प्रशासन के आदेश के बाद बुलडोजर चलाया

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प्रशासन के आदेश के बाद बुलडोजर चलाया

आलोक कुमार

पटना: राजधानी पटना के राजीव नगर नेपाली नगर में अवैध ढंग सेे जमीन पर कब्जा करने के नाम पर रविवार को प्रशासन के आदेश के बाद बुलडोजर चलाया गया. सात घंटे की कार्रवाई में तिनका जोड़- जोड़कर मकान बना लेने वाले लोगों का आशियाना ढाह दिया गया.इस समय किसी जनप्रतिनिधियों का दर्शन नहीं हो पाया.

बिहार की राजधानी पटना के नेपाली नगर में रविवार को अतिक्रमण को लेकर जमकर बवाल हो गया.स्थानीय लोगों ने पुलिस-प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया तो पुलिस को स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए फायरिंग भी करनी पड़ी. लेकिन इस दौरान कुछ ऐसी तस्वीरें भी सामने आई जो बेहद मार्मिक हैं.किसी को अपना घर छोड़ना पड़ा तो कोई छोटे बच्चों को लेकर प्रशासन के सामने हाथ जोड़ता रहा.हालांकि प्रशासन ने 70 से ज्यादा घरों को गिरा दिया. ज़िलाधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि 12 स्थानीय लोगों को अरेस्ट किया गया है. उन्होंने कहा कि 40 एकड़ जमीन को कब्जे से मुक्त कराना है.        

उन्होंने बताया कि पुलिस द्वारा छोड़े गए रबड़ बुलेट के लगने से एक युवक बेहोश होकर गिर गया.इसके अलावा बुलडोजर गरजने पर एक अधेड़ को हार्ट अटैक आ गया.एसएसपी ने कहा है कि केस दर्ज कर बवालियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं उपद्रवियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस छापेमारी करेगी.


दोपहर के समय जाप सुप्रीमो पप्पू यादव भी राजीव नगर पहुंचे और उन्होंने कलेक्टर से इस कार्रवाई को रोकने की अपील की. कलेक्टर ने भी हाथ जोड़कर कहा आप यहां से जाइये हम देख रहे हैं.


जाप सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि "यहां की जनता के साथ हूं. जब रविशंकर प्रसाद, संजीव चौरसिया के नाम से रोड बना है. सरकार ने बिजली भी दी है. यहां के लोग भी टैक्स देते हैं. फिर आज यह दमन पूर्वक कार्रवाई क्यों. यह हिटलर, मुसोलिनी और तानाशाही की इंतहां है. इससे बुरे हालात नहीं हो सकते हैं. सारे लोग मौत के भय में हैं. मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि इसको रुकवा दीजिए."                       


आपको बताएं कि पिछले दिनों राजीवनगर के लोगों ने बुलडोजर पर रोक लगाने की मांग को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy CM Tarkishore Prasad) के पटना स्थित आवास के बाहर प्रदर्शन भी किया था. इन प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं. इनका कहना है कि पटना प्रशासन ने राजीव नगर के नेपाली नगर में 3 दर्जन से ज्यादा मकान को तोड़ने का आदेश जारी किया है. यहां लगभग 20 एकड़ भूमि को अधिग्रहित कर पटना उच्च न्यायालय के जजों के लिए आवास बनाया जाना है. सदर अंचलाधिकारी की ओर से 70 लोगों को नोटिस भेजा गया है. यह इलाका राजीव नगर थाने और कर्पूरी भवन के पीछे वाला इलाका है. इससे पहले नेपाली नगर के घुड़दौड़ रोड में सीआईएसएफ के कैंप कार्यालय, सीबीएसई के लिए भूमि अधिग्रहित की गई थी. इस दौरान इस इलाके में स्थानीय लोगों और पुलिस प्रशासन के बीच हंगामा हुआ था.                                      

सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय ने सवाल खड़ा कर कहते हैं कि नेपाली नगर से वोट लेने वाले पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री सह सांसद रविशंकर प्रसाद और विधायक डॉ.संजीव चौरसिया गायब हैं.परेशान लोग खोजते रहे कि हमारा जनप्रतिनिधि कहां चले गये? दीघा के माननीय कहां हैं? इस पर उन्होंने कहा कि यह  भा ज पा के वरिष्ठ नेताओ के सोची समझी हरकत व राजनीतिक कारण है.उनके अनुपस्थिति  मे नेपाली नगर  मे बुलडोजर अभियान को अतिम अंजाम दे दिया गया.


बिहार राज्य आवास बोर्ड के द्वारा दीघा के 1024.52 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया.बिहार राज्य आवास बोर्ड ने

खेतिहर जमीन का अधिग्रहण किया गया था. इसके खिलाफ किसान गोलबंद है.इन किसानों के आंदोलन में राजनीतिक दल भी हवा फूंकते रहे. इस आंदोलन को धारदार बनाने के उद्देश्य से छात्र नेता के रूप में उभरे लालू प्रसाद यादव मखदुमपुर दीघा आए.1974 के छात्र आंदोलन में जुड़ने का आह्वान किया.उनके आह्वान पर एक दर्जन छात्रों ने जेल भरो अभियान में शामिल होकर जेल गए. पढ़ाई-लिखाई छोड़कर जेल जाने वालों में जौर्ज केरोबिन, नन्दलाल, राजेश्वर, सूर्यदेव, अमर, विजय आदि प्रमुख हैं.इनको पटना में गिरफ्तार कर बक्सर केंद्रीय कारा में 13 जून 1974 को भेजा गया.इनको अभी तक जेपी सेनानी पेंशन नहीं मिला.कई पेंशन की आस में सांस खो चुके.


तब बिहार के लालू प्रसाद यादव 1990 में मुख्यमंत्री बने थे .सत्ता और पावर आने के बाद भी मुख्यमंत्री महोदय दीघा के 1024. 52 एकड़ जमीन को बिहार राज्य आवास बोर्ड से मुक्त नहीं करा सके.उनके बाद राबड़ी देवी भी मुख्यमंत्री बनी थीं.पति की तरह ही दीघावासियों की सुधि नहीं ली.दोनों मिलकर 15 साल 2005 तक रहे.इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं.


इस बीच दीघा विधान सभा के सदस्य डॉ.संजीव चौरसिया ने बिहार विधान सभा सत्र में शून्यकाल के माध्यम से केशरी नगर, राजीव नगर, जयप्रकाश नगर, नेपाली नगर के साथ- साथ दीघा के 1024.52 एकड़ जमीन में  बसे निवासियों को शीघ्र स्थाई आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत करवाने की मांग की.इस तरह दीघा की यह चिरलम्बित मांगों में जुड़ गया है.


ये लोग दीघा भूमि अधिग्रहण के मामले को लेकर समय-समय पर सरकार को घेरते हैं. इसमें जदयू के श्याम रजक,  भाजपा के नितिन नवीन ने विस में उठा चुके हैं.सवाल पर  सरकार को घिरते देख विपक्ष ने भी सहयोग किए हैं. उस समय जवाब देने के क्रम में नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा को घिरते देख आसन पर बैठे अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी को आगे आना पड़ा. उन्होंने मंत्री को उत्तर देने में सहयोग किया. जदयू के श्याम रजक ने तारांकित प्रश्न के जरिये दीघा में 1024.52 एकड़ भूमि के अधिग्रहण का मामला उठाते हुए कहा कि 1974 में जमीन का अधिग्रहण हुआ था. 

 

न तो जमीन का उपयोग हुआ और न ही किसानों को मुआवजा का भुगतान हुआ है. सीआरपीएफ और सीपीडब्लूडी को आवंटित जमीन का मु‌आवजा भी किसानों को नहीं मिला है. श्री रजक ने कहा कि 2013 में भूमि अधिग्रहण के लिए पारित कानून में यह प्रावधान है कि पांच साल में अगर मुआवजा नहीं मिलता है तो जमीन अधिग्रहण से मुक्त मानी जायेगी.नगर विकास एवं आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि आवास बोर्ड ने मुआवजा की 34 करोड़ से अधिक की राशि पटना जिलाधिकारी को दे चुका है. किसान इस मामले को लेकर कोर्ट चले गये थे. जहां उनकी हार हो चुकी है.


दीघा में  बिहार राज्य आवास बोर्ड द्वारा किसानों की जमीन  कब्जाने की तिथि घोषित होने पर किसान तनमना जाते हैं. हिंसक रूप धारण करने पर एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है. अभी हाल में आवंटित छह एकड़ जमीन पर एसएसबी, सीबीएसई व राजीवनगर थाने को कब्जा मिल गया.पुलिस के तेवर देख इन तीनों भूखंडों पर जाने की किसी ने हिम्मत नहीं की.दखल-कब्जा के दौरान बवाल मचाने के आरोप में गिरफ्तार एक महिला समेत नौ उपद्रवियों को जेल भेज दिया गया.जिन तीन सौ लोगों ने जमीन पर कब्जा होने के बाद पाेलसन रोड मोड़ के पास दानापुर-गांधी मैदान रोड को जाम कर आगजनी व हंगामा करने के साथ पुलिस पर पथराव किया था, पुलिस उनकी पहचान करने में जुटी है. पुलिस वीडियो फुटेज से उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है.थानेदार रघुनाथ ने कहा कि जैसे-जैसे पहचान होगी, गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा.करीब 10 लोगों की पहचान हुई है.पुलिस छापेमारी करने गई थी लेकिन सभी फरार पाए गए.


भूमाफियाओं या स्थानीय लोगों द्वारा उग्र प्रदर्शन की आशंका है.दीघा के थानेदार ने एसएसपी को पत्र लिखकर चार दिनों तक पुलिस की तैनाती की मांग की थी.साथ ही कहा है कि इन भूखंडों पर जल्द निर्माण का काम शुरू हो.वैसे जमीन की अस्थायी रूप से तार से घेराबंदी कर दी गई है.एसएसबी का तो कैंप ही हो गया है. 


48 साल के बाद प्रशासन ने छह एकड़ जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया था.इस छह एकड़ जमीन में साढ़े तीन एकड़ राजीवनगर थाना व ढाई एकड़ दीघा थाना थाना क्षेत्र में है

 ढाई-ढाई एकड़ जमीन सीबीएसई व एसएसबी, जबकि एक एकड़ राजीवनगर थाने को आवंटित किया गया है.


बता दें कि दीघा विधान सभा के सदस्य डॉ.संजीव चौरसिया ने बिहार विधानसभा सत्र में शून्यकाल के माध्यम से केशरी नगर, राजीव नगर, जयप्रकाश नगर, नेपाली नगर के साथ- साथ दीघा के 1024.52 एकड़ जमीन में  बसे निवासियों को शीघ्र स्थाई आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत करवाने की मांग की है.


इस संदर्भ में अखिल भारतीय बाढ़ ,सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ,मोर्चा के नेता पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ,राम अवध राय ,संजय कुमार सिन्हा ,अधिवक्ता विजय कुमार गुप्ता , माले नेता जितेंद्र कुमार ,मेल नेत्री और दीघा विधान सभा से महागठबंधन के पूर्व प्रत्याशी श्रीमती शशि यादव ,मोर्चा नेत्री श्रीमती शोभा देवी , श्रीमती कुंती देवी ,मालती देवी ,जनसंघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप मेहता ने एक संयुक्त बयान जारी कर पटना जिलाधिकारी ,पटना एस एस पी की उपस्थिति में दर्जनों जे सी बी के सहारे हजारों पुलिस बल के सहयोग से अकारण पांच बजे सुबह नेपाली नगर पहुंच कर करीब ९०लोगों के घरों ,उनके बाउंड्री ,और 40 एकड़ से अधिक किसानों को जमीन को छीनने तथा विरोध करने वाले दर्जनों लोगों को गिरफ्तार करने ,विरोध करने वाली महिलाओं के साथ मारपीट ,दुर्व्यवहार करने तथा एक व्यक्ति की बुलडोजर से दबाकर हत्या करने की प्रशासनिक करवाई की घोर निन्दा की है .इन नेताओं ने संकट की इस घड़ी में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है.


समाजसेवी राम भजन सिंह यादव ने कहा कि सरकार और पटना जिला प्रशासन नेपाली नगर के लोगों को आतिक्रमणकारी कह रही है लेकिन सरकार और जिला प्रशासन खुद अतिक्रमणकारी है.जिला प्रशासन और सरकार कह रही है कि दीघा नेपाली नगर की जमीन बिहार राज्य आवास बोर्ड की है जो सरासर सत्य से परे और बेबुनियाद बात है.


बिहार सरकार ने 1974 में दीघा की जमीन का अधिग्रहण बिहार राज्य आवास बोर्ड ने किया था. बनाने के लिए किया था लेकिन आज तक दीघा के 1024.52 एकड़ के किसानों को एक रुपया मुआवजा का भुगतान नही किया गया है.2017

 में भी दीघा घुरदौड़ रोड चौराहा से पश्चिम जिला प्रशासन द्वारा मकान तोड़ा था जिसका किसानों ने विरोध किया था.


पटना उच्च न्यायालय में भी अखिल भारतीय बाढ़ ,सुखाड़ और कटाव पीड़ित संघर्ष मोर्चा द्वारा 700 दिनों तक शांति पूर्ण धरना देकर मुकदमा दायर किया था जिसका केश नंबर CWJC 17769/18 है.इस केस की सुनवाई करते हुए पटना उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस उपाध्याय की पीठ ने दिनांक 06.01.2020 को आदेश दिया कि दीघा 1024.52 एकड़ जमीन के किसानों को एक रुपया मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है. इस लिए यह जमीन अधिग्रहण मुक्त किया जाता है. 

   

अगर सरकार इस जमीन को लेना ही चाहती है तो इसे नया भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार इसे पुनः अधिग्रहण करना होगा और तीन महीना के अंदर अधिग्रहण कर नया भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार इसका भुगतान करना होगा.

न्यायालय के आदेश की कोपी लगा कर मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राम भजन सिंह यादव ने सरकार और जिला प्रशासन से नए आदेश के अनुसार भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजे का भुगतान का अनुरोध  किया था .लेकिन सरकार और जिला प्रशासन न्यायालय के आदेश की अनसुनी कर कुंडली मारकर इतने दिनों तक बैठी रही है.आज न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए मेहनत के पैसे से किसानों से जमीन खरीद कर घर बनाकर 50 वर्षों से रह रहे रहे लोगों को अतिक्रमणकारी बताना कही से भी उचित नहीं है.


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