मध्यप्रदेश भाजपा में महाराजा का उदय

गोवा की आजादी में लोहिया का योगदान पत्रकारों पर हमले के खिलाफ पटना में नागरिक प्रतिवाद सीएम के पीछे सीबीआई ठाकुर का कुआं'पर बवाल रूकने का नाम नहीं ले रहा भाजपा ने बिधूड़ी का कद और बढ़ाया आखिर मोदी है, तो मुमकिन है बिधूड़ी की सदस्य्ता रद्द करने की मांग रमेश बिधूडी तो मोहरा है आरएसएस ने महिला आरक्षण विधेयक का दबाव डाला और रविशंकर , हर्षवर्धन हंस रहे थे संजय गांधी अस्पताल के चार सौ कर्मचारी बेरोजगार महिला आरक्षण को तत्काल लागू करने से कौन रोक रहा है? स्मृति ईरानी और सोनिया गांधी आमने-सामने देवभूमि में समाजवादी शंखनाद भाजपाई तो उत्पात की तैयारी में हैं . दीपंकर भट्टाचार्य घोषी का उद्घोष , न रहे कोई मदहोश! भाजपा हटाओ-देश बचाओ अभियान की गई समीक्षा आचार्य विनोबा भावे को याद किया स्कीम वर्करों का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न क्या सोच रहे हैं मोदी ?

मध्यप्रदेश भाजपा में महाराजा का उदय

प्रवीण मल्होत्रा  

मध्यप्रदेश की राजधानी की 'लुटियंस हिल' यानी श्यामला हिल्स पर ग्वालियर के भूतपूर्व महाराजा का महल सज कर तैयार हो गया है और ग्वालियर रियासत के राजपुरोहित ने गृहप्रवेश का कार्य भी सम्पन्न कर दिया है.  राजनीतिक क्षेत्रों में इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि ग्वालियर रियासत के उत्तराधिकारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश की राजनीति में न सिर्फ औपचारिक रूप से प्रवेश कर लिया है, बल्कि उन्होंने मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनने के लिये कमर भी कस ली है.  इस राजनीतिक घटनाक्रम से तीन बातें मोटे तौर पर उभर रही हैं :

पहली बात तो यह कि हमारे प्रदेश की जनता राजा-महाराजाओं के प्रभामण्डल से आजादी के 75 साल बाद और लोकतांत्रिक संविधान को अपनाने के 72 साल बाद भी मुक्त नहीं हो पायी है. 

दूसरा यह कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय और प्रभावशाली नेता थे जिन्हें कांग्रेस के दो बुड्ढों ने षडयंत्र कर अपनी औलादों की खातिर पार्टी से बाहर करवा दिया था. 

तीसरा, यह कह कि, यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला विधानसभा चुनाव "सिंधिया वि. कमलनाथ'' होने वाला है.  इस सम्बन्ध में मुझे यह लिखने में कोई हिचक नहीं है कि 2023 का विधानसभा चुनाव कमलनाथ और दिग्विजयसिंह की राजनीतिक पारी को समाप्त कर देगा और उसके बाद इन्हें इनकी पार्टी में भी कोई पूछेगा तक नहीं.  

इन दोनों बुड्ढों ने बहुत चालाकी और मक्कारी के साथ प्रदेश में कांग्रेस के युवा नेतृत्व को उभरने नहीं दिया है ताकि इनके बाद उनकी राजनीतिक विरासत इनके बेटों को मिल जाये.  पुत्र मोह ने ही दिग्विजयसिंह को अपने भाई लक्ष्मणसिंह से भी दूर कर दिया है.  ये दोनों खुद तो डूबेंगे ही, मध्यप्रदेश में कांग्रेस को भी डुबो देंगे.  

2019 के चुनाव में कांग्रेस को 40% वोट मिले थे.  यह वोट प्रतिशत निश्चितरूप से धरातल की ओर ही जाने वाला है.  मध्यप्रदेश में यदि अन्य राज्यों की तरह तीसरा विकल्प होता तो कांग्रेस की और बुरी हालत होती.  लेकिन यहां मजबूरी यह है कि जो मतदाता बीजेपी से असंतुष्ट हैं, उन्हें मन मार कर कांग्रेस को ही वोट देना पड़ता है.  क्योंकि उनके समक्ष अन्य कोई विकल्प नहीं है. 


  • |

Comments

Subscribe

Receive updates and latest news direct from our team. Simply enter your email below :