मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की स्वीकृति राज्यपाल ने दे दी

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मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की स्वीकृति राज्यपाल ने दे दी

आलोक कुमार 

पटना.आखिरकार विकासशील इंसाफ पार्टी ( वीआईपी) के प्रमुख और विधान परिषद सदस्य मुकेश सहनी को नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया. मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की स्वीकृति राज्यपाल फागू चौहान ने दे दी है. इसके साथ ही बंगला नम्बर 6 स्टैंड रोड का मिथक कि जो भी बंगला में रहा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है, फिर से सच साबित हो गया.


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कैबिनेट मंत्री और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संस्थापक प्रमुख मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पिछले विधानसभा चुनाव में सहनी को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लाया गया था. उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भाजपा के एक ‘‘लिखित निवेदन’’ के बाद मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री  मुकेश  सहनी को मंत्रिमंडल से निष्कासित करने की सिफारिश की. प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘भाजपा के प्रदेश प्रमुख ने सहनी से अपने तरीके को सुधारने के लिए कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. उन्होंने एक अधिसूचना जारी की, जिसने ‘मछुआरा’ समुदाय को बहुत नाराज कर दिया था.इस फैसले के जरिये वह अपनी राजनीतिक इमारत बनाना चाहते थे.’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर बार-बार हमला करने के कारण बॉलीवुड के पूर्व सेट डिजाइनर सहनी से भाजपा काफी नाराज थी. सहनी की पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 50 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली.


बीजेपी से जारी विवाद के बाद रविवार को नीतीश कुमार ने राज्यपाल को पत्र लिखकर मुकेश सहनी को बिहार मंत्रिमंडल से हटाए जाने की सिफारिश की थी. इसके बाद सोमवार को राज्यपाल फागू चौहान ने इस मसले पर अपनी स्वीकृति दे दी है. मुकेश सहनी को नीतीश कुमार ने बीजेपी के कहने पर ही मंत्रिमंडल से हटाए जाने की सिफारिश की थी. 

                                   

बॉलीवुड के पूर्व सेट डिजाइनर मुकेश सहनी ने नवंबर 2018 में अपनी पार्टी बनाई थी और इसके तुरंत बाद राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हो गए. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले महागठबंधन छोड़ दिया और आरोप लगाया कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव उनके साथ सीटों का उचित बंटवारा नहीं कर रहे थे. महागठबंधन के नेताओं ने खंजर घोंप दिया.


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद भाजपा के कहने पर उन्हें राजग में शामिल किया गया था. चुनावों में, उनकी पार्टी ने चार सीटें जीतीं थी, हालांकि साहनी अपनी खुद की सीट हार गए.भाजपा ने उनका समर्थन किया और उन्हें नीतीश कुमार कैबिनेट में जगह दिलाने में मदद की थी.उन्हें  पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री  बनाया गया. उसके बाद विधान परिषद के विधान पार्षद बनाया गया.परन्तु  पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री  नाखुश हो गये.उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और बाद में भाजपा ने अपने कोटे से उन्हें एमएलसी बना दिया, लेकिन सिर्फ डेढ़ साल के लिए.उनको जुलाई में विधान परिषद की सदस्यता जाने के बाद दोबारा कोई उन्हें भेजने वाला भी नहीं.वहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने यह दावा किया था कि सहनी को 2020 के चुनावों के छह महीने के भीतर अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने के लिए कहा गया था, लेकिन वीआईपी प्रमुख वादे से मुकर गए. हालांकि, सहनी ने ऐसे किसी समझौते से इनकार किया था.                                                      


विकासशील इंसाफ पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी, बिहार में निषाद समाज के नेता हैं. सन ऑफ मल्लाह उपनाम से जाने जाते हैं. बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में वह एनडीए गठबंधन का हिस्सा थे.लेकिन मुकेश सहनी के बगावती तेवर को बीजेपी पसंद नहीं कर रही थी.मुकेश सहनी के विधायक के निधन के बाद रिक्त हुई बोचहां सीट पर हो रहे उपचुनाव में सहनी अपना प्रत्याशी उतारे हैं. वह प्रत्याशी के नामांकन में गए थे कि उसी दौरान बीजेपी ने उनके बचे तीन विधायकों को दल बदल कराते हुए अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. बीजेपी द्वारा मुकेश सहनी के तीनों विधायकों को तोड़े जाने के बाद मुकेश सहनी हमलावर हो गए.


इस तरह से मुकेश सहनी का 496 दिनों का कार्यकाल समाप्त हो गया है

पटना के 6 स्ट्रैंड रोड के बंगले की जिसमें मुकेश सहनी  पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री   के तौर पर रहते थे. इस बंगले में जो भी मंत्री बन कर गया वो अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाया है. एक बार फिर मुकेश सहनी के मंत्रिमंडल से हटाने की अनुशंसा होते ही बंगले को लेकर चला आ रहा मिथक सच हो गया. बंगले के निर्माण के बाद से जब पहली बार मंत्री बन कर 2015 में अवधेश कुशवाहा इसमें रहने आए तो महज दो साल के अंदर ही उन पर घूस लेने का आरोप लगा और उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा.


2015 में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी तो राजद कोटे से आलोक मेहता मंत्री बने लेकिन 2017 में महागठबंधन में टूट हुई और एक बार फिर मंत्री आलोक मेहता को महागठबंधन की सरकार गिरने पर पद से हटना पड़ा और ये बंगला छोड़ना पड़ा. आलोक मेहता के मंत्री पद से हटने पर उनकी जगह मंजू वर्मा नीतीश कुमार की सरकार में मंत्री बनीं लेकिन मंत्री बनने के एक साल के अंदर ही बालिका गृह कांड हो गया और 2018 में मंत्री मंजू वर्मा को बालिका गृह कांड के कारण इस्तीफा देना पड़ गया. साल 2020 में जब बिहार में एनडीए की सरकार बनी तो मुकेश सहनी  पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री  बने और उनको ये बंगला आवंटित हुआ लेकिन मुकेश सहनी की कहानी भी अन्य मंत्रियों की तरह ही रही और ये सरकार बंगला उनको सूट नहीं कर सका. मंत्री बनने के महज डेढ़ साल के अंदर ही 2022 में मुकेश सहनी को भी मंत्री पद से हटना पड़ा और इसके साथ ही बंगला नम्बर 6 स्टैंड रोड का मिथक कि जो भी बंगला में रहा वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता है, फिर से सच साबित हो गया.


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