एक हैं अरुणा आसफअली

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

एक हैं अरुणा आसफअली

 चंचल 

आज 16 जुलाई है . माज़ी में अनगिनत चमकते वाक़यात हैं , जो इस तारीख़ से  वाबस्ता  हैं . मुल्क को , क़ौमों को उस पर नाज है ग़ुरूर होता है , तो उनको तकलीफ़ होने लगती है , जिनके पास न कोई तारीख़ है न उन पुरखों की फ़ेहरिस्त , जिन्हें कह सकें क़ि यह हमारे कुटुम्ब से है , . इनके पास जो तारीख़ें हैं भी भी कालिख पुती और धुँएँ से दमघोंटू और विषैली हैं , और पुरखे ? कोई कातिल है , कोई  षणयंत्र कर्त्ता , दामन में दाग लिए खड़े हैं . चुनाचे उन्हें दिक़्क़त होती है इन चमकदार तारीख़ों से . 

    आज 

केवल दो नाम का ज़िक्र करना चाहूँगा , दोनो महिलाएँ हैं और दोनो 16 जुलाई से जुड़ी हैं . 

  एक हैं अरुणा आसफअली और दूसरी हैं दुर्गा बाई राव 

  आज अरुणा जी का जन्मदिन है . भारत अपनी आज़ादी का 75वाँ सालगिरह मना  रहा है . आज सारे देश में इनकी तस्वीरें , इनका इतिहास बाँटना चाहिए था . ये महिलाएँ चरित्र भर नही हैं , परम्परा निर्मात्री हैं . गांधी जी , पंडित नेहरु ,  अबुल कलाम आज़ाद जी , सुभाष चंद बोष की परम्परा के वाहक हैं . 42 में 9  अगस्त को गांधी जी असहयोग  आंदोलन की घोषणा करते हुए , देश से “करो या मरो “ की अपील की और अंग्रेज़ी साम्राज्य को भारत से चले जाने की चुनौती दी , तो अंगरेजो साम्राज्य बौखला गया और रात में ही  गांधी जी समेत लाखों लोंगो को गिरफ़्तार कर  जेल में डाल दिया . उस समय कांग्रेस के अंदर का समाजवादी गुट आंदोलन की बागडोर अपने हाथ में ले लिया . डॉक्टर लोहिया  , यसूफ़ मेहर अली , उषा मेहता  जय प्रकाश नारायण , गंगा शरण सिंह वग़ैरह  की दूसरी क़तार ने आंदोलन के संचालन का ज़िम्मा अपने हाथ में ले लिया . कांग्रेस सम्मेलन के अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सम्मेलन स्थल पर अलसुबह दस बजे कांग्रेस का झंडा गहराना था , एक युवा लड़की किसी रास्ते से चल कर आई और उसने कांग्रेस का तिरंगा फहरा दिया , वह लड़की थी अरुणा आसफ़ अली जिसने 10 अगस्त को झंडोत्तोलन  ले साथ , इतिहास पर दस्तख़त कर दिया . 

     १०अगस्त १९४२ को आज़ादी का परचम लहराने वाली लड़की आज़ाद भारत में दिल्ली की प्रथम महिला महा पौर बनी . आज उनका जन्मदिन है . 

( चित्र में पंडित नेहरु के साथ अरुणा जी ) 

       1923 काक़ीनाडा कांग्रेस अधिवेशन के बग़ल कांग्रेस परम्परानुसार खादी प्रदर्शनी  का पंडाल भी लगा था . उस पंडाल में प्रवेश के लिए , दो पैसे का टिकट लेकर ही प्रवेश किया जा सकता था . एक साहब बग़ैर टिकट अंदर जाने लगे तो गेट पर खड़ी एक 14 /15वर्षीय लड़की ने रोक दिया . लोंगो में पूछा - कांति हो कौन है ? लड़की का जवान था - इनके पास टिकट नही है . बग़ैर टिकट वाला मुस्कुराया , टिकट ख़रीदा गया , तब वे अंदर जा सके . भैर टिकट वाले पंडित नेहरु थे , और गेट पर रोकनेवाली लड़की थी दुर्गा बाई राव जो बाद में पंडित नेहरु के मंत्रिमंडल में प्रथम वित्त मंत्री बने और रिज़र्व बैंक  के गवर्नर सी डी देसमुख की पत्नी बनी . 

      इनकी शादी  के गवाह बने पंडित नेहरु .


  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :