आलोक कुमार
सुपौल.आज सोमवार से सुपौल में समाहरणालय के समक्ष सत्याग्रह शुरू हुआ. इस दौरान उप विकास आयुक्त( डीडीसी) महोदय से वार्ता हुई,जो विफल हो गयी.सत्याग्रहियों ने सत्याग्रह जारी रखने का निर्णय ले लिया है.जिसके चलते सत्याग्रह लम्बा चलने का अनुमान है.
बताया गया कि 14 सूत्रीय मांगों को लेकर सत्याग्रह शुरू किया गया.वार्ता का आमंत्रण लेकर आपदा प्रभारी सत्याग्रह स्थल पर आए और बोले कि मैंने अपने स्तर से पत्र भेजा हूँ और पुनः रिमांडर भी भेजे हैं.आप लोग सत्याग्रह खत्म कर दें.
इसके बाद बिंदुवार उप विकास आयुक्त( डीडीसी) से 14 सूत्री मांगों पर चर्चा हुई..अविलम्ब मुफ्त साहाय्य के लिए 6000 रूपये का भुगतान सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों के खातों में भेजा जाए, साथ ही उसकी सूची भी सार्वजनिक हो और यदि किसी त्रुटिवश किसी के नाम उसमें छुट जाते है तो उन वंचित परिवारों के नाम जोड़ने की मुकम्मल व्यवस्था हो. उसी प्रकार वस्त्र/बर्तन व घरेलू समानों की क्षति के लिए 2000 और 1800 रूपये दिए जाएं.
. गृहक्षति/ नदी की धारा में समाहित होने वाले सभी घरों का सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति कच्चे व पक्के घरों का 95100 जिनकी झोपडियां ध्वस्त/कटी है उन्हें 4100 और साथ में लगे पशु सेड के लिए 2100 गृहक्षति मद से जल्द दिलाई जाय.साथ ही फसल क्षति व अन्य क्षतिपूर्ति के लाभ दिए जाएं.. ऐसे कटाव पीड़ित जो ऑन ग्रिड सोलर पावर से लाभन्वित थे उन्हें वे जहाँ बसे है वहां ऑफ़ ग्रिड सोलर पैनल वितरित कराया जाए.सभी खराब सोलरप्लांटो को ठीक कर उसे संचालित कराया जाए.
. कटाव पीड़ितों को सरकारी जमीन में बसाया जाए और पुनर्वास से वंचित लोगों का नया सर्वे कराकर सभी को पुनर्वास दिलाने का विशेष अभियान चले.. प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची में तटबंध के बीच के जिन परिवारों का तहत नाम है और उनकी जमीन यदि पुनर्वास में या दूसरी पंचायत में भी है या जहाँ लम्बे समय से तटबंध के भीतर भी है वहां दिया जाएँ.. तटबंध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को खोजवाने में उसमें वर्णित कार्यकमों को धरातल पर उतरने में जिला प्रशासन अपने स्तर से पहल करें.
. तटबंध के बीच की 4 हेक्टेयर तक की जमीन जिसपर लगान माफ़ था परन्तु वसूली होती है उसपर रोक लगाते हुए वसूली बंद कराई जाए एवं अब तक वसूल की राशि के वापस कराने की व्यवस्था हो.सभी जमीनों से लगान व सेस की समाप्ति कर किसान के पास उसका मालिकाना हक रहे और उनके बर्बाद जमीन की क्षति की भरपाई मिले इसके लिए नया कानून बनाने का सुझाव जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को भेजा जाए.
. हो रहे सर्वे में कोशी तटबंध के बीच नदी का पुराना खतियान को वास्तविक मानते हुए, यदि नदी की किसी रैयत के खेत में भी है तो उसे भी रैयत के नाम ही रहने का प्रावधान कराया जाए.क्योंकि नदी अगले वर्ष किसी और स्थान पर चली जाईगी.
. तटबंध के अंदर शिक्षा के लिए संचालित विद्यालयों भौतिक सत्यापन हो वहां रह रही आबादी का सर्वे कराकर शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 6-14 वर्ष के सभी बच्चों को अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा दिलायी जाय. कुपोषित बच्चों की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए भी विशेष अभियान चले.
. स्वास्थ्य से वंचित इस विशाल आबादी के लिए टीकाकरण गाँव में ही कराने की व्यवस्था हो. उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जाएं. मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कराने की पहल हो.. कोशी तटबंधों के बीच बसाहटों के समीप थोड़ा सुरक्षित स्थान चिन्हित कर बाढ़ आपदा के समय बचने के लिए ऊँचा टीला का निर्माण कराया जाए जहाँ टीला है और उसके मरम्तीकरण की जरूरत लगे उसे मरम्मत कराया जाए.टीले के पास सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण भी हो.स्थानीय मनरेगा मजदूरों को इस कार्य में लगाया जाए.
. कोशी के समस्या की निदान के दीर्घकालिक उपायों की पहल भी जिला प्रशासन करें.
. किसानों के खाद की मुकम्मल व्यवस्था की जाए.. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तटबंध के भीतर भी खरीद शुरू करायी जाए.अन्य फसलों की एमएसपी पर खरीद की व्यवस्था हो.इस पर सहमति नहीं बनने पर सत्याग्रह जारी है.
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