'तिरंगा' और चरखा कांग्रेस का पोस्टर था

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

'तिरंगा' और चरखा कांग्रेस का पोस्टर था

चंचल 

भारत के जंगे   आज़ादी में 'तिरंगा' और  चरखा  कांग्रेस का पोस्टर था . मौन प्रचारक था और प्रखर संवादी था . चरखा चलाता हुआ आदमी या औरत कांग्रेस माँ लिया जाता था . तिरंगा झंडा जिस कंधे पर टिक जाय वह सुराजी हो जाता था . और ये दोनो - चरखा और तिरंगा , अपने इतिहास का पहला हर्फ़ महात्मा गांधी के अथक प्रयास से चलता है . आज़ादी के मुहाने तक पहुँचते - पहुँचते देश की संविधान सभा ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की सदारत में बनी दस  सदस्यीय समिति ने राष्ट्र्र्य ध्वज  घोषित कर दिया . इस तिरंगे के निर्माता आंध्र प्रदेश के पिंगली वेकय्या ने बापू के  सुझाव को मानते हुए , तिरंगे की बीच सफ़ेद पट्टी पर अशोक चक्र लगा दिया और यह 1929 लाहौर कांग्रेस जो रवि नदी के तट पर आहूत थी ,  कांग्रेस सदर जवाहर लाल नेहरु ने फहरा दिया . 

     लेकिन यह झंडा कब कांग्रेस के आँचल से निकल कर लोक मन में कूद गया , इसका कोई व्योरा नही मिलता ,  क्यों कि यह केवल तीन रंग का तिरंगा भर नही  रहा , जिसके बीच में अशोक  चक्र घूमता है . इसके साथ एक गीत भी आ जुड़ा था , जिसने बेज़ुबानों  को ज़ुबाम दे दिया - इस गीत के जोश औ जज़्बे  ने झंडे को वाक़ई आसमान का सफ़र करा दिया . हम दर्जा तीन से इस झंडे को लेकर  पगडंडियों पर चलते रहे , इंक़लाब बोलते रहे और गाते रहे - विजयी विश्व तिरंगा  प्यारा , झंडा ऊँचा रहे हमारा . यह उस जमाने की बात है जब हमारे मदरसों में कुल एक ही झंडा हुआ करता था जो  मदरसे के साथ खड़ा महुआ  के पेड़ पर , सबसे ऊँचाई पे बांध दिया जाता , बाक़ी हम बच्चे हफ़्तों पहले से कापी का पन्ना फाड़ कर रंगते , बबूल  की सिंघड़ी से निकले वाले लासे से  मोड़ कर जोड़ते , जिसमें बांस की हरि कइन  चली जाय , और हमारा झंडा हबीब से ज़्यादा ऊँचायी पर रहे . 

  हम बच्चों को इतना तक नही पढ़ाया गया था , क़ि इस गीत को किसने लिखा , इसे सबसे पहले गाया किसने ? 

बच्चों को बताना चाहिए . तिरंगा झंडा कांग्रेस से स्वीकार कर लिया था , अब उसके लिए एक झंडा गीत लिखना था . सच में पलट के पीछे देखने पर अपने पर गर्व  होता है कि कितनी मेहनत और  मसक्कत के बाद आज़ादी मिली है . महान क्रांतिकारी अमर शहीद गणेश शंकर  विद्यार्थी जिनकी मृत्यु पर गांधी जी ने कहा था , “ हम गणेश शंकर विद्यार्थी की  तरह मारना पसंद करेंगे “ होनी देखिए - वही हुआ . धार्मिक उन्माद में दोनो ने शहादत दी . दंगे की भीषण ज्वाला में जलता कानपुर , बिल्कुल शांत हो गया था . जनता ने जब सुना है क़ि किसी कायर ने गणेश शंकर विद्यार्थी को ख़ंजर  मार कर सड़क पर सुला दिया है . उस रात कानपुर  में चूल्हे नही जले थे और कानपुर ने संकल्प लिया  क़ि अब किसी भी क़ीमत पर कानपुर में दंगा नही होगा , और आज तक कानपुर उस पर क़ायम है . महात्मा गांधी में इन्ही  गणेश शंकर विद्यार्थी के ज़िम्मे यह काम लगाया था , तिरंगा गीत लिखवाने का . 

     कानपुर नरवल  निवासी श्यामलाल गुप्त पार्षद ने यह गीत लिखाहै . कैसे लिखा उन्होंने , इसका दिलचस्प इतिहास है . इसी फ़ेसबुक पर पंडित जी (श्री शम्भु नाथ शुक्ल ) ने विस्तार से लिखा है . गणेश शंकर विद्यार्थी ने जब इस गीत को बापू को दिखाया तो उन्हें पसंद आया , लेकिन उन्होंने इसे थोड़ा छोटा करने का अनुरोध किया और इस तरह गीत “कांग्रेस के तिरंगे” के साथ जुड़ गया . 

     इस गीत स्वर्णिम हिस्सा हरिपुर कांग्रेस में है . नेता जी सुभाष चंद बोस कांग्रेस सदर हैं , तिरंगा फहराने के बाद उन्होंने यह गीत गाया . आगे आगे नेता जी पीछे पाँच हज़ार की कांग्रेस भीड़ इसे दुहरा रही थी . इस  तरह नेताजी सुभाष चंद बोस ने ध्वज गीत को कांग्रेस के सुपुर्द कर दिया और कांग्रेस से निकल कर यह गीत लोक मे चल रहा है . 15.अगस्त और 26 जनवरी विजयी विश्व तिरंगा प्यारा - 

  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :