बाबरी मस्जिद की राह पर ज्ञानवापी

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बाबरी मस्जिद की राह पर ज्ञानवापी

हिसाम सिद्दीकी

वाराणसी! मजहबी मकामात से मुताल्लिक 1991 में पार्लियामेंट से मंजूर शुदा एक्ट को नजरअंदाज करते हुए बनारस के सिविल जज सीनियर डिवीजन ने ज्ञानवापी मस्जिद और श्रंगार गौरी के सर्वे का आर्डर दे दिया था अब उसपर अमल हो रहा है.  सर्वे और फोटोग्राफी के पहले ही दिन ज्ञानवापी के लिए उस वक्त खतरा पैदा हो गया जब फोटोग्राफर गणेश शर्मा ने बाहर निकल कर मीडिया नुमाइंदों से कह दिया कि अंदर मस्जिद की एक दीवार पर ‘स्वास्तिक’ के दो निशान मिले हैं.  मतलब साफ है कि ज्ञानवापी मस्जिद भी अब बाबरी मस्जिद के रास्ते पर पहुंचा दी गई है.  अब एक और मतालबा किया गया है कि मस्जिद के तहखाने का भी सर्वे कराया जाए.  काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी रहे व्यास कुन्बे के एक शख्स का दावा हे कि मस्जिद के तहखाने में मदिर से मुताल्लिक कई चीजें मौजूद हैं.  इस लिए तहखाने को खोलकर उसका पूरी तरह मुआइना और सर्वे होना चाहिए.  काशी विश्वनाथ कोरिडोर बन जाने के बाद से मंदिर और मस्जिद के पास छः दिसम्बर को अयोध्या के तर्ज पर बड़ी भीड़ इकट्ठा करना आसान हो गया है.  इलाके के जुगराफिया से वाकिफ कुछ लोगों का कहना है कि मस्जिद के तहखाने में मंदिर से मुताल्लिक सामान जरूर बरामद होगा अगर अंदर सामान मौजूद न हुआ तो भी बरामद करा दिया जाएगा यह कोई मुश्किल काम नहीं है.  जहां तक भीड़ या कारसेवकों के इकट्ठा होने का सवाल है वह अभी से शुरू हो गया है जुमे के दिन जब अदालती आर्डर के मुताबिक कमीशन के कमिशनर अजय कुमार मिश्रा की कयादत में सर्वे टीम मस्जिद पर पहुंची तो वहां बड़ी तादाद में इकट्ठा लोगों ने ‘हर-हर महादेव’ की नारेबाजी शुरू कर दी.  मौके पर पहुंचे मुसलमानों ने भी ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाए. 

बैरिकेटिंग और मस्जिद के अंदर सर्वे न कराए जाने के लिए एक मामला सिविल जज की अदालत में दोबारा पहुंचा था.  बारह मई को अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सर्वे जारी रहेगा.  बैरिकेटिंग और मस्जिद के अंदर भी पूरा सर्वे होगा.  अदालत ने सर्वे कमिशनर अजय कुमार मिश्रा को हटाया नहीं जाएगा उनके साथ दो मजीद एडवोकेट्स विशाल सिंह और अजय प्रताप को सर्वे कमिशनर की हैसियत से टीम में शामिल किया गया है.  इस सर्वे की निगरानी डीएम करेंगे और सत्रह मई तक अदालत में सर्वे रिपोर्ट दाखिल करना होगा.  उधर मथुरा में ईदगाह मस्जिद और कृष्ण जन्म भूमि के तनाजे में मथुरा की अदालत में पेंडिंग अपीलों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा कोर्ट को आर्डर दिया है कि चार महीनों के अंदर सभी पटीशन्स की सुनवाई पूरी करके उनका निबटारा करें.  सर्वे टीम में मस्जिद कमेटी का कोई नुमाइंदा शामिल नहीं किया गया है. 

