कश्मीरी पंडितों पर सिर्फ शोर, मदद नहीं

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कश्मीरी पंडितों पर सिर्फ शोर, मदद नहीं

हिसाम सिद्दीकी

नई दिल्ली! कश्मीरी पंडितों की परेशानियां और 1989-90 में उनके कश्मीर से मजबूरन अपने घर-बार छोड़कर भागने के मसायल के नाम पर समाज में कशीदगी और पूरे देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रमोशन तो मुल्क के वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी तक ने कर दिया लेकिन वादी छोड़कर इकत्तीस साल पहले मजबूरन भागे कश्मीरी पंडितों को दोबारा वहां  बसाने और उनकी किसी किस्म की मदद करने के लिए कोई तैयार नहीं है वजीर-ए-आजम मोदी की सरकार कश्मीरी पंडितों के लिए किस हद तक फिक्रमंद है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2015 में सरकार ने एलान किया था कि कश्मीरी पंडितों के लिए छः हजार मकानात वादी में बनाए जाएंगे और नौ सौ बीस (920) करोड़ रूपए खर्च करके छः हजार लोगों को सरकारी नौकरियां दी जाएंगी लेकिन अभी तक इन दोनों वादों में से एक भी पूरा नहीं हुआ है फरवरी 2022 तक सिर्फ एक हजार पच्चीस (1025) फ्लैटों का ढांचा खड़ा हो पाया है उनकी मुकम्मल तामीर में अभी भी महीनों का वक्त चाहिए आधे से ज्यादा फ्लैटों की तामीर का काम अभी शुरू भी नहीं हो सका है यानी 2015 से अब तक मकानों की तामीर के नाम पर सिर्फ सत्रह (17) फीसद काम ही हो सका है वजीर-ए-आजम स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज के तहत पहले मरहले में तीन हजार लोगों को सरकारी मुलाजमतें दी जानी चाहिए थीं सात सालों में तकरीबन आधी यानी एक हजार सात सौ उन्तालिस (1739) नौकरियां ही दी गई हैं इतनी सुस्त रफ्तारी से अगर मोदी के वादे पूरे होंगे तो तकरीबन डेढ लाख पंडितों और तीस हजार सिखों और मुसलमानों को दोबारा कश्मीर में बसाने में दसियों साल गुजर जाएंगे कश्मीर से अपना घर छोड़ कर भागे हुए कश्मीरी पंडितों के चौसठ हजार आठ सौ सत्ताइस (64827) हजार परिवार हैं दो हजार छः सौ नौ (2609) मुस्लिम और एक हजार सात सौ उन्तीस (1729) सिख परिवार सरकार के पास रजिस्टर्ड हैं

कश्मीर छोड़कर मजबूरन भागने वाले कश्मीरी पंडितों, मुसलमानों और सिखों के लिए 2018 में उस वक्त के वजीर-ए-आजम डाक्टर मनमोहन सिंह ने स्पेशल पैकेज के तहत तीन हजार नौकरियां फराहम करने का एलान किया था मनमोहन सिंह सरकार के दौर में ही तीन हजार में से दो हजार नौ सौ पांच (2905) यानी सत्तान्नवे फीसद नौकरियां लोगों को मिल गई थीं 2014 में मोदी सरकार बनी अगले ही साल 2015 में पीएम मोदी ने स्पेशल पैकेज के तहत छः हजार मकान तामीर कराने और तीन हजार लोगों को सरकारी नौकरियां देने का एलान किया था इन प्रोजेक्ट्स पर आठ सालों में सिर्फ सत्रह फीसद काम ही हो पाया है जहां तक नौकरियांं का सवाल है मोदी सरकार ने जिन तीन हजार नौकरियांं को मंजूरी दी थी उनमें से अभी तक एक हजार सात सौ उन्तालीस (1739) यानी तकरीबन अट्ठावन (58) फीसद नौकरियां ही दी गई हैं मोदी कांग्रेस को कितना ही कोसते रहे उसपर हमले करते रहे यह आदाद व शुमार (आंकड़े) ही इस बात का सबूत हैं कि दोनां सरकारों के काम काज में कितना बड़ा फर्क है मनमोहन सिंह ने तीन हजार कश्मीरियों को नौकरियां देने का एलान किया तो पांच सालों में ही अट्ठान्नवे (98) फीसद लोगों को नौकरियां मिल गई मोदी ने भी तीन हजार लोगों को नौकरियां देने का एलान किया तो सात सालों में सिर्फ अट्ठावन (58) फीसद लोगों को ही नौकरियां मिल सकी हैं

विवेक रंजन अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स बनाकर कश्मीरी पंडितों के साथ हुए मजालिम को बड़ी शिद्दत के साथ फिल्माया उसी दौरान कश्मीरी मुसलमानोें और सिखों पर जो गुजरी उसका जिक्र फिल्म में उन्होने नहीं किया, वजीर-ए-आजम से आरएसएस और बीजेपी के अदना वर्कर तक फिल्म का प्रमोशन करने में जुट गए इसका नतीजा यह हुआ कि महज बीस दिनों में ही इस फिल्म ने तकरीबन सवा दो से ढाई सौ करोड़ रूपयों की कमाई कर ली बीजेपी सरकारों वाली सभी रियासतों में फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया अब सवाल यह खड़ा हो गया कि अगर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने महज चौदह करोड़ रूपए लगा कर फिल्म बनाई और फिल्म ने सवा दो-ढाई सौ करोड़ रूपए कमा लिए तो अग्निहोत्री को चाहिए कि वह पचास करोड़ तक खुद रख लेें और बाकी रकम कश्मीरी पंडितों की वेलफेयर स्कीमों के लिए चंदे की शक्ल में दे दें सबसे पहले यह बात मध्य प्रदेश के एक आईएएस अफसर नियाज खान ने कही तो अग्निहोत्री नाराज हो गए और मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने नियाज खान को नोटिस जारी कर दिया अब ऐसा ही मतालबा दिल्ली के वजीर-ए-आला अरविंद केजरीवाल और उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया ने किया है तो डायरेक्टर अग्निहोत्री को जैसे सांप सूंघ गया है अब उनकी या उनके हामियों की आवाजें नहीं निकल रही हैं आवाजें निकले भी कैसे उन्होने तो कश्मीरियों की परेशानियां को मोटी कमाई करने के लिए फिल्म में दिखाया था उनकी मदद करने के लिए फिल्म नहीं बनाई थी जब मदद सरकार नहीं कर रही है तो वह फिल्म की कमाई से मदद क्यों करें?

पहले मनमोहन सिंह सरकार और अब नरेन्द्र मोदी सरकार ने कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाने के लिए चारों तरफ से बंद कैम्पस में फ्लैट बनवाने का फैसला किया था यह कैम्पस कुलगाम के बेसु, पुलवामा के हाल, बारामूला के वीरवान, बडगाम के शेखपोरा, कुपवाड़ा के नटनसा और अनंतनाग के मट्टन में बनाए जा रहे हैं मनमोहन सिंह सरकार के जमाने में जो फ्लैट बन कर तैयार हो गए थे उनमें कुछ लोग रह भी रहे है एक हजार चार सौ अट्ठासी फ्लैट्स बनाने के लिए अभी तक टेण्डर भी नहीं हुए हैं कुछ बारह टावर बनने हैं जो फ्लैट्स आधे अधूरे बने हैं पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों के मुताबिक वह अगले अगस्त तक रहने लायक हो जाएंगे जिन लोगों को इन फ्लैट्स में रखा जाना है उनमें बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो कह रहे हैं कि इस तरह पिंजरों में बंद करके हमें रखा जाएगा तो हमें यह यह पिजंरे कुबूल नहीं हैं आप अगर हमें चारों तरफ से दीवार बनाकर रखेंगे तो हम कैसे रह सकेंगे लोगों को दहशत और पिजंरों में रहना गवारा नहीं है अगर सरकार हमें वापस हमारे वतन में पहुंचाना चाहती है तो हमारे पुराने घरों की मरम्मत कराकर उन्हीं में बसाया जाए

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