आलोक कुमार
पटना.जो कयास लगाया जा रहा था,वह आज धरातल पर सामने आ ही गया.केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह को राज्यसभा नहीं भेजने का निश्चय जेडीयू ने कर दिया.हालांकि पिछले 28 सालों से नीतीश कुमार के साथ आरसीपी सिंह हैं तो वहीं ललन सिंह उनसे भी पहले से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. हालांकि बीच में ललन सिंह जरूर विद्रोही हो गए थे. इसके बावजूद ललन सिंह की नीतीश कुमार से नजदीकियां को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. केंद्र में जब से आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं, तब से ललन सिंह उनसे नाराज हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव से लेकर पार्टी के कई कार्यक्रमों को लेकर भी विरोधाभास दोनों नेताओं का सामने आ चुका है.
इस बीच आरसीपी यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह ( RCP Singh ) जेडीयू छोड़ चुके हैं? इस सवाल का जवाब फिलहाल आरसीपी के अलावा जेडीयू ही दे सकती है, लेकिन आरसीपी की सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर देखने से तो यही लगता है कि अब वे जेडीयू में नहीं हैं! आरसीपी के ट्विटर प्रोफाइल में सब कुछ लिखा हुआ है, सिर्फ पार्टी छोड़कर. ऐसे में सवाल उठता है कि आरसीपी ने प्रोफाइल से पार्टी का नाम क्यों हटा दिया? क्या वे पार्टी छोड़ रहे हैं या छोड़ चुके हैं?
बता दें कि 24 मई से राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन शुरू हो गया है. इस बीच आरसीपी सिंह ने अपने ट्विटर प्रोफाइल से जेडीयू का नाम हटा दिया है. उनके ट्विटर प्रोफाइल कवर फोटो में आजादी का अमृत महोत्सव वाली फोटो है और यहां से भी जेडीयू नदारद है.
आरसीपी सिंह (62) को जेडीयू में नीतीश के सर्वाधिक भरोसेमंद नेताओं में गिना जाता है. राजनीति में आने से पहले वह सिविल सर्विसेज में थे और नीतीश सरकार में प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. राजनीति में आने से पहले उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रह चुके हैं. उन्होंने 2010 में सिविल सर्विसेज से सेवानिवृत्ति ले ली, जिसके बाद वह सक्रिय राजनीति में उतर आए और जेडीयू से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए. आरसीपी सिंह की एक और पहचान बिहार में दबंग आईपीएस अधिकारी और लेडी सिंघम के नाम से चर्चित 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी लिपि सिंह के पिता के तौर पर भी है.
बता दें कि लिपि सिंह उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच अक्टूबर में बिहार के मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग और भीड़ पर लाठीचार्ज के बाद प्रशासन निशाने पर आ गया था. इस घटना में एक व्यक्ति की जान चली गई थी, जबकि कुछ पुलिसकर्मियों सहित 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे. घटना का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें पुलिसकर्मियों को भीड़ पर लाठीचार्ज करते देखा गया.
इस घटना के बाद राज्य की राजनीति में भी भूचाल आ गया था.कभी मुंगेर की 'लेडी सिंघम' के नाम से चर्चित एसपी लिपि सिंह को सोशल मीडिया पर किसी ने 'जनरल डायर' कहा तो उनके निलंबन और बर्खास्तगी की मांग भी उठी.विपक्ष ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लिपि सिंह के पिता के करीबी रिश्ते के कारण सरकार का रुख उन्हें लेकर नरम रहा. आरोप यह भी है कि आईएएस लॉबी में मजबूत पकड़ के कारण आरसीपी सिंह अपनी बेटी को बिहार में पोस्टिंग दिलाने में कामयाब रहे. लिपि सिंह बाढ़ अनुमंडल में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के तौर पर काम करते हुए इलाके के बाहुबली नेता और निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी चर्चा में आई थीं.
अब सवाल उठ रहा है कि राज्यसभा टिकट नहीं मिलने से अब आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बने रहेंगे? बताया जाता है कि जेडीयू ने उन्हें राज्य की राजनीति में स्थापित करने का ऑफर दिया है. सूत्रों के मुताबिक आरसीपी सिंह केद्रीय मंत्रिमंडल से हटने के बाद उन्हें विधान परिषद के रास्ते राज्य में मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि अभी तक इस बारे में पार्टी की ओर औपचारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है.
फिलहाल किसी ने ठीक ही कहा है कि सियासत कभी किसी की सगी न हुई है और न ही होगी. कब सबसे वफादार दोस्त छोड़कर चला जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. नीतीश कुमार और आरसीपी के संबंध में अताउल्लाह खान की गाई नज्म 'अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का' इस वक्त सबसे सटीक बैठ रहा है.
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