आलोक कुमार
पटना : बिहार विधान सभा में भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र पेश किया है.इसमें उल्लेख किया गया है कि बिहार आजादी के आंदोलन व तानाशाही के खिलाफ लोकतंत्र के लिए चलने वाले संघर्षों की सर्वाधिक उर्वर जमीन रही है. आज हम अपनी आजादी के 75 साल से गुजर रहे हैं. इस ऐतिहासिक मौकेे पर भाकपा-माले विधायक दल आपके समक्ष मांगों को प्रस्तुत कर रहा है:
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1942 के आंदोलन में बिहार ने अग्रणी भूमिका निभाई है. आजादी के आंदोलन के गौरवशाली इतिहास व उसके गर्भ से निकले लोकतंत्र, समाजवाद, धर्मनिपरेक्षता, सामाजिक न्याय जैसे मूल्यों की हिफाजत व आम लोगों के बीच उसके व्यापक प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से ' राज्य में एक स्वतंत्रता आंदोलन म्यूजियम' की स्थापना की जाए.
1857 की आजादी की पहली लड़ाई; तिलका मांझी, संथाल विद्रोह, रजवार विद्रोह, बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उलगुलान विद्रोह; किसान आंदोलन, 1942 की जन क्रांति आदि बिहार के स्वतंत्रता आंदोलन के महत्वपूर्ण पड़ाव हैं. खुदीराम बोस, प्रफुल्ल चाकी, जुब्बा सहनी जैसे क्रांतिकारियों को इतिहास में अब भी वह स्थान प्राप्त नहीं हो सका है, जिनके वे हकदार हैं. उपर्युक्त आंदोलनों को प्राथमिकता देते हुए नए तथ्यों के आलोक में बिहार में 'स्वतंत्रता आंदोलन का दस्तावेजीकरण' किया जाए.भगत सिंह के साथ बटुकेश्वर दत्त के नाम पर पटना रेलवे स्टेशन, किसान आंदोलन के महान नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर बिहटा रेलवे स्टेशन और महात्मा गांधी की जान बचाने वाले बतख मियां के नाम पर मोतिहारी रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार का नामकरण किया जाए, जो पहले था.अंग्रेजी जमाने से चले आ रहे राजद्रोह कानून का उन्मूलन किया जाए. आजादी के बाद उसी कड़ी में जारी यूएपीए जैसे काले कानून स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत व मूल्यों के एकदम उलट हैं. केंद्रीय सरकार ऐसे जनविरोधी काले कानूनों को खत्म करने की पहल ले.
कोरेगांव के राजनीतिक बंदियों, उमर खालिद, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलबाड़, पूर्व आईपीएस ऑफिसर संजीव भट्ट, गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार, आल्ट न्यूज के सहसंस्थापक मो. जुबैर सहित तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों को अविलंब रिहा किया जाए. अभिव्यक्ति की आजादी पर बढ़ रहे हमले, उसे देशविरोधी बताना और देश में नफरत व हिंसा पैदा करने की प्रवृतियों पर कठोरता से कार्रवाई की जाए.
सेना बहाली में ठेका प्रणाली को बढ़ावा देने वाली अग्निपथ योजना देश की सुरक्षा के प्रतिकूल है. यह नौजवानों के सम्मानजनक रोजगार की आकांक्षा के भी खिलाफ है. अतः इस निर्णय को अविलंब वापस किया जाए और सेना बहाली की पहले की प्रक्रिया बहाल की जाए.
आपकी सरकार ने प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था. बिहार की सरकार ने भी विधानसभा चुनाव 2020 के समय 19 लाख रोजगार देने की घोषणा की थी. दिल्ली-पटना सरकार द्वारा की गई इन घोषणाओं के आलोक में युवाओं के लिए सम्मानजनक रोजगार की गारंटी करने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाये जाएं.
राज्य के बंटवारे के समय से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग होती रही है. इस चिरप्रतीक्षित मांग को अविलंब पूरा किया जाए. विशेष राज्य के दर्जे की ही तरह देश के सातवें सबसे प्राचीनतम पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाए जाने की भी मांग लगातार उठती रही है. पटना विश्वविद्दयालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाए.बिहार विधानसभा शताब्दी वर्ष समारोह में स्थापित स्मारक में बिहार के राजकीय चिन्ह में की गई छेड़छाड़ असंवैधानिक है. इसमें उर्दू में लिखे गए बिहार शब्द को हटा दिया गया है. इसे अविलंब ठीक करवाया जाए.देश के शीर्ष पद पर बैठे होने के नाते हमें आपसे उम्मीद है कि आप हमारी 10 सूत्री मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे और इनसे संबंधित आवश्यक कदम उठाने की दिशा में तत्काल पहलकदमी लेंगे.
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