हरियाणा.बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हरियाणा में जबरन धर्मांतरण कानून लागू है.हरियाणा विधानसभा से बिल पास हो गया है. मंगलवार (22 मार्च 2022) को दो घंटे की चर्चा के बाद सदन ने इस पर मुहर लगाई.कांग्रेस ने इसका विरोध किया. उसके सदस्य सदन से वॉक आउट कर गए.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बिल पर बोलते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किसी धर्म के साथ भेदभाव करना नहीं है, ये केवल जबरन धर्मांतरण की बात करता है. विधेयक में उन विवाहों को अमान्य घोषित करने का प्रावधान है, जो पूरी तरह से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए थे.
सरकार ने जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध विधेयक में कड़े प्रावधान किए हैं.हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 के मुताबिक, अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पाँच साल तक की सजा और कम से कम एक लाख रुपए के जुर्माना का प्रावधान है.विधेयक के मुताबिक, जो भी नाबालिग या महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम से कम तीन लाख रुपए का जुर्माना किया जा सकता है.
जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा.इसके अलावा यदि शादी के लिए धर्म छुपाया जाता है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपए जुर्माना लगेगा.वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.इस विधेयक के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा.
हरियाणा कैबिनेट ने धर्मांतरण रोकथाम विधेयक 2022 को पहले ही इजाजत दे दी थी. 4 मार्च 2022 को गृह मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में विधानसभा में बिल पेश किया था.बता दें कि हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इस बिल को लेकर पहले कहा था कि भारत के संविधान की अनुच्छेद 25, 26, 27 और 28 के तहत सभी को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है. लोगों को किसी भी धर्म के चयन करने का अधिकार और आजादी है. इसके बावजूद जबरन धर्मांतरण के मामले सामने आए हैं और इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार ये कानून लेकर आई है.
विश्व हिंदू परिषद ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की थी.वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा था कि इस बिल से राज्य सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प को दिखाया है.उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में यह कानून बन चुका है.
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने इसे हरियाणा के इतिहास का 'काला अध्याय ' बताया. मंत्री ने कहा कि यह विधेयक सांप्रदायिक विभाजन को गहरा करेगा और भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता रघुवीर सिंह कादियान ने कहा कि इस विधेयक को लाने की कोई जल्दबाजी नहीं है और यह विभाजनकारी राजनीति की बू आ रही है, जो कि ‘नहीं है, अच्छा‘.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्पष्ट किया कि ये विधेयक किसी व्यक्ति को इच्छा पूर्वक धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं लगाता है. बशर्ते, इसके लिए उसे जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा.उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन का आयोजन करने का आशय रखने वाला कोई भी धार्मिक पुरोहित अथवा अन्य व्यक्ति जिला मजिस्ट्रेट को आयोजन स्थल की जानकारी देते हुए पूर्व में नोटिस देगा.इस नोटिस की एक प्रति जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर चस्पा की जाएगी. यदि किसी व्यक्ति को आपत्ति है तो वह 30 दिनों के भीतर लिखित में अपनी आपत्ति दायर कर सकता है. जिला मजिस्ट्रेट जांच करके यह तय करेगा कि धर्म-परिवर्तन का आशय धारा-3 की उल्लंघना है या नहीं है.सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में इस विधेयक की धारा-3 के उपबंधों की उल्लंघना करने पर 5 से 10 साल तक के कारावास और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का दण्ड दिया जाएगा.यदि कोई संस्था अथवा संगठन इस अधिनियम के उपबंधों की उल्लंघना करत है तो उसे भी इस अधिनियम की धारा-12 के अधीन दंडित किया जाएगा और उस संस्था अथवा संगठन का पंजीकरण भी रद्द कर दिया जाएगा. इस अधिनियम की उल्लंघन करने का अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा.
Copyright @ 2019 All Right Reserved | Powred by eMag Technologies Pvt. Ltd.
Comments