अग्निपथ योजना के विरोध में राष्ट्रपति से मिले कांग्रेसी

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अग्निपथ योजना के विरोध में राष्ट्रपति से मिले कांग्रेसी

आलोक कुमार

दिल्ली: कांग्रेस के एक सात सदस्यीय वरिष्ठ नेताओं का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उनके सामने राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पार्टी के कुछ सांसदों के साथ दिल्ली पुलिस के कथित दुर्व्यवहार तथा 'अग्निपथ' योजना का मुद्दा उठाया.                                                                                                    

सोमवार को भी 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का भारत के युवाओं के समर्थन में सत्याग्रह जारी रहा.बिहार से अल्पसंख्यक विभाग के उपाध्यक्ष सिसिल साह भी जमकर जंतर मंतर पर सत्याग्रह में भाग लिये.             


 इससे पहले कांग्रेस के 50 से अधिक सांसदों ने संसद भवन में एक मीटिंग की.कांग्रेस नेताओं ने केंद्र की अग्निपथ भर्ती योजना के खिलाफ विजय चौक से राष्ट्रपति भवन की ओर एकजुटता मार्च किया.जहां उन्हें दिल्ली पुलिस ने रोक दिया.बावजूद, इसके कांग्रेसी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपा.सांसदों ने कहा कि योजना को  वापस लिया जाना चाहिए.सांसदों ने पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के विरोध में पुलिस द्वारा पार्टी सांसदों के साथ कथित दुर्व्यवहार का मुद्दा उठाया.


राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राज्यसभा में नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राष्ट्रपति जी को दो ज्ञापन सौंपे. एक ज्ञापन ‘अग्निपथ’ को लेकर था.दूसरा ज्ञापन पुलिस ने हमारे सांसदों एवं नेताओं के साथ जो व्यवहार किया, उसको लेकर था.      

                     

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम अग्निपथ भर्ती योजना और सांसदों के खिलाफ पुलिस अत्याचार के मुद्दों पर राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा. अग्निपथ योजना पर, हमने राष्ट्रपति से कहा है कि इस पर न तो किसी समिति से चर्चा हुई और न ही संसद में पेश किया गया, हमने कहा कि यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है.राष्ट्रपति से इस पर विचार करने को कहा गया है.


कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि दूसरा ज्ञापन कांग्रेस नेताओं पर पुलिस अत्याचार को लेकर है. हमने राष्ट्रपति से इसकी जांच कराने और मामले को संसदीय विशेषाधिकार समिति को भेजने को कहा है. उन्होंने कहा कि समिति में हम अपना मामला पेश करेंगे और दिल्ली पुलिस और एमएचए को अपना मामला पेश करने देंगे.समिति को तय करने दें कि उल्लंघन हुआ है या नहीं. राष्ट्रपति ने हमें आश्वासन दिया है कि वह इस पर गौर करेंगे और इसे सरकार के सामने उठाएंगे.                               

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘हमने आग्रह किया है कि ‘अग्निपथ’ योजना को वापस लिया जाए तथा सशस्त्र बलों के कल्याण के साथ कोई समझौता किए बिना गुणवत्ता, कार्यक्षमता और आर्थिक स्थिति जैसे मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो तथा उनके निदान हो.’’ कांग्रेस ने ज्ञापन के माध्यम से यह भी कहा कि वह सांसदों पर दिल्ली पुलिस के ‘निंदनीय एवं अकारण हमले’ को लेकर विरोध जताती है तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विशेषाधिकार के हनन को लेकर विशेषाधिकार समिति की समयबद्ध जांच हो.


कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, जयराम रमेश और के सी वेणुगोपाल शामिल थे.


कांग्रेस इन मुद्दों को संसद के आगामी मानसून सत्र में भी उठाने का मन बना लिया 


कांग्रेस सांसदों के साथ दुर्व्यवहार, अग्निपथ योजना समेत अन्य मुद्दों को मानसून सत्र में उठाने के लिए कांग्रेस ने मन बना लिया है.राष्ट्रपति से मिलने के बाद कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल सीनियर लीडर पी.चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस संसद के आगामी मानसून सत्र में मुद्दों को उठाएगी. उन्होंने कहा कि पुलिस कर्मियों द्वारा कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं पर ज्यादती की हदें पार कर ली गई थी.सांसदों पर हमला किए जाने का बिल्कुल कोई औचित्य नहीं था. हम एक शांतिपूर्ण सत्याग्रह का मंचन कर रहे थे. हमारे हाथों में पत्थर नहीं थे, हमारे पास लाठी नहीं थी, हम पथराव में शामिल नहीं थे, हम केवल नारे लगा रहे थे और अपने नेता के साथ अपनी एकजुटता दिखा रहे थे. सांसद और अन्य लोगों के साथ मारपीट की गई और उनके साथ हाथापाई की गई.उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों को बिना आदेश के 40-50 किलोमीटर दूर ले जाया गया, किसी भी सांसद को गिरफ्तारी या नजरबंदी का कोई आदेश नहीं दिया गया.चिदंबरम ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से विशेषाधिकार का उल्लंघन है और अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और हमने राष्ट्रपति से इसकी जांच कराने और मामले को विशेषाधिकार समिति को भेजने के लिए कहा है.


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