मुंगेरी लाल की 21वीं पुण्यतिथि

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मुंगेरी लाल की 21वीं पुण्यतिथि

आलोक कुमार 

पटना: मुंगेरीलाल के हसीन सपने अपने समय का बहुत चर्चित सीरियल हुआ करता था. यह इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग दिन में सपने देखने वालों  के लिए एक वाक्यांश के रूप में इसका प्रयोग करने लगे.मुंगेरीलाल के हसीन सपने एक मुहावरा बन गया है, जो दिन में सपने देखने वालों या खुली आँखों से सपने देखने वालों के लिए उपयोग होता है. मुंगेरीलाल सीरियल 1989 के समय दूरदर्शन चैनल पर आना शुरू हुआ था. 

स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा स्व. मुंगेरी लाल जी की 21वीं पुण्यतिथि है.इस अवसर पर मुंगेरी बाबू के पौत्र कुमार गौरव उर्फ सोनू ने कहा कि श्री मुंगेरी लाल जी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई एवं कई बार जेल गए.1952 में पटना पश्चिम विधान सभा क्षेत्र से चुन कर बिहार विधान सभा के सदस्य बने. 1952 से 1977 तक लगातार विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्य रहे एवं बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में अपना दायित्व निभाया.मुंगेरी बाबू बिहार में गठित पहले पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष रहे.यह आयोग मुंगेरी लाल आयोग के नाम से जाना जाता है. मुंगेरी लाल आयोग रिपोर्ट सामाजिक न्याय पर एक अति विस्तृत अध्ययन है.इस रिपोर्ट के माध्यम से मुंगेरी लाल जी ने सामाजिक स्थिति का संज्ञान लेते हुए अनेक अनुसंशायें की थी जो सिर्फ उस समय की सामाजिक परिस्थिति ही नही बल्कि आज के समाज एवं सामाजिक न्याय के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है.उन्होंने रिपोर्ट में समाज के पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की अनुशंसा की एवं साथ ही सामान्य वर्ग के निर्धन एवं महिलाओं के लिए भी आरक्षण की अनुशंसा की जो आज भी समाज की आवश्यकता है. मुंगेरी बाबू बिहार दलित वर्ग संघ एवं बिहार खेतिहर मजदूर संघ के भी अध्यक्ष रहे.उनके जीवन का मूल मंत्र सादा जीवन उच्च विचार रहा.मुंगेरी लाल जी प्रखर गांधीवादी थे. वे पटना स्थित गांधी संग्रहालय से जीवन पर्यंत जुड़े रहे. बिहार स्वतंत्रता सेनानी संघ के अध्यक्ष के रूप में भी अपना दायित्व निभाया.


वहीं 2014  (दिसम्बर माह) को बिहार विधान परिषद में विधान पार्षद दिलीप कुमार जायसवाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिये कुर्जी ग्राम का नाम बदलकर मुंगेरी ग्राम करने का प्रस्ताव में पेश किया था. इसके आलोक में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुंगेरी ग्राम का ऐलान विधान परिषद में कर दिये थे.तब श्री जायसवाल ने कहा था कि मुंगेरी लाल प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और राज्य के मंत्री रहे.वे कुर्जी के निवासी थे. स्वतंत्रता आंदोलन में वे जेल भी गए. परिषद में तब के नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने भी इस मांग का समर्थन किया. रामवचन राय समेत कई अन्य ने भी इसका समर्थन किया. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि यह बात सही है कि मुंगेरी लाल बड़े नेता और गरीबों के मसीहा थे. सदन और विपक्ष के नेता की भावना को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कुर्जी का नामकरण मुंगेरी ग्राम करने की घोषणा कर दिये.जो आजतक मुंगेरी ग्राम नहीं हो सका.


इस ऐलान से लोग खुश हुए.आसपास के लोग पूर्व मंत्री मुंगेरी लाल के परिजनों को मुबारकवाद देने लगे.इसके बाद सरकार से परिजनों ने पिछड़ी जाति के मुंगेरी आयोग के अध्यक्ष मुंगेरी लाल की प्रतिमा लगाने की मांग करने लगे.परिजनों ने कहा कि यह कोई जरूरी नहीं है कि उनकी प्रतिमा मुंगेरी ग्राम में ही लगे.राजधानी के किसी हिस्से में लगायी जा सकती है.


