उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान 6 अगस्त को

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उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान 6 अगस्त को

आलोक कुमार

नयी दिल्ली : राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को था.राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) विजयी हुई.द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर एकतरफा मुकाबले में भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया.अब सब लोगों की निगाहे

उपराष्ट्रपति के चुनाव में जाकर टिक गयी है.उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त 2022 को मतदान होगा.भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने हाल ही में उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए 6 अगस्त 2022 की तारीख की घोषणा की है.बता दें कि वर्तमान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त होगा.भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, निवर्तमान उपराष्ट्रपति के पद के कार्यकाल की समाप्ति से पहले ही चुनाव किया जाना आवश्यक है.

राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 व राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974 को संविधान के अनुच्छेद 324 में उपराष्ट्रपति के कार्यालय के चुनाव के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण निहित है. भारतीय चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि भारत के उपराष्ट्रपति के पद का चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए. जिसके लिए चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है. 

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है. दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं और हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है. राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए सांसदों के साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उप राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है. दोनों सदनों के लिए मनोनीत सांसद राष्ट्रपति चुनाव में मतदान नहीं कर सकते लेकिन वे उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं. 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से किया जाता है.

इस तरह से देखा जाए तो उप राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के

एनडीए के मूल प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) ने 91 सीटों पर जीत दर्ज की है. इसमें से कांग्रेस के खाते में 52 सीटें हैं. इसके बाद दूसरा नंबर डीएमके का है और उसने 23 सीटों पर जीत दर्ज की है.

निर्दलीय और अन्य दलों के खाते में 103 सीटें आईं.

लोकसभा में एनडीए को 349/543 (64%),यूपीए को 91/543 (17%) और अन्य को 103/543 (19%) बहुमत है.वहीं राज्य सभा में.एनडीए को 113/237 (48%),यूपीए को 50/237 (21%) और अन्य को 74/237 (31%) बहुमत है.कुल मिलाकर एनडीए को 462/780 (59%),यूपीए को

141/780 (18%) और अन्य को 177/780 (23%) बहुमत है. 

जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग कर दी गई और राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.जम्मू-कश्मीर की सभी 4 राज्यसभा सीटें खाली हैं.त्रिपुरा की एकमात्र राज्यसभा सीट भी खाली है.राज्यसभा में 3 मनोनीत सदस्य सीटें भी खाली हैं.इलेक्टोरल कॉलेज में संसद के दोनों सदनों के कुल 788 सदस्य होते हैं.चूंकि, सभी निर्वाचक संसद के दोनों सदनों के सदस्य हैं, संसद के प्रत्येक सदस्य के वोट का मूल्य समान होगा अर्थात 1 (एक).संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व की प्रणाली और गुप्त मतदान द्वारा होगा.                                                                              

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं का दावा है कि 303 लोकसभा, 91 राज्यसभा और 5 नामित सदस्यों का कुल 399 मत मिलने वाला है.इस तरह एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद  पर आसीन होने की प्रबल संभावना है.वहीं विपक्ष के बीच एका के अभाव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार का सफल होना मुश्किल जान पड़ रहा है. एम. वेंकैया नायडु से पहले 12 उप राष्ट्रपति रहे हैं. अब तक के भारत के उप राष्ट्रपति और उनका कार्यकाल इस प्रकार है:


डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (मई 13, 1952 से मई 12, 1962).

डॉ जाकिर हुसैन (मई 13, 1962 से मई 12, 1967).

वी.वी. गिरि (मई 13, 1967 से मई 3, 1969).

गोपाल स्वरूप पाठक (अगस्त 31, 1969 से अगस्त 30, 1974).

बी डी ज़त्ति (अगस्त 31, 1974 से अगस्त 30, 1979).

एम हिदायतुल्ला (अगस्त 31, 1979 से अगस्त 30, 1984).

आर वेंकटरमन (अगस्त 31, 1984 से जुलाई 24, 1987).

डॉ शंकर दयाल शर्मा (सितम्बर 3, 1987 से जुलाई 24, 1992).

के.आर. नारायणन (अगस्त 21, 1992 से जुलाई 24, 1997).

श्री कृष्णकांत (अगस्त 21, 1997 से जुलाई 27, 2002).

भैरों सिंह शेखावत (अगस्त 19, 2002 से जुलाई 21, 2007).

मो. हामिद अंसारी (अगस्त 11, 2007 से अगस्त 10, 2017).

भारत में राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है.वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा का अध्यक्ष भी होता है. इस पद की गरीमा इस बात से भी समझी जा सकती है कि देश में अब तक हुए 11 उपराष्ट्रपतियों में से 6 बाद में राष्ट्रपति भी बने हैं.किसी भी कारण से राष्ट्रपति पद रिक्त होने की स्थिति में वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है. उस स्थिति में वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का हकदार होता है, जिनका हकदार राष्ट्रपति होता है.उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। उसे पुनर्निर्वाचित किया जा सकता है. हालांकि, त्यागपत्र, निष्कासन या मृत्यु की स्थिति में उसका : कार्यकाल स्वतः ही समाप्त हो जाता है.



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