कि वह तेजस्वी यादव उनकी वालिदा राबड़ी देवी और आरजेडी चीफ लालू यादव, लेफ्ट पार्टियों ओर कांग्रेस सदर सोनिया गांधी से बात करते रहे लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की खुफिया एंजेंसियां उनकी किसी चाल का पता नहीं लगा सकीं. महज एक महीना पहले ही बीजेपी झारखण्ड की सरकार गिराने में पकड़ी जा चुकी है. अब बिहार में भी वह अपने मंसूबे में पूरी तरह नाकाम हो गई.

बीजेपी सदर जे पी नड्डा ने गुजिश्ता दिनों बिहार जाकर अपनी पार्टी के एक जलसे में कहा था कि 2025 तक वह देश को ‘अपोजीशन मुक्त’ बना दंेगे. फिर नितीश के अलग होने पर उन्होने कहा कि उनकी पार्टी इलाकाई पार्टियों को खत्म कर देगी उनके इस बयान से तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी, डीएमके के एम के स्टालिन, तेलगू देसम के चन्द्रबाबू नायडू, टीआरएस के चन्द्रशेखर राव, वाईएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी समाजवादी के अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, एनसीपी के शरद पवार, शिवसेना के उद्धव ठाकरे के साथ-साथ कांग्र्रेस और लेफ्ट पार्टियों के लीडरान भी चैकन्ने हो गए हैं. अब सभी यह चाहते हैं कि तमाम गैर बीजेपी पार्टियां अपने आपसी इख्तिलाफात भुलाकर मुत्तहिद हो जाएं और 2024 के लोक सभा एलक्शन में सख्त टक्कर देकर बीजेपी को हराने का काम करें.

नितीश कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी के तमाम मेम्बरान असम्बली और मेम्बरान पार्लियामेंट सबकी राय थी कि हमें अब बीजेपी के साथ नहीं रहना चाहिए क्योकि बीजेपी देश में समाजी भाईचारे को नुक्सान पहुंचाने का काम कर रही है. इसीलिए उन्होने नौ अगस्त की शाम को गवर्नर को अपना इस्तीफा दे दिया और फौरन ही दोबारा सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया. 243 मेम्बरान की बिहार असम्बली में अक्सरियत के लिए एक सौ बाइस (122) मेम्बरान की जरूरत है लेकिन नितीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें एक सौ चैंसठ (164) मेम्बरान असम्बली की हिमायत हासिल है. असम्बली में नितीश कुमार की जेडीयू के पैंतालीस (45) मेम्बरान हैं सबसे ज्यादा उन्नासी (79) मेम्बर आरजेडी के हैं. कांग्रेस के उन्नीस (19) मेम्बरान है. लेफ्ट पार्टियों के 17, हिन्दुस्तानी मोर्चा के चार और एक मेम्बर असद उद्दीन ओवैसी की पार्टी का है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी के सतहत्तर (77) मेम्बरान असम्बली हैं उनके अलावा बाकी तमाम मेम्बरान नितीश कुमार के गठबंधन में शामिल है. उन्होने कहा कि हिन्दी बेल्ट कहे जाने वाले उत्तर-भारत में अब बीजेपी की कयादत वाले एनडीए में दूसरी एक भी सियासी पार्टी नहीं बची है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में बीजेपी की क्या हालत होने वाली है.

नितीश का बीजेपी का साथ छोड़ने और गठजोड़ सरकार बनाने के बाद माक्र्सवादी पार्टी (माले) के उन चैदह मेम्बरान असम्बली को भी बड़ी राहत मिल गई है जिनकी मेम्बरशिप खतरे में थी. उनपर इल्जाम था कि उन्होेंने स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ बदसलूकी की. स्पीकर ने उन सभी चैदह मेम्बरान का मामला डिस्पिलनरी कमेटी को सौंपा था जिसकी रिपोर्ट स्पीकर के पास आ चुकी है. अब उस रिपोर्ट पर इसलिए अमल नहीं हो पाएगा कि स्पीकर सिन्हा का ओहदा ही नहीं बचेगा. स्पीकर की सिर्फ लेफ्ट पार्टियों के मेम्बरान से ही झड़प नहीं हुई बल्कि पिछले मार्च में नितीश कुमार के साथ भी असम्बली के अंदर ही उनका टकराव साफ दिखा था क्योकि स्पीकर ने अपने असम्बली हलके लखीसराय में बीजेपी वर्करों के जरिए कोविड प्रोटोकाल की खिलाफवर्जी किए जाने के मामले में उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ हमला बोला था. असम्बली में ही खड़े होकर नितीश कुमार ने स्पीकर से कहा था कि हर मामले में आपकी मर्जी नहीं चलेगी. पुलिस और कानून अपना काम कर रहा है उसे करने दीजिए.

चिराग पासवान- बिहार के मामले में बीजेपी तो कह ही रही है कि नितीश कुमार ने बिहार के अवाम की राय के साथ धोकेबाजी की है. यह इल्जाम लगाते वक्त वह महाराष्ट्र में की गई अपनी हरकतों को भूल जाती है. बीजेपी से ज्यादा नाराजगी तो राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने दिखाई. वह बीजेपी और वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी के जरिए पहले ही ठुकराए जा चुके हैं. बीजेपी में उन्हें कोई मुंह नहीं लगाता, इसके बावजूद वह बीजेपी के लिए नितीश कुमार पर हमलावर हो गए और कहा कि नितीश कुमार ने बिहार के अवाम को धोका दिया है. इसलिए वहां सदर राज (राष्ट्रपति शासन) लगाया जाए और असम्बली के एलक्शन नए सिरे से कराए जाएं. 2020 के असम्बली एलक्शन में वह अपना सिर्फ एक उम्मीदवार जिता पाए थे वह भी उन्हें छोड़कर भाग गया. इसके बावजूद दावा यह कर रहे हैं कि अगले असम्बली एलक्शन में वह नितीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड का सफाया कर दंेगे. चिराग पासवान दरअस्ल वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी की हमदर्दी हासिल करना चाहते हैं जो उन्हें नहीं मिलने वाली.

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