कौन हैं अच्युत पटवर्धन ?

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कौन हैं अच्युत पटवर्धन ?

चंचल 

 उस जमाने की बात है , जब संचार के माध्यम , न इतने सहज उपलब्ध थे , न ही इतना तकनीकी विकास हुआ था .  न फ़ैक्स थे , न वाटसप , न ही मेल .   अख़बार , केवल अख़बार होते थे और उनके यहाँ जगह की कमी होती थी -                          “ ये खबर है ? “  और वह नही छपता था .  लेकिन यह खबर छपी -  

प्रसिद्ध समाजवादी नेता अच्युत पटवर्धन कल  विश्वविद्यालय आएँगे 

    “ आज “ अख़बार के तीसरे पेज पर जहाँ बनारस की खबरें रहती हैं वहाँ , अच्युत जी के विश्व विद्यालय आने की खबर को प्रमुखता से छापा है .  

   कौन हैं अच्युत पटवर्धन ? 

 कई  कक्षाओं में यह कुतूहल उठा ? उस जमाने में ( यह वाक़या है 77 का ) “ गूगल “ हुआ करते थे  - गुरु जी .  टीचर .  अध्यापक .  ये आज वाले  टीचर नही .  मूत पीते , गोबर खाते - पाथते , ऊँची तनखाह उठाते प्रोफ़ेसर सर नही होते थे .   खादी के कुर्ता धोती में पैदल , साइकिल से या ज़्यादा से ज़्यादा रिक्से पर चलते गुरु जी हुआ करते थे .  हरिहर गुरु ( डॉक्टर हरिहर नाथ त्रिपाठी ) डॉक्टर शिव प्रसाद सिंह , डॉक्टर के पी सिंह , डॉक्टर काशीनाथ सिंह , प्रो दीपक मलिक ,  डॉक्टर चौथिराम यादव , डॉक्टर सुकदेव सिंह , डॉक्टर राम  नारायण शुक्ला  आज़मी साहब , अनगिनत नाम रहे .  इनकी कक्षाएँ विश्वविद्यालय की इमारत में  ही नही चलती थी , डगर चलते , लंका चाय की दुकान पर हरिहर गुरु बोल रहे हैं बुद्ध के विस्तार पर . गुंनार  मिर्डल क्यों भारत समझने  में सफल नही होता ? “ करमनासा  की हार “ गली आगे मुड़ती है “ नीला चाँद का  लेखक डॉक्टर शिव प्रसाद सिंह मुह में पान दबाए हिंदी भवन के गेट पर खड़े गिरीश कर्नाड के नाटक “ तुग़लक़ “ के ऐतिहासिक तथ्यों की व्याख्या कर रहे हैं .  कुल दो छात्र थे  जिन्होंने सवाल उठाए थे .  श्रोता बढ़ते गये .  साइंस के डीन अग्रवाल साहब का रिक्सा रुक गया है , वायलिन की डॉक्टर यम राजन आकर चुपचाप खड़ी हो गयी हैं .  

      सवाल उठा था - कौन हैं ये अच्युत पटवर्धन ? 

पलक झपकते समूचे विश्वविद्यालय ने जान लिया , कौन है  पटवर्धन ? जंगे आज़ादी का अगली क़तार का सिपाही .  समाजवादी आंदोलन का अगुआ .  इसी काशी विश्व विद्यालय का पुराना छात्र .  पंडित जवाहर लाल नेहरु , जाय प्रकाश नारायण , डॉक्टर लोहिया का साथी .  मधुबन में खड़े डॉक्टर राम नारायण शुक्ला बता रहे हैं - दर्जनो ख़त लिखा पंडित नेहरु ने आज़ाद भारत के  पहले राजनयिक बन कर लंदन जाओ .  नही माने  पटवर्धन .  पंडित नेहरु ने जे पी को लिखा.  पटवर्धन  को किसी तरह मनाओ , इससे   बेहतर हमारे पास दूसरा कोई नाम नही है .  वही अच्युत पटवर्धन आ रहे हैं काशी विश्वविद्यालय छात्र संघ के मंच पर .  

     

     आज भाई Vinod Mall के पोस्ट से जानकारी मिली क़ि काशी विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसरान गोबर पाथ रहे हैं .  चपरी .  

 इस गुड़ के गोबर होने पर एक नास्टेलज़िया  .  मिलान की बात नही कर रहा .  विश्वविद्यालय कितना नीचे गिरा है ?  बस नापने की कोशिश भर है यह पोस्ट . 

     (चित्र में - बाएँ से डॉक्टर के पी सिंह ,  अच्युत पटवर्धन जी , दूसरे कोई अध्यापक नाम नही याद है , माइक पर हम .  स्वागत कर रहा हूँ अच्युत जी का .  )

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