इस संदर्भ में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह ने कहा है कि बिहार विधान परिषद में  2014 में (दिसम्बर माह) में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा कुर्जी मोहल्ला को मुंगेरी ग्राम बनेगा.वहीं राजधानी में  स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री की प्रतिमा नहीं लगायी जा सकी है.उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री का परिवार व कुर्जी मोहल्ला के लोग दुखित है.


बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह ने खुलासा किया कि सदाकत आश्रम स्थित डाकघर में 2014 के बाद से 8 वर्षों में मुंगेरी ग्राम का पता से लेटर न आया और न ही गया है.इसका मतलब सारी प्रक्रिया कागज में ही सिमटकर रह गयी.उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह हैं कि आप पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा को पूर्ण कर दें. कुर्जी मोहल्ला का नाम बदलकर मुंगेरी ग्राम घोषित कर दें.यह स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. 


सादगी के प्रतिमूर्ति स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल का जन्म स्थल

कुर्जी ग्राम है.उनका जन्म 01 जनवरी 1904 को हुआ था. उनका कुर्जी में एक तल्ला मकान है. सरकार के द्वारा सवा कट्टा जमीन मिली है कोटिल्य नगर में.बस यही संपति है मुंगेरी बाबू का. उनका पौ़त्र कुमार गौरव उर्फ सोनू है.यह सोचकर बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी में गये थे कि भविष्य उज्जवल होगा. परन्तु वहां तो अंधेरा ही छाने लगा. 15 साल लालू और राबड़ी जी की सरकार और 15 साल नीतीश और सुशील जी का राज.इसके आलोक में कुमार गौरव का कांग्रेस से ही मोहभंग हो गया. 



प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री मुंगेरी लाल की 21वीं पुण्यतिथि आज प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में मनाई गयी.समारोह की अध्यक्षता बिहार प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डा0 मदन मोहन झा ने की.


इस अवसर पर डा0 मदन मोहन झा ने कहा कि स्व0 मुंगेरी लाल उच्च कोटि के स्वतंत्रता सेनानी एवं समाज सुधारक थे. राज्य सरकार के मंत्री के रूप में उन्होंने दलितों के विकास की कई योजनाएँ चलायीं.पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने जो रिपोर्ट पेश की उसी के आधार पर आज तक बिहार में पिछड़ों एवं अति पिछड़ों के लिये आरक्षण की व्यवस्था है.

डा0 झा ने कहा कि स्व0 मुंगेरी लाल बड़े ईमानदार थे तथा सादा जीवन उच्च विचार के वे प्रतीक थे. आज कृतज्ञ राज्य उनके योगदान को स्मरण कर उनकी स्मृति को शत-शत नमन करती है.इसके पूर्व मुंगेरी लाल के चित्र पर माल्यार्पण किया गया.


इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के चेयरमेन राजेश राठौड़, पूर्व विधायक प्रमोद कुमार सिंह, लाल बाबू लाल, कुमार आशीष, अरविन्द लाल रजक, चुन्नू सिंह, अनोखा सिंह,  प्रदुम्न कुमार यादव, मंजीत आनन्द साहू, मृणाल अनामय, निधि पाण्डेय, ई0 कमलेश, निरंजन कुमार, राणा अजय सिंह, रीना देवी रागिनी, आयुष भगत, हसीब खान सहित कांग्रेसजनों ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की.

बताते चले कि पिछड़ा आयोग का अध्यक्ष मुंगेरी लाल थे.राजनीतिज्ञों ने मुंगेरी बाबू को पूर्ण रूप से सम्मान नहीं दिया. आजतक मुंगेरी बाबू के जन्म स्थल कुर्जी ग्राम का नाम परिवर्तन कर मुंगेरी ग्राम नहीं कर सके. इसे परिवार वाले मुंगेरी लाल का हसीन सपना करार देते हैं. स्थानीय कुर्जी मोहल्ला को अब मुंगेरी ग्राम कहलाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 2014 में (दिसम्बर माह) विधान परिषद में इसकी घोषणा की थी. विधान पार्षद दिलीप जायसवाल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मांग सदन में उठाई थी.उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सदन में मौजूद थे. श्री जायसवाल ने कहा था कि मुंगेरी लाल प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और राज्य के मंत्री रहे. वे कुर्जी के निवासी थे. स्वतंत्रता आंदोलन में वे जेल भी गए। जिसकी अकाल मौत हो गयी.उसे क्रियान्वित नहीं किया गया.

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