आलोक कुमार पटनाः यूपीए-2 के बाद 2014 में एनडीए सरकार सत्ता आयी. सत्ता में आने के बाद एनडीए के मुखिया व देश का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहाल ईपीएस-95 के पेंशनधारियों की सुधि ली. पेंशनधारियों को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( ईपीएफओ) की ओर से मिलने वाले अल्प पेंशन में वृद्धि करके न्यूनतम 1000 रूपये पेंशन कर दिये गए. फिर घुमकर पेंशनधारियों की ओर प्रधानमंत्री नहीं देखे.कोरोना काल में बुजुर्ग पेंशनधारी कहराते रह गये.प्रधानमंत्री आठ साल से सत्ता में है.निर्धारित न्यूनतम 1000 रूपये पेंशन में अठन्नी भी बढ़ोतरी नहीं किये. इससे 65 लाख पेंशनधारियों में तीव्र आक्रोश हैं. इस बीच कर्मचारियों ने केरल हाईकोर्ट में पेंशन वृद्धि करने की याचिका दायर कर दी.इस पर केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ के खिलाफ और कर्मचारियों के पक्ष में फैसला दे दिया. इसके खिलाफ ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने गत एक अप्रैल को याचिका खारिज करते हुए ईपीएस पेंशनरों के पक्ष में फैसला दिया.अभी भी ईपीएस-95 का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. इस बीच कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ओर से ईपीएफ की ब्याज दर घटा दी गयी.इस दौरान संसद के एक पैनल ने इस बात पर जोर दिया है कि ईपीएफओ के मेंबर को मिलने वाली 1000 रूपये की न्यूनतम मासिक पेंशन बहुत कम है और इसमें वृद्धि किए जाने की जरूरत है.पैनल ने जोर दिया कि पेंशन के इस पैसे से किसी का वर्तमान में और न ही भविष्य में भला नहीं होने वाला है.लिहाजा श्रम मंत्रालय इस रकम को बढ़ाने पर जोर दे. संसदीय पैनल की इस सलाह या सिफारिश को श्रम मंत्रालय मान ले तो निकट भविष्य में न्यूनतम मासिक पेंशन की राशि बढ़ सकती है.लंबे अरसे से इसे बढ़ाने की मांग चल रही है. सूत्रों का कहना है कि संसदीय समिति की सिफारिश को संसद में पेश किया गया.श्रम मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 30 वीं रिपोर्ट में न्यूनतम मासिक पेंशन की राशि बढ़ाने की सिफारिश की.रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 साल पहले न्यूनतम मासिक पेंशन के तौर पर 1000 रूपये की रकम निर्धारित की गई थी. अब यह रकम पर्याप्त नहीं है. इसलिए श्रम मंत्रालय को पेंशन की राशि बढ़ाने पर विचार करना चाहिए.समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि पेंशन बढ़ाने के लिए श्रम मंत्रालय को वित मंत्रालय से बात करनी चाहिए.वित्त मंत्रालय से बात कर बजट के पैसे को बढ़ाने की मांग करनी चाहिए. यही काम ईपीएफओ के साथ भी होना चाहिए ताकि यह संगठन सभी पेंशन स्कीम पर गौर कर मंथली मेंबर पेंशन को बढ़ा सके. मथुरा की सांसद हेमा मालिनी ने पेंशनधारकों की मांगों को गौर से सुनने के बाद 04 मार्च 2020 को संगठन के प्रतिनिधियों की मीटिंग प्रधानमंत्री के साथ करवाई थी और इसी मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने विषय की गंभीरता को समझते हुए पेंशन धारकों की समस्याओं को तुरंत सुलझाने के लिए दिशा निर्देश भी दिए थे. इसके बाद सांसद हेमा मालिनी ने 02 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्मरण पत्र लिखा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने मांग की ईपीएस- 95 पेंशनधारकों को सम्मानपूर्ण पेंशन मिले व मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए. हेमा मालिनी ने स्मरण पत्र में दिनांक 4 मार्च की मीटिंग का भी जिक्र करते हुए पेंशनधारकों को 7500 रुपये पेंशन व साथ में महंगाई भत्ता तथा मेडिकल सुविधा प्रदान कर न्याय देने की बात कही गई थी. इसके बाद लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की कर्मचारी पेंशन योजना में मासिक पेंशन बढ़ाने और अन्य सुविधाओं का लाभ 65 लाख से अधिक पेशनधारकों को दिलाने की मांग को लेकर पूर्व श्रम मंत्री संतोष गंगवार को 24 सितंबर 2020 को पत्र लिखा था.