अकलियतों पर जुल्म से श्रीलंका हुआ तबाह

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अकलियतों पर जुल्म से श्रीलंका हुआ तबाह


हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! राष्ट्रवाद के नाम पर पहले तमिल हिन्दुओं फिर मुसलमानों और उनके बाद ईसाइयों पर हर किस्म की ज्यादतियां, नाइंसाफियां कराने और मजालिम ढाने वाले मजबूत सियासतदां राजपक्षे खानदान की हरकतों की वजह से श्रीलंका तबाह हो गया. सदर गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रवाद के नाम पर सिंहलियों की जो बेकाबू फौज देश में तैयार की थी भूक, बेरोजगारी, महंगाई और जरूरी सामान की किल्लत की वजह से वही फौज बेकाबू हुई तो गोटबाया राजपक्षे को पहले अपने सरकारी महल से फिर बारह जुलाई को देश छोड़कर मालद्वीप भागना पड़ा. जहां से वह भागकर सिंगापुर चले गए. गोटबाया के भागने के फौरन बाद वजीर-ए-आजम रानिल विक्रम सिंघे को कायम मकाम सदर तो बना दिया गया लेकिन गोटबाया के भागने की खबर से लोग इतने मुश्तइल (उत्तेजित) हो गए कि पूरे मुल्क में इमरजेसी लगानी पड़ी, राजधानी कोलंबो में लोग हिंसा पर उतर आए. सिक्योरिटी अमले ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और हवाई फायरिंग की. नाराज लोगों की भीड़ पार्लियामेंट और वजीर-ए-आजम के सरकारी दफ्तर और रिहाइश में घुस गई. नेशनल टीवी का टेलीकास्ट बंद करा दिया. खबर लिखे जाने तक कोलंबो समेत श्रीलंका के बेश्तर शहरों में हालात इंतेहाई नाजुक हो चुके थे.

राजपक्षे खानदान ने तकरीबन अट्ठारह साल तक किसी न किसी शक्ल में श्रीलंका पर हुकूमत की बारह जुलाई तक सदर रहे गोटबाया राजपक्षे ने सिंहली समाज को राष्ट्रवाद का नशा पिलाकर ऐसी मकबूलियत हासिल की कि पूरा खानदान उस मकबूलियत के नशे में यह समझने लगा कि शायद श्रीलंका में हमेशा-हमेशा उन्हीं के खानदान की हुकूमत रहने वाली है. पूरे खानदान ने दोनों हाथों से लूट मचा दी, खबर यह है कि सेण्ट्रल बैंक आफ श्रीलंका के गवर्नर अजित निवार्ड कबराल की मिलीभगत से राजपक्षे खानदान ने बयालीस हजार करोड़ रूपए मुल्क से बाहर अपने बैंक खातों में भेज दिए. मआशी (आर्थिक) तौर पर मजबूत रहे श्रीलंका को राजपक्षे ने लूटकर इतना खोखला कर दिया कि मुल्क के पास पेेट्रोल, डीजल, गैस, दवाओं और खाने के सामान इम्पोर्ट करने के लिए विदेशी करेंसी ही नहीं बची. सदर गोटबाया आठ जुलाई को अपने महल से भाग गए थे. आंदोलन करने वाली भीड़ जब राष्ट्रपति भवन में घुसी तो चालीस लाख रूपयों के बंडल भी मिले जिसे घुसने वाले लड़कों ने फौज के हवाले कर दिया.

गोटबाया राजपक्षे सदर थे तो उन्होने दस साल तक मुल्क के सदर रहे अपने बड़े भाई महिन्दा राजपक्षे को वजीर-ए-आजम बना दिया था. लोगों की नाराजगी बढी तो इसी साल दस मई को महिन्दा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया और जान बचाने के लिए अपने कुन्बे समेत भागकर नेवी के हेडक्वार्टर में पनाह ले ली. इससे पहले वह जब 2005 से 2015 तक मुल्क के सदर थे तो अपने छोटे भाई और फौजी अफसर गोटबाया राजपक्षे को डिफेंस सेक्रेटरी बना रखा था. गोटबाया ने उसी दौरान तमिल हिन्दुओं की नस्ल खत्म करने की मुहिम चला दी उनके खिलाफ मजालिम की तमाम हदें तोड़ दीं छोटे-छोटे बच्चों को गोलियों से भून कर या गर्दनें काटकर सडकों पर फेंकवाया और उनकी तस्वीरें पूरी दुनिया में फैलवा दी. तमिल हिन्दुओं को कुचलने की वजह से ही सिंहलियों में उन्हें मकबूलियत हासिल हुई और उन्होने सिंहलियों को राष्ट्रवाद का नशा चढा कर अपने हक में कर लिया.

