अपने दल में ही 'विपक्ष' हो गए लल्लू सिंह

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अपने दल में ही 'विपक्ष' हो गए लल्लू सिंह

ओम प्रकाश सिंह

अयोध्या. भू-माफियाओं के गठजोड़ से मुक्ति की भूमि अयोध्या अब माया की भूमि बन गई है. जिसे देखकर हर कोई भ्रमित है कि झूठा कौन है और सच्चा कौन. एक तरफ सत्ता दल के शह पर बड़े-बड़े भूमि सौदे हो रहे हैं, तो दूसरी ओर इसके विरुद्ध आवाज उठाने पर अपने ही सांसद को 'विपक्ष' कह दिया जा रहा है. भूमि के बंदरबांट के इस खेल में पक्ष-विपक्ष का विचार सरयू में बह गया है. शेष बचा एक ही सत्य है कि कौन कितना लूट पाया. आज अयोध्या की पवित्रतता के सौदेबाज ही उसके सबसे बड़े रामभक्त बने हुए हैं.

राम नगरी के जमीन घोटाले में अधिकारियों, नेताओं की लीला देखकर प्रभु श्रीराम भी पशोपेश में होंगे कि वह किसकी तरफ जाएं. एक तरफ अयोध्या को बचाने के लिए स्थानीय भाजपा सांसद लल्लू सिंह का मुख्यमंत्री को लिखा खत है तो दूसरी तरफ जमीन के लुटेरों का रेला. 

पूरे देश में यह प्रकरण गूंज रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने भाजपा सरकार को बदनाम करने की साजिश बताकर इस प्रकरण को नया मोड़ दे दिया है. डिप्टी सीएम के बयान से जहां बेईमानों को बल मिलने की आशंका है वही अयोध्या वासियों में इसको लेकर निराशा है. भाजपा के खेमे में भी अंदर खाने उठापटक की रणनीति बनने लगी है.

डिप्टी सीएम के बयान के बाद अब तो यह भी चर्चा होने लगी है क्या सत्ता पक्ष सांसद लल्लू सिंह विपक्ष हो गए हैं. मालूम हो कि लल्लू सिंह ने ही मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे प्रकरण की एसआईटी जांच कराने की मांग की थी. विपक्ष के नेताओं ने तो मीडिया में लल्लू सिंह के पत्र की खबरें आने के बाद बयान जारी किया. जिस आप पार्टी पर डिप्टी सीएम ने निशाना साधा है उसके सांसद संजय सिंह ने राम जन्म भूमि ट्रस्ट के लिए खरीदी गई जमीन में हुए घोटाले को लेकर आवाज उठाई थी. वह मामला दूसरा था और सांसद लल्लू सिंह ने जिस संदर्भ में पत्र लिखा है वह मामला दूसरा है.

यह तय है कि सांसद लल्लू सिंह के पत्र पर उच्च स्तरीय जांच हुई तो नौकरशाही व राजनीति के कई घाघ मुंह छुपाते नजर आएंगे. नगर निगम के पुरानी सीमा के साथ जो नए 41 गांव शामिल किए गए हैं इसमें स्थित झील, तालाब, नजूल, ग्राम समाज की जमीन पर कालोनियां बना दी गई है. जमीनों की खरीद-फरोख्त हुई है जबकि नियम है कि तालाब, झील पर ना तो निर्माण नहीं किया जा सकता और ना ही खरीद फरोख्त.

सरयू के कछार में बह रही भ्रष्टाचार की गंगा को स्वच्छ करने की मंशा से ही सांसद लल्लू सिंह ने पत्र लिखा था. जमीन घोटाले में लिप्त घाघों ने मामले का रुख मोड़ने के लिए पहले एक सूची वायरल कराया. जिसमें नगर विधायक, पूर्व विधायक, महापौर सहित कुछ प्लाटिंग कर जमीन बेचने वालों के नाम हैं. यह सूची पूरे देश में मीडिया की सुर्खियां बन चुकी है. नगर विधायक और महापौर के खेमे ने बदनामी देख प्रतिक्रिया शुरू कर दिया. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का बयान भी उसी संदर्भ में देखा जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि जांच की मांग सत्ता पक्ष के सांसद ने किया तो आरोप विपक्ष पर क्यों.

सांसद लल्लू सिंह का पत्र उजागर होने के बाद यह माना जा रहा था कि जमीन घोटाले के प्रकरण में लिप्त अधिकारियों, नेताओं का गठजोड़ बचाव में कोई न कोई लीला जरूर करेगा. प्राधिकरण उपाध्यक्ष के बदलते बयान भी मामले की गंभीरता को लील रहे हैं. नेताओं अधिकारियों की लीला देख प्रभु श्रीराम भी पशोपेश में होंगे कि अयोध्या बचाने के लिए लल्लू का खत भारी पड़ेगा या अयोध्या लूटने वालों का रेला.


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