वाराणसी के सिविल जज की अदालत के फैसले के मुताबिक सर्वे शुरू किया गया लेकिन सर्वे टीम में मस्जिद कमेटी की कोई नुमाइंदगी न होने की वजह से मुसलमानों, उनके हामियां और मस्जिद कमेटी के लोगों ने इसपर सख्त एतराज किया.  दूसरे दिन जब सर्वे टीम मौके पर पहुंची तो मस्जिद कमेटी के लोग गेट पर खड़े हो गए और टीम को अंदर नहीं जाने दिया.  मस्जिद कमेटी के लोगों का यह भी कहना था कि सिविल जज के आर्डर में श्रंगार गौरी के सर्वे की बात है, लेकिन उस आर्डर में मस्जिद के सर्वे का आर्डर नहीं किया गया है.  सर्वे टीम को रोके जाने के वक्त मौके पर काफी कशीदगी भी पैदा हो गयी, दोनों तरफ से जमकर नारेबाजी की गईं सर्वे टीम में वह वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन भी शामिल थे जिन्होने छः दिसम्बर 1992 को भीड़ के हाथों तोड़ी गई बाबरी मस्जिद के मामले में बने लिब्राहम कमीशन के सामने विश्व हिन्दू परिषद की नुमाइंदगी की थी.  ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे टीम में इन दोनों के शामिल होने से मस्जिद कमेटी के लोगों को शक था कि यह वकील मस्जिद के अंदर मंदिर के निशानात और आसार पाया जाना गढ सकते हैं.  इसलिए सर्वे टीम में मस्जिद कमेटी की नुमाइंदगी होना जरूरी है.  गणेश शर्मा नाम के जिस फोटोग्राफर ने अदालत में रिपोर्ट दाखिल किए जाने से पहले ही मीडिया नुमाइंदों से कह दिया कि मस्जिद की दीवार पर स्वास्तिक के निशान पाए गए हैं उसके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह भी एक अहम सवाल है. 

सर्वे टीम के पहुंचने के वक्त मौके पर मौजूद मस्जिद के बाहर मौजूद टीम ने ‘हर-हर महादेव’ के नारे लगाए तो जवाब में मस्जिद के हामियों ने भी ‘अल्लाहु अकबर’ के नारे लगाए.  पुलिस ने हर-हर महादेव के नारे लगाने वालों के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन दूसरी तरफ के मोहम्मद अब्दुल सलाम नाम के एक शख्स को मजहबी जुनून पैदा करने के इल्जाम में गिरफ्तार कर लिया.  अब्दुल सलाम मुगल सराय के दुलहीपुर के रहने वाले हैं.  जिस वक्त हंगामा और नारेबाजी हो रही थी शहर के कई जिम्मेदार सीनियर हिन्दू और मुसलमानों ने मौके पर पहुंच कर भीड़ को समझा-बुझा कर मौके से हटा दिया था. 

अंजुमन इस्लामिया मस्जिद ज्ञानवापी के ओहदेदारों का यह भी कहना था कि सर्वे के आर्डर में यह तो कहा गया कि मुतनाजा आराजी नम्बर 9130 का सर्वे किया जाए लेकिन इस आराजी नम्बर की न तो  चौहद्दी बताई गई और न ही रकबा, इसलिए यह कहना कि आराजी नम्बर 9130 कहां है और कहां तक है सही कैसे हो सकता है.  हदबरारी की कार्रवाई हो या सर्वे और नापजोख की जब ऐसी कोई कार्रवाई कराई जाती है तो आर्डर में सर्वे वाली आराजी की चौहद्दी भी दर्ज की जाती है.  मस्जिद कमेटी का यह भी कहना था कि आर्डर में बैरिकेटिंग का कोई जिक्र नहीं है न यह कहा गया कि बैरिकेटिंग के बाद मस्जिद में जाकर सर्वे किया जाना है.  इसके बावजूद सर्वे कमिशनर अजय कुमार मिश्रा ने मस्जिद के अंदर जाकर सर्वे करने की जिद करके साबित कर दिया कि उनकी कयादत मे होने वाले सर्वे की कार्रवाई ईमानदाराना और गैरजानिबदाराना नहीं हो सकती है. 

याद रहे किब 1991 में पार्लियामेंट ने एक एक्ट पास किया था जिसमें कहा गया था कि एक अयोध्या में बाबरी मस्जिद/राम जन्म भूमि के अलावा देश के तमाम मजहबी मकामात उसी शक्ल में बरकरार रखे जाएंगे जिस शक्ल और हालत में वह पन्द्रह अगस्त 1947 को थे.  मजहबी मकामात की पन्द्रह अगस्त 1947 की पोजीशन तब्दील करने या उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई कानूनन जुर्म होगा.  इस एक्ट के बावजूद वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन ने श्रंगार गौरी के सर्वे का आर्डर दे दिया जिसका अस्ल मकसद यह साबित करना है कि ज्ञानवापी मस्जिद दरअस्ल मंदिर तोड़ कर उसकी जगह पर बनाई गई थी.  इसी किस्म की कोशिशें मथुरा में कृष्ण जन्म भूमि और ईदगाह मस्जिद के सिलसिले में भी चल रही है.  विश्व हिन्दू परिषद किसी भी कीमत पर वाराणसी और मथुरा की मस्जिदें हटाकर मंदिरों की तौसीअ करना चाहती है.  अब परिषद को सरकार की मदद भी हासिल है. 


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