मार्शल आउट के खिलाफ रविवार को राज्य स्तरीय विरोध दिवस

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मार्शल आउट के खिलाफ रविवार को राज्य स्तरीय विरोध दिवस

आलोक कुमार

पटना.बिहार विधानसभा सत्र के अंतिम दिन 31 मार्च को विधानसभा से माले विधायकों के मार्शल आउट की घटना से लोकतंत्र एक बार फिर शर्मसार हुआ है.बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने राज्य में लगातार गिरती कानून-व्यवस्था के सवाल पर गंभीरता दिखाने की बजाए तानाशाह का रवैया अपनाया.ऐसा लगता है कि वे भाजपा-आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.

इसके पहले एमआईएम के विधायक का भी मार्शल आउट किया गया था.माले विधायकों के मार्शल आउट के खिलाफ 3 अप्रैल को राज्य स्तरीय विरोध दिवस मनाया जाएगा. ये बातें माले के राज्य सचिव कुणाल, विधायक दल के नेता महबूब आलम, वरिष्ठ नेता केडी यादव, विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, सुदामा प्रसाद और गोपाल रविदास ने पटना में कहीं.



माले के नेताओं ने कहा कि क्रिमिनलाइजेशन, करप्शन व कम्युनलिज्म पर नीतीश सरकार जीरो टॉलरेंस का दावा करती थी, लेकिन आज पूरा बिहार पुलिस-अपराधियों के चंगुल में है. फासीवादी भाजपा व आरएसएस के नफरत भरे अभियान से इस तरह की घटनाओं को और बल मिला है. अभी हाल में भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने बेगूसराय में सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाला बयान दिया. हर पर्व-त्योहार को कलंकित करने व उसे हिंसा की आग में झोंक देने का प्रयास हो रहा है और मुख्यमंत्री बैठकर तमाशा देख रहे हैं.


कहा गया कि क्रिमनलाइजेशन, करप्शन व कम्युनलिज्म के खिलाफ नीतीश सरकार का जीरो टाॅलरेंस का दावा तार-तार हो गया है. महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं की बाढ़ आ गई है और सरकार चुप होकर तमाशा देख रही है.सबसे हालिया प्रकरण में मधेपुरा में रेप की कोशिश का विरोध कर रही एक दलित महिला को खाप पंचायत के आदेश पर लाठियों से पीटा गया व सरेआम निर्वस्त्र किया गया. विगत 20 मार्च को रोहतास जिला के सूरजपुरा प्रखंड के अगरेरपुर गांव में छोटी सी घटना में सामंती अपराधियों ने राजदेव पासवान की गोली मारकर हत्या कर दी और कई लोगों को घायल कर दिया.आज राज्य पूरी तरह पुलिस-अपराधी गठजोड़ के चंगुल में है. फासीवादी भाजपा व आरएसएस  केे नफरत भरे अभियान से इस तरह की घटनाओं को और बल मिला है. हर पर्व-त्योहार को कलंकित करने व उसे हिंसा की आग में झोक देने का प्रयास हो रहा है.


विधानसभा सत्र के दौरान पारित कई कानून बेहद खतरनाक और जनविरोधी हैं. माले इसके खिलाफ आंदोलन करेगी.80 प्रतिशत जनता की सहमति के बिना मनमाना ढंग से भूमि अधिग्रहण के कानून को किसानों के विरोध के कारण केंद्र सरकार लागू नहीं कर सकी, लेकिन बिहार में नगर निकाय क्षेत्र में सड़क निर्माण के बहाने राज्य सरकार ने इसे पारित करा लिया है.


मनरेगा मजदूरों के सवाल पर भी बजट सत्र ने निराश किया. बिहार में मनरेगा काम में न्यूनतम मजदूरी का घोर उल्लंघन हो रहा है.यहां सिर्फ 198 रु. मिलता है, जबकि सिक्किम में 318 रुपये.विधानसभा सत्र के दौरान माले ने कई बार इस मसले को उठाया, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया, इसके लिए माले संघर्ष जारी रहेगा.


नेताओं ने कहा कि कैग रिपोर्ट ने एक बार फिर घोर वित्तीय अनियमितता को उजागर किया है.संस्थाबद्ध भ्रष्टाचार नीतीश सरकार की चारित्रिक विशेषता बनी हुई है.नगर निकाय चुनाव दलीय आधार पर करने से सरकार भाग चुकी है.हमारी कोशिश होगी कि जनता में किसी प्रकार की फूट न पड़े और जनता के वास्तविक प्रतिनिधि चुनकर सामने आएं.सातवें चरण की शिक्षक बहाली की प्रक्रिया सरकार अविलंब शुरू करे.यही था कार्यस्थगन प्रस्ताव, जिसपर माले विधायकों का मार्शल आउट किया गया.

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