आजादी का अमृत महोत्सव और गांधी

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आजादी का अमृत महोत्सव और गांधी

आलोक कुमार

मोतिहारी.आजादी का अमृत महोत्सव व गांधी विषय पर आज मोतिहारी स्थित गांधी स्मारक व संग्रहालय सभागार में एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया.जिसकी अध्यक्षता तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के गांधी विचार विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय ने किया. संचालन गांधी विचारक व सामाजिक कार्यकर्ता अज़हर हुसैन अंसारी ने किया

वहीं गाँधी विचार पर  शोधकर्ताओं का स्वागत  गांधियन सामाजिक कार्यकर्ता अमर ने की. इस अवसर पर जवाहरलाल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आनंद ने मोबाइल के जरिए अपने संबोधन में कहा कि देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है इस उत्सव में अगर महात्मा गांधी होते तो उनका क्या मूल्यांकन होता है आप सभी लोग सोच सकते हैं.उन्होंने कहा कि गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए हम सब को एकजुट होना पड़ेगा.गांधी के बताए रास्ते की अनुकूल चलना चाहिए.महात्मा गांधी ने चार स्तर की सरकार चाहते थे.केंद्र स्तर पर , राज्य स्तर पर हो, जिला स्तर पर हो और गांव स्तर पर सरकार की कल्पना महात्मा गांधी ने की थी.आज भारत देश में अभिमन्यु की दशा में जनसाधारण हो गई है. 


इस अवसर पर मुख्य अतिथि पदम श्री प्रोफेसर रामजी सिंह ने कहा कि अब जो लड़ाई होगी उसमें कोई नहीं बचेगा लोग किस तरह समाप्त हो जाएंगे कोई सोच नहीं सकता है.इसलिए इस स्थिति में हम कैसे निकलेंगे तो गांधी के विचारों से ही हम युद्ध को रोक सकते हैं. उन्होंने वैश्विक हिंसा का जवाब गांधी कैसे दे सकते हैं उस पर विचार करनी होगी. उन्होंने कहा कि एक दूसरे के साथ सांप्रदायिक हिंसा नहीं हो तब विश्व में हिंसा रोकने का अधिकार भारत को होगा, या गांधियन को.आज के महाविनाश के किनारे पहुंच चुके हैं हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है, और हमारी सोच भी गांधी की सोच होनी चाहिए.देशभक्ति के लिए वैश्विक हिंसा को रोकना होगा.उन्होंने कहा जो हमारी समस्याएं हैं उसको गांधी की नजर से देख कर ही समाधान किया जा सकता है.


 इस अवसर पर प्रोफेसर विजय विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि गांधी की कर्मभूमि चंपारण में आजादी की अमृत महोत्सव का लेखा-जोखा आज तिलकामांझी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता लेंगे. ग्रामीण क्षेत्र में कुछ प्रश्नावली के माध्यम से लोगों की राय ली जाएगी.उन्होंने कहा कि आज गांधी के सकारात्मक सोच की जरूरत है.उन्होंने कहा किस देश में आज गांधी के सकारात्मक सोच की जरूरत है देश को.उन्होंने कहा कि सरस्वती और भगवती साथ होता है तो  लक्ष्मी को भी साथ में आना पड़ता है. यह गांधी जी का प्रयोग था.उन्होंने कहा कि हम हिंदू हो या मुसलमान नहीं बल्कि हम भारतीय हैं, दुनिया के सामने मुकाबले के लिए खड़े होते हैं इसके लिए मेरा प्रतीक होना चाहिए और मेरा प्रतीक गांधी है.भारत में गांधी के अलावा कोई प्रतीक चिन्ह नहीं है.भारत के आज़ादी का  अमृत महोत्सव को आज के शिक्षा कसौटी पर तौलने  की जरूरत है .


इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता अमर ने कहा कि गांधी के ग्राम स्वराज की कल्पना थी उसको गांव में जांचने की कोशिश की जानी चाहिए, गांव उजड़ रहा है पेट की आग बुझाने के लिए लोग अन्य राज्यों की तरफ पलायन कर रहे हैं.


 इस अवसर पर ललित शुक्ला, राय सुन्दरदेव शर्मा, दिग्विजय, हामिद रज़ा, विनय कुमार रंजीत गिरी उमाशंकर प्रसाद, विजय उपाध्याय, सुनील हावर, गांधी भक्त तारकेश्वर, पूर्व विधायक बृज किशोर सिंह सहित अन्य लोगों ने इस विमर्श में अपने विचार रखे.

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