रणनीतिकार प्रशांत कुमार से अशांत हो चुके हैं राजनीतिज्ञ

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रणनीतिकार प्रशांत कुमार से अशांत हो चुके हैं राजनीतिज्ञ

आलोक कुमार

पटना.रोहतास जिले के कोनार गाँव के रहने वाले हैं राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर. उनके पिता श्रीकांत पांडे एक डॉक्टर थे, जो बक्सर में स्थानांतरित हो गए.वहाँ, किशोर ने अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की.जन्म के 45 साल में प्रशांत कथित तौर पर स्वतंत्र रूप से काम कर रहे हैं, और भाजपा या गुजरात सरकार में किसी भी कार्यालय को पकड़े बिना, किशोर भाजपा के चुनाव-पूर्व अभियान में प्रमुख रणनीतिकारों में से एक बन गए.कम ही समय में पीके प्रसिद्धि के कारक बन बैठे.2014 में भारतीय आम चुनाव,2015 में बिहार विधान सभा चुनाव,2017 में उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव,2019 आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव और 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव (टीएमसी की बड़ी जीत के नायक) में रणनीतिकार करतब दिखा चुके हैं.इस बीच वह 16 सितंबर 2018 को जनता दल (यूनाइटेड) के राजनीतिक दल में शामिल हो गए.यहां से संबंध विच्छेद होने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के संपर्क में चले गये.यहां पर पीके ठहरे नहीं.


तब जाकर प्रशांत किशोर ने बिहार से जन सुराज अभियान का ऐलान किया किया.दो अक्टूबर से पश्चिम चंपारण से पदयात्रा की शुरूआत करेंगे. पीके कहते हैं कि तीन हजार किलोमीटर पदयात्रा के दौरान 17-18 हजार लोगों से मिलने की आवश्यकता होगी उनसे मुलााकत करूंगा और उन्हें जनसुराज की परिकल्पना से जोड़ने का प्रयास करूंगा.                               

पीके ने फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से इंकार किया है. हालांकि उन्होंने कहा कि अभी तक 17 से 18 हजार लोगों को चिह्नित किया गया है, एक महीने में इनकी संख्या 20 हजार भी हो सकती है. इन लोगों से मिलकर, बैठक कर आगे की योजना तय की जाएगी कि राजनीतिक पार्टी बनानी है कि मंच बनाना है या ऐसे ही रहना है. उन्होंने इतना जरूर कहा कि जो भी होगा उसमें मैं एक सदस्य रहूंगा. वह पार्टी प्रशांत किशोर की नहीं होगी.


इस बीच बिहार से प्रशांत किशोर ने जन सुराज अभियान का ऐलान किया किया है.वह सत्ताधारी गठबंधन के निशाने पर आ गए हैं. बिहार एनडीए में शामिल तमाम राजनीतिक दलों ने प्रशांत किशोर को जमकर खरी-खोटी सुनाई है.चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि पिछले तीन दशक से बिहार में लालू प्रसाद और नीतीश कुमार का राज रहा है. पहले 15 साल लालू ने राज किया और अब पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार की सरकार चल रही है.पर इन 30 वर्षों में बिहार नहीं बदला. उनके आरोपों पर अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटवार किया है.सीएम का कहना है कि बिहार में बहुत काम हुआ है और लोग इस बात को जानते हैं.सीएम नीतीश ने कहा, 'कौन क्या बोलता है इसका महत्व नहीं है. महत्व सत्य का है। बिहार में बहुत काम हुआ है, यह सब लोग जानते है.'


बीजेपी का हर एक नेता चुन–चुनकर पीके पर हमला बोल रहा है.ऐसे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जयसवाल ने प्रशांत किशोर पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है.बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने पीके को राजनीतिक धंधेबाज करार दिया है.संजय जायसवाल का कहना है कि जो आदमी कल तक राजनीतिक धंधा करता था राजनीति में आ रहा है.उन्होंने कहा कि पहली बार हुआ है कि कोई राजनीतिक धंधेबाज, जिसका धंधा राजनीति हो वो अब आए हैं समाज के लिए काम करने के लिए. राजनीतिक धंधेबाज जानते हैं कि कैसे धंधा चलाना है. यह एक अच्छा प्रयोग है.ने फिलहाल राजनीतिक पार्टी बनाने से इंकार किया. 


बिहार सरकार के गन्ना उद्योग मंत्री सह विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने चुनावी रणनीतिकार पीके उर्फ प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि, लोकतंत्र में भागीदारी का हर व्यक्ति को अधिकार है. पहले प्रशांत किशोर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी थे. अब जनता लिमिटेड में जाना चाहते हैं तो जनता इसका निर्णय करेगी. भाजपा का अपना एजेंडा है, जो राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ हैं. भाजपा भारतीय संस्कृति पर आधारित पार्टी है. भाजपा एक भारत श्रेष्ठ भारत की सोच रखती है और न्याय के साथ विकास में विश्वास रखती है. 



आरजेडी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के 'बिहार मिशन' को लेकर तंज कसा है. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर प्रशांत किशोर के हमले का जवाब देते हुए आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि बिहार में सिर्फ तेजस्वी मॉडल चलेगा. उन्होंने कहा कि कमाई, दवाई, सिंचाई, कार्रवाई, पढ़ाई इसी में है जनता की भलाई. यही तेजस्वी मॉडल है. प्रशांत किशोर पूरे देश से घूमकर बिहार आए हैं. राजनीति में कोई भी आ सकता है. कोई भी राजनीतिक दल बना सकता है. हम लोगों को कोई दिक्कत नहीं है. प्रशांत किशोर को जनता गंभीरता नहीं लेती है और ना हम लोग उन्हें गंभीरता से लेते हैं. 


प्रशांत किशोर को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चंदन बागची ने कहा है कि राजनीतिक दलों के लिए रणनीति तैयार करना और इसे जमीन पर लागू करना पूरी तरह से अलग मामला है.प्रशांत किशोर की कोई निश्चित विचारधारा या सिद्धांत नहीं है.उन्होंने भाजपा के साथ शुरुआत की, फिर जेडीयू और कांग्रेस के लिए काम किया और बाद में तृणमूल कांग्रेस के साथ काम किया. बागची ने हालांकि उस जवाब को टाल दिया जब उनसे पूछा गया कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने प्रशांत किशोर से बीती रात गुपचुप तरीके से मुलाकात की.उन्होंने कहा कि इस बारे में मैं कुछ नहीं जानता हूं.और यदि ऐसा कुछ हुआ भी होगा तो वह कोई प्रतिबद्ध पार्टी कार्यकर्ता नहीं हो सकता.



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