तमिल हिन्दुओं को कुचलने के बाद मिली मकबूलियत के नतीजे में गोटबाया 2019 में श्रीलंका के सदर बन बैठे. अब उनके निशाने पर मुसलमान और ईसाई आ चुके थे. राष्ट्रवाद के नशे में चूर सिंहलियों को उन्होने इन दोनों के खिलाफ लगा दिया. हालात इतने खराब हो गए कि मुसलमानों और ईसाइयों को सड़कों पर निकलना मस्जिदों और गिरजाघरों में इबादत करना तक मुश्किल हो गया. सड़क पर कोई मुस्लिम खातून अगर हिजाब में निकलती थी तो उसका हिजाब खीच कर फाड़ दिया जाता था और पुलिस की मौजूदगी में उनके साथ बदसुलूकी की जाती थी. सिंहलियों ने तकरीबन पूरे मुल्क में हलाल गोश्त की दुकानें भी बंद करा दी थी. एक वक्त तो ऐसा लगने लगा था कि जैसे तमिल हिन्दुओं की तरह मुसलमानों और ईसाइयों का भी सफाया हो जाएगा. ऐसा हो पाता इससे पहले ही राजपक्षे खानदान की लूट की वजह से श्रीलंका मआशी (आर्थिक) तबाही का शिकार हो गया और राष्ट्रवाद के नशे में चूर नौजवान इस खानदान के खिलाफ हो गए.

गोटबाया ने अपने एक भाई बासिल राजपक्षे को मुल्क का फाइनेंस मिनिस्टर बना रखा था. वह इतना रिश्वतखोर निकला कि उसका नाम ही ‘मिस्टर टेन परसेंट’ पड़ गया. उनके खिलाफ बेईमानी के कई संगीन इल्जाम लगे लेकिन गोटबाया ने सारे इल्जामात से उसे बरी कर दिया. महिन्दा राजपक्षे ने अपनी हुकूमत के दौरान भारत को चिढाने के लिए चीन के साथ बहुत कुरबत बढा ली, चीन से उन्होने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के नाम पर सात अरब डालर का कर्ज भी लिया और भारत को परेशान करने के लिए भारत के सबसे नजदीकी हबन टोटा पोर्ट को चीन के हवाले कर दिया. चीन से लिए गए सात अरब डालर के कर्ज को पूरे खानदान ने मिलकर खा लिया. इनके सबसे बड़े भाई चामल राजपक्षे हैं जो इनकी सरकार में वजीर आबपाशी और आबी वसायल (सिंचाई एवं जल संसाधन) थे. इससे पहले शिपिंग और सिविल एवीएशन के भी मिनिस्टर रहे. महिन्दा राजपक्षे का बड़ा बेटा पैतालीस साल का नामल महिन्दा है जो 2010 में महज चैबीस साल की उम्र में पार्लियामेंट का मेम्बर बन गया था. वह गोटबाया सरकार में खेलकूद और यूथ अफेयर्स का मिनिस्टर था. उसने भी करोड़ों रूपए का काला धन कमाया और उसे विदेशी बैंकों में जमा कर दिया.

गोटबाया सरकार में जो लूट मची उसकी वजह से श्रीलंका में विदेशी करेंसी तकरीबन खत्म हो गई जिसकी वजह से मुल्क में गल्ला, शकर, मिल्क पाउडर, सब्जियां, दवाएं, डीजल, पेट्रोल, गैस समेत तमाम जरूरी चीजों का इम्पोर्ट बंद हो गया. श्रीलंका से एक्सपोर्ट बारह अरब डालर और इम्पोर्ट बाइस अरब डालर का है. मुल्क में अफरा तफरी फैलने की वजह से एक्सपोर्ट और भी गिर गया यह ट्रेण्ड खसारा सरकार किसी तरह पूरा नहीं कर पाई. आज हालत यह हो गई है कि पेट्रोल-डीजल न होने की वजह से पब्लिक ट्रांसपोर्ट तकरीबन पूरी तरह से बंद है. लोगों को दवाएं मिल नहीं रही है दूध की कीमत 400 रूपए लीटर तक पहुच गई है. एक-एक ब्रेड के लिए मारा-मारी है अब सिंहलियों की समझ में यह नही आ रहा है कि राजपक्षे खानदान ने उन्हें जो राष्ट्रवाद का नशा चढाया था उसे वह क्या करें.

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