पेंशनभोगी महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7,500 रुपये मासिक करने, पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने समेत अन्य मांग कर रहे हैं. भाजपा सांसद हेमा मालिनी ने लिखा है, ‘‘सेवानिवृत्ति के बाद परिवार और समाज में सम्मान सहित जीने के लिए पेंशन दी जाती है, लेकिन ईपीएस-95 के पेंशनधारकों को बहुत मामूली पेंशन मिल रही है. इतनी महंगाई के जमाने में इतने कम पैसे में इन बुजुर्गों का अपनी जिंदगी की संध्यावेला गुजारना काफी मुश्किल है. ईपीएस-95 कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की कर्मचारी पेंशन योजना है. ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना), 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है. वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है. आगे मथुरा की सांसद ने पत्र में लिखा है, कि वह पेंशनधारकों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंप चुकी हैं. हेमा मालिनी ने पत्र में यह भी लिखा,कि ईपीएस राष्ट्रीय संघर्ष समिति के जनप्रतिनिधि मेरे पास बार-बार आए और मैं इनकी हालत देखकर बहुत व्यथित हूं. उन्होंने श्रम मंत्री से बुजुर्ग पेंशनरों की मांग पर गौर करने और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने की अपील की है. इस संदर्भ में राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राऊत ने कहा, ईपीएस 95 पेंशनधारक बहुत ही अल्प पेंशन राशि मिलने के कारण अत्यंत दयनीय व मरणासन्न अवस्था में जीवन जी रहे हैं व पेंशनधारक होने के नाते, वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं. हेमा मालिनी जी व प्रधानमंत्री जी ने हमारी करुणा भरी पुकार को सुना, इसके लिए संगठन उनके प्रति कृतज्ञ है.अब हम 65 लाख पेंशनधारक व उनके परिवार के सदस्यों की निगाहें आशा भरी नजरों से प्रधानमंत्री जी पर टिकी हैं. राउत ने बयान में दावा किया कि ईपीएस राष्ट्रीय संघर्ष समिति 65 लाख ईपीएस-95 पेंशन धारकों का प्रतिनिधित्व करती है. बुजुर्ग पेंशनधारक महीने में गुजारे लायक पेंशन को लेकर कई वर्षों से आंदोलन चला रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘संगठन के मुख्यालय महाराष्ट्र के बुलढाणा में मांगों के समर्थन में पिछले कई वर्षों से क्रमिक अनशन चल रहा है. राउत ने कहा कि माननीय सांसद के पत्र के बाद बुजुर्ग पेंशन भोगियों को अपने साथ इंसाफ होने की आस जगी है. राउत ने यह भी कहा कि पेंशनधारक अपनी मांग प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिये ‘एक पत्र प्रधानमंत्री के नाम और एनएसी शहीदों के नाम एक वृक्ष रोपण’ के नाम से अभियान चला रहे हैं. ईपीएस-95 कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की कर्मचारी पेंशन योजना है.ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना), 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल वेतन और महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है. वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है. ईपीएस- 95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति (एनएसी) के अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत (सेवानिवृत्त) का दावा है, ‘‘ तीस - तीस साल काम करने और ईपीएस आधारित पेंशन मद में निरंतर योगदान करने के बाद भी कर्मचारियों को मासिक पेंशन के रूप में अधिकतम 2,500 रुपये ही मिल रहे हैं. इससे कर्मचारियों और उनके परिजनों का गुजर - बसर करना कठिन है. फिलहाल ये है नियम आपको बता दें कि जिस दिन भी हम नौकरी ज्वाइन करते हैं तो से सदस्य बन जाते हैं. कर्मचारी अपनी सैलरी का 12 प्रतिशत हिस्सा में देता है, इतनी ही रकम उसकी कंपनी की ओर से भी दी जाती है, लेकिन इसमें से एक हिस्सा 8.33 परसेंट में भी जाता है. जैसा कि हमने ऊपर बताया कि अभी पेंशन योग्य वेतन अधिकतम 15 हजार रुपये ही है, मतलब कि हर महीने पेंशन का हिस्सा अधिकतम (15,000 का 8.33 प्रतिशत) 1250 रुपये होता है. साथ ही जब कर्मचारी रिटायर होता है तब भी पेंशन की गणना करने के लिए अधिकतम वेतन 15 हजार रुपये ही माना जाता है, इस हिसाब से एक कर्मचारी के तहत अधिकतम पेंशन 7,500 रुपये ही पा सकता है. अब इसे बढ़ाने की बात चल रही है. यदि 15000 रुपए की लिमिट खत्म होती है तो आपकी पेंशन लगभग दोगुनी आपके हाथ में पहुंचेगी. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